अमेरिका ने भारतीय परमाणु संस्थाओं से हटाया प्रतिबंध
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अमेरिका ने बुधवार को तीन भारतीय परमाणु संस्थानों पर से प्रतिबंध हटा दिए। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब लगभग एक सप्ताह पहले अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने घोषणा की थी कि वाशिंगटन भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच नागरिक परमाणु साझेदारी के लिए बाधाओं को हटाने के कदमों को अंतिम रूप दे रहा है।
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इन संस्थाओं से हटाया गया प्रतिबंध
अमेरिकी ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) के अनुसार ये तीन संस्थान भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) लिमिटेड हैं। पिछले सप्ताह आईआईटी, दिल्ली में एक संबोधन में सुलिवन ने कहा था कि अमेरिका उन नियमों को खत्म कर देगा जिन्होंने भारतीय परमाणु कंपनियों एवं अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग को रोक रखा है।
16 साल पहले हुआ था परमाणु समझौता
तीन प्रमुख भारतीय संस्थानों पर से प्रतिबंध हटाने को 16 वर्ष पहले भारत-अमेरिका के बीच हुए ऐतिहासिक नागरिक परमाणु समझौते के अमल को सुगम बनाने के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं।
अमेरिका साझा करेगा परमाणु तकनीकी
जुलाई, 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश के बीच बैठक के बाद दोनों देशों ने नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की घोषणा की थी। लंबी वार्ता के बाद तीन वर्ष पश्चात इस संबंध में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत अपेक्षा की गई थी कि अमेरिका नागरिक परमाणु प्रौद्योगिकी भारत के साथ साझा करेगा।
वाणिज्य (निर्यात विभाग) के प्रमुख उप-सहायक मंत्री मैथ्यू बोरमैन ने कहा कि तीनों भारतीयों संस्थानों से प्रतिबंध हटाने से अमेरिका और भारत के बीच महत्वपूर्ण खनिजों एवं स्वच्छ ऊर्जा की अधिक लचीली आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए करीबी सहयोग संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत-अमेरिका साझेदारी के अनुरूप और इसकी समग्र महत्वाकांक्षा एवं रणनीतिक दिशा में मददगार है।
ऊर्जा सहयोग में मिलेगी मदद
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्यूरिटी (बीआईएस) ने बुधवार को कहा कि तीनों भारतीयों संस्थानों से प्रतिबंध हटाने से अमेरिकी विदेश नीति के ऊर्जा सहयोग बढ़ाने में बाधाएं कम करने के उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। इसमें ऊर्जा सहयोग में संयुक्त अनुसंधान और ऊर्जा की साझा जरूरतों एवं लक्ष्यों की दिशा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग शामिल है।
बयान के अनुसार अमेरिका और भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग व उससे जुड़े अनुसंधान और विकास की गतिविधियां बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पिछले कई वर्षों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग ने दोनों देशों एवं दुनियाभर में उनके साझीदारों को लाभान्वित किया है।
अपने संबोधन में सुलिवन ने कहा था, ‘पूर्व राष्ट्रपति (जार्ज डब्ल्यू बुश) और पूर्व प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) ने लगभग 20 वर्ष पहले नागरिक परमाणु सहयोग का सपना देखा था, जिसे हमें अभी भी पूरी तरह साकार करना है।’
सुलिवन ने दिल्ली में की थी घोषणा
उनका कहना था कि बाइडन प्रशासन ने तय किया है कि इस साझेदारी को मजबूत करने के लिए अगला बड़ा कदम उठाने का समय आ गया है। सुलिवन ने कहा था, ‘इसलिए मैं घोषणा कर सकता हूं कि अमेरिका लंबे समय से लागू उन नियमों को हटाने के लिए आवश्यक कदमों को अंतिम रूप दे रहा है जिन्होंने भारत की अग्रणी परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच नागरिक परमाणु सहयोग को रोका हुआ है।