आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ब्रिटेन की टेलीकॉम कंपनी बीटी अगले कुछ सालों में 50000 नौकरियां खत्म करेगी। डेल बड़ी छंटनी का ऐलान कर चुकी है। 2022 में दुनिया की करीब 1048 सूचना तकनीक कंपनियों में 1.61 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। 2023 में छंटनी की रफ्तार और तेज है। इसकी वजह है एआई, जो 2021 में आया। रोजगारों का कत्लेआम शुरू हो गया है। गोल्डमैन सैक्शे ने बताया एआई कुछ वर्षों में 30 करोड़ नौकरि‍यां निगल जाएगा। मेकेंजी कह रहा है पांच वर्ष में 80 करोड़ रोजगारों में उथल-पुथल होगी। भारत के आईटी उद्योग में नई नौकरियों की संख्या बीते एक साल में 65 फीसदी कम हुई है।

झूठ की मशीनें : राजनीतिक झूठ बहुत कुछ तबाह कर चुका है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बताया है कि एआई सिस्टम्स मिनटों में लाखों गीगाबाइट सूचनाएं बना सकते हैं और पलक झपकते साक्ष्य और सबूत ही बदल सकते हैं। तब जरूरी बहसें वास्तविकता से हटकर उनके हाथ में होंगी, जो लोगों का राजनीतिक-आर्थिक इस्तेमाल करना चाहते हैं। एआई लोकतंत्र में सोशल ट्रस्ट यानी जन-विश्वास को मिनटों में ध्वस्त कर सकता है।

एआई का 90 फीसदी मतलब डाटा मैनेजमेंट है। कंपनियों को डर है झूठे आंकड़े पढ़कर एआई ने कारोबार तहस-नहस कर दिया तब क्या होगा? मशीनों को मिल रही सूचनाओं की गुणवत्ता संदिग्ध है, इसलिए यूरोप के नियामक परेशान हैं कि एआई से नुकसान हुआ तो भरपाई कौन करेगा?

कुटिल मशीनें : 2020 में नेटफ्लिक्स पर डाक्यूमेंट्री कोडेड बायस बताती है कि फेस रिक्ग्नीशन सॉफ्टवेयर में नस्लवादी प्रोग्रामिंग की गई है। एआई में एल्गोरिदम बायस पैबस्त हैं, सुविधाओं व अवसरों के बंटवारे में राजनीतिक भेदभाव के प्रोग्राम तैयार हो रहे हैं। एआई रोगों की संभावना का सटीक आकलन तो कर लेगा मगर किसी खास समुदाय में रोग की संभावनाएं पता चलने के बाद उसके साथ बड़ा अन्याय हो सकता है।

चीन में एक सोशल क्रेडिट सिस्टम बन रहा है, जो देश के 1.4 अरब लोगों को सामाजिक व्यवहार, नियम पालन आदि के आधार पर नंबर या ग्रेड देगा। डाटा के आधार पर एक सीमा तक ही न्याय किया जा सकता है। आंकड़े गलत हुए तो अनर्थ हो जाएगा। एआई तकनीकें पसंद के आंकड़े चुनकर नतीजे दे सकती हैं।

नए बम : क्रेमलिन पर ड्रोन हमले के बाद दुनिया कांप गई। स्लॉटरबॉट्स तैयार हैं। हथियार खुद फैसला करेगा कि किसको मारना है। आटोनॉमस वेपंस बन चुके हैं, जो सामूहिक जासूसी और एकमुश्त विनाश कर सकते हैं। अमेरिकी कांग्रेस को लगने लगा है कि एआई न्यूक्लियर हथियारों को भी अपने आप लांच कर सकता है। इसे रोकने एक विधेयक लाया गया है।

‘वे जब तक इसे समझेंगे नहीं, तब तक इससे डरेंगे नहीं। और जब तक इसे इस्तेमाल नहीं करेंगे, तब समझेंगे नहीं!’ यह संवाद है आने वाली फिल्म ‘ओपनहाइमर’ का। क्रिस्टोफर नोलन की यह फिल्म एटम बम के जनक जे. रॉबर्ट ओपनहाइमर पर है। लेकिन बमों के खतरे खत्म होते, उससे पहले ही इस अप्रैल में एक सनसनीखेज चिट्‌ठी ने सरकारों के पैरों तले जमीन हिला दी। एआई के उत्सव के बीच ओपन एआई के संस्थापक इलॉन मस्क, लेखक युवल नोहा हरारी, एआई से जुड़े वैज्ञानिकों, बड़ी कंपनियों के सीईओ और संस्थापकों ने खुली चिट्ठी जारी कर दी।

पत्र ने सरकारों से पूछा कि क्या हम मशीनी झूठ का अम्बार लगा देना चाहते हैं? क्या हम मशीनी दिमागों काे बनाकर सभ्यता पर नियंत्रण खोना चाहते हैं? क्या हम गैर निर्वाचित तकनीकी नेताओं को लोगों की जिंदगी तय करने की ताकत देना चाहते हैं? एआई की प्रयोगशालाएं कुछ भी करने पर उतारू हैं।

उनकी जांच हो और ताजा शोध पर तत्काल प्रतिबंध लगे। मशीनी दिमागों के आतंक वाली फंतासी फिल्मों की पटकथा जैसी इस चिट्ठी के बाद सरकारों में खौफ की लहर दौड़ गई। इटली ने ओपन एआई को अपने देश की सूचनाएं जुटाने से रोक दिया। यूरोपीय समुदाय एआई को नियंत्रित करने का कानून बनाने जा रहा है।

मई के पहले सप्ताह में एआई कंपनियों के प्रमुख व्हाइट हाउस तलब कर लिए गए। कर्ज संकट और यूक्रेन युद्ध की फिक्र छोड़ बाइडेन और कमला हैरिस ने कृत्रिम दिमाग वालों से तीखे सवाल-जवाब किए। ‘रिस्पांसिबल एआई’ के लिए कानूनी उपाय शुरू कर दिए गए हैं। अमेरिकी कांग्रेस एआई की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसी बनाने के विधेयक पर विचार रही है। किसी नई तकनीक को लेकर इतना डर पहली बार दिखा है।

एआई कैंसर का इलाज करेगा, लेकिन अगर मशीनों ने उन सभी मनुष्यों को खत्म कर दिया जिन्हें भविष्य में कैंसर का खतरा है तो क्या होगा? यह फंतासी नहीं सच है। सरकारें खौफ में हैं। वे तबाही देखकर सबक लेना नहीं चाहतीं।

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