भारत को विकसित बनाने में प्रवासी भारतीयों का क्या योगदान हो सकता है?

भारत को विकसित बनाने में प्रवासी भारतीयों का क्या योगदान हो सकता है?

50 से अधिक देशों से प्रवासी भारतीयों ने सम्मेलन में भाग लिया है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से
मोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहिया
एक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा से
तीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया……

भोजपुरी में राष्ट्रगीत का दर्जा पा चुकी बाबू रघुवीर नारायण की ये रचना मारीशस, फिजी, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना, सूरीनाम में फैले प्रवासी भारतियों की पुकार थी. 1912 में लिखा गया ये गीत ‘गिरमिटिया’ की पहचान लिए मजदूरों को उनकी जन्मभूमि भारत से जोड़े रखता था. अविभाजित बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के ये वो मजदूर थे जो अंग्रेजों द्वारा बुने गए एक सुनहरे भविष्य के जाल में फंस गये. ये समय आज से लगभग 200 साल पहले का था. अंग्रेजों ने गरीबी और गुलामी में फंसे पूर्वांचल के युवाओं को परदेस जाकर जिंदगी संवारने का लुभावना ऑफर दिया.

प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है, जो भारतीय प्रवासियों से जुड़ने और प्रवासियों व देशवासियों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। हर साल प्रवासी भारतीय दिवस किसी न किसी थीम पर आयोजित होता है। इस साल की थीम (Pravasi Bharatiya Divas 2025 Theme ) है – विकसित भारत के लिए प्रवासी भारतीयों का योगदान।

क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस

दरअसल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की थी और यहां आकर देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई। इसलिए गांधी जी के भारत आगमन की याद में 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के तौर पर चुना गया। प्रवासी दिवस पर उन भारतीयों को सम्मानित किया जाता है जाता है जिन्होंने अपने- अपने क्षेत्र में विदेश में विशेष उपलब्धि हासिल कर भारत का मान सम्मान बढ़ाया है। वर्ष 2003 से प्रवासी दिवस मनाने की शुरुआत की गई लेकिन वर्ष 2015 में इसे संशोधित किया गया और हर दो वर्ष पर इसे मनाने का निर्णय लिया गया।

भारत को अपने विदेशों में रह रहे विशाल समुदाय से जोड़ने तथा उनके ज्ञान, विशेषज्ञता और कौशल को एक साझा मंच पर लाने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन विदेश मंत्रालय की ओर से 2003 से हर वर्ष आयोजित किया जाता है।

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का उद्देश्‍य

– प्रवासी भारतीय को देशवासियों के साथ बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना जिससे प्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बन सके।

– भारतीय युवाओं को प्रवासी भारतीय से जोड़ना।

– निवेश के अवसर को बढ़ाना भी एक मुख्य उद्देश्य है।

– प्रवासी भारतीय समुदाय आसानी से लाभकारी गतिविधियों के लिए सरकार और देश के नागरिकों से जुड़ सकें।

प्रधानमंत्री 9 जनवरी को ओडिशा में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस प्रधानमंत्री प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस की उद्घाटन यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, जो प्रवासी भारतीयों के लिए एक विशेष पर्यटक ट्रेन है। यह ट्रेन दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रवाना होगी और तीन सप्ताह की अवधि के लिए भारत में पर्यटन और धार्मिक महत्व के कई स्थलों की यात्रा करेगी। प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस का संचालन प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के तहत किया जाएगा।

प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीयों से जुड़ने और उन्हें एक-दूसरे के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाने का एक महत्वपूर्ण दिन है।

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और यह अन्य प्रवासी भारतीयों, नीति निर्माताओं, राजनीतिक नेतृत्व और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है। इस कार्यक्रम के दौरान, भारत के विकास में उनकी भूमिका की सराहना करने के लिए असाधारण योग्यता वाले लोगों को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार भी दिया जाता है।

विदेशों में रहने वाले 3.2 करोड़ से अधिक भारतीयों के साथ, प्रवासी समुदाय भारत और दुनिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। निवेश और भारत की दुनिया भर में छवि में उनका योगदान अद्वितीय है। प्रवासी भारतीय दिवस इस रिश्ते का जश्न मनाता है, आपसी विकास और प्रगति के लिए सहयोग को बढ़ावा देता है।

प्रवासी भारतीय भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों से आने वाले धन का महत्वपूर्ण प्रवाह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अहम योगदान देता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों द्वारा किया गया निवेश आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देता है। प्रवासी भारतीय भारत में बहुमूल्य कौशल, ज्ञान और विशेषज्ञता लाते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और विकास में योगदान करते हैं।

प्रवासी भारतीय दिवस भारत और दुनिया भर में भारतीय समुदाय के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जिससे दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और विरासत की गहरी समझ और सराहना को बढ़ावा मिलता है।प्रवासी भारतीय दिवस भारत और उसके प्रवासियों के बीच पुलों का निर्माण करने, संबंधों को मजबूत करने और साझा पहचान की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।

विदेश मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम, प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन 2003 में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों को पहचानने और उनके साथ जुड़ने के लिए एक मंच के रूप में बनाया गया था।

प्रवासी भारतीय दिवस भारत और उसके प्रवासियों के बीच पुलों का निर्माण करने, संबंधों को मजबूत करने और साझा पहचान की भावना को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।

विदेश मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम, प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन 2003 में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों को पहचानने और उनके साथ जुड़ने के लिए एक मंच के रूप में बनाया गया था।

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