फ्रेंचेस्का ओरसीनी का टूरिस्ट वीजा प्रकरण क्या है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कुछ वर्ष पहले की घटना है। जवाहरलाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय, पोर्ट ब्लेयर में टूरिस्ट वीजा लेकर एक विदेशी विद्वान आये थे। अंडमान-निकोबार के जीव-जंतुओं के अध्ययन के लिए एक विद्यार्थी उनके साथ भेज दिया गया। उनका एक व्याख्यान भी महाविधालय में आयोजित किया गया। तब एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंसी ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी थी। पहली बार मुझे ज्ञात हुआ कि टूरिस्ट वीजा पर व्याख्यान देना / अध्ययन करना अवैध है।
हिन्दी वालों की एक आदत है हर बात में सरकार की आलोचना करना। फ्रेंचेस्का ओरसीनी का ‘हिन्दी के लोकवृत्त की अवधारणा’ के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। 19 वीं- 20 वीं शती (आरम्भिक समय ) पर उनका कार्य हिन्दी शोध और आलोचना की दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान है। हिन्दी क्षेत्र में 19 वीं शती का शिक्षित वर्ग कैसे उस समय के मानस का निर्माण कर रहा था और पत्र-पत्रिकाएँ कैसे इसमें भूमिका निभा रही थी, इस महत्वपूर्ण अध्ययन के लिए फ्रेंचेस्का ओरसीनी को पढना चाहिए। हिन्दी पब्लिक स्फीयर का आरम्भ फ्रेंचेस्का 19 वीं शती से मानती हैं।गुरुवर पुरुषोत्तम अग्रवाल इसका आरम्भ भक्तिकाल से मानते हैं। प्रो. अग्रवाल के निर्देशन में चंदन श्रीवास्तव ने इस विषय पर बहुत ही अच्छा कार्य किया है।
लेकिन, विद्वत्ता अलग चीज है और नियम- कानून अलग। फ्रेंचेस्का को दिल्ली एयरपोर्ट से वापस भेजना भारत की वीजा नियमावली के अंतर्गत है। फ्रेंचेस्का यदि टूरिस्ट वीजा पर आकर व्याख्यान देती हैं अथवा अकादमिक अध्ययन करती हैं, तो नियमानुसार यह अवैध है। इसके लिए उन्हें कॉन्फ्रेंस वीजा लेना चाहिए था । यदि उन्हें शोध करना है तो रिसर्च वीजा लेना चाहिए था। एक विदेशी नागरिक का भी उस देश की कानून-व्यवस्था का पालन करना आवश्यक है जहाँ वह जा रहा है।
निस्संदेह फ्रेंचेस्का ने पर्यटक वीजा का दुरूपयोग किया है, अतः उन्हें वापस भेजा गया है। वे रिसर्च वीजा लेकर आएं और अध्ययन करें। व्याख्यान देना है तो कांफ्रेंस वीजा लें, गृह मंत्रालय को सूचित करें। यही नियम है। लेकिन, उन्होंने इसका उल्लंघन किया। अतः उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया गया है।
आज फेसबुक पर हिन्दी के अध्येता चीख रहे हैं कि फ्रेंचेस्का को सरकार रोक रही है। फ्रेंचेस्का आतंकी नहीं, विदुषी हैं। आपकी चीख और चिल्लाहट मूर्खतापूर्ण है महानुभावों! फ्रेंचेस्का से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, आपकी चिल्लाहट से उनकी छवि प्रभावित हो रही है। फ्रेंचेस्का की छवि के गुनहगार ये फेसबुकिये हैं।
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