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भारत के समुद्री व्यापार का इतिहास और वर्तमान स्थिति क्या है? - श्रीनारद मीडिया

भारत के समुद्री व्यापार का इतिहास और वर्तमान स्थिति क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जहाज़ निर्माण की प्राचीन सिलाई वाली विधि (टंकाई विधि) के उपयोग से निर्मित 21 मीटर लंबा जहाज़ नवंबर 2025 में ओडिशा से इंडोनेशिया के बाली तक की यात्रा के लिये रवाना होगा।

  • भारतीय नौसेना के एक दल द्वारा संचालित, यह परियोजना न केवल भारत की समुद्री परंपरा को प्रदर्शित करती है बल्कि भारत के समुद्री इतिहास पर भी प्रकाश डालती है।
  • यह पहल संस्कृति मंत्रालय के प्रोजेक्ट मौसम के साथ संरेखित है, जिसका उद्देश्य समुद्री सांस्कृतिक संबंधों को पुनःस्थापित करना और हिंद महासागर की सीमा से लगे 39 देशों के बीच सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ावा देना है।

भारत के समुद्री व्यापार का इतिहास:

  • समुद्री व्यापार के प्रारंभिक साक्ष्य:
    • सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया: लगभग 3300-1300 ईसा पूर्व में प्रारंभिक काल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के व्यक्तियों द्वारा समुद्री व्यापार करने का साक्ष्य पाया गया है।
      • लोथल (वर्तमान गुजरात में) में पाया गया डॉकयार्ड ज्वार और हवाओं की कार्यप्रणाली के विषय में इस सभ्यता की गहन समझ को दर्शाता है।
    • वैदिक और बौद्ध धर्म संबंधी संदर्भ: 1500-500 ईसा पूर्व के बीच रचित वेदों में समुद्री यात्रा की अनेकों कहानियाँ वर्णित हैं।
      • इसके अतिरिक्त, जातक कथाएँ और तमिल संगम साहित्य, 300 ईसा पूर्व से लेकर 400 ईस्वी तक विस्तृत प्राचीन भारतीय समुद्री गतिविधियों के विषय में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
  • समुद्री गतिविधि की गहनता: पहली शताब्दी ईसा पूर्व तक समुद्र के माध्यम से आवागमन तीव्र हो गया, जो आंशिक रूप से विश्व के पूर्वी भाग की वस्तुओं के लिये रोमन साम्राज्य की मांग से प्रेरित था।
    • लंबी यात्राओं को पूरा करने के लिये मानसूनी पवनों की शक्ति का प्रयोग महत्त्वपूर्ण हो गया और रोमन वाणिज्य ने ऐसी समुद्री यात्राओं को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • रोमनों ने कोरोमंडल तट से घोड़े, मोती और मसाले जैसे उत्पाद प्राप्त किये।
  • विविध नाव-निर्माण परंपराएँ: प्राचीन भारतीय नाव-निर्माण परंपराएँ विविध थीं और इसमें अरब सागर की कॉयर-सिलाई परंपरा, दक्षिण पूर्व एशिया की जोंग परंपरा एवं आउटरिगर नावों की ऑस्ट्रोनेशियन परंपरा शामिल थी।.
    • इन परंपराओं में प्रायः निर्माण के लिये नावों में कीलें लगाने के बजाय उनकी सिलाई की जाती थी।
    • जहाज़ निर्माण के लिये विभिन्न प्रकार की लकड़ी का प्रयोग किया जाता था, जिसमें मैंग्रोव की लकड़ी डॉवेल के लिये और सागौन की लकड़ी तख्तों, कीलों एवं स्टर्न पोस्ट के लिये आदर्श होती थी।
      • इन लकड़ी के प्रयोग के साक्ष्य हिंद महासागर के तटीय समुदायों और पुरातात्त्विक स्थलों पर पाए जा सकते हैं।
  • व्यापार के केंद्र के रूप में भारत: सामान्य युग तक हिंद महासागर एक जीवंत “ट्रेड लेक (व्यापार झील)” बन गया था, जिसके केंद्र में भारत था:
    • पश्चिमी व्यापार मार्ग: भारत मध्य पूर्व और अफ्रीका के माध्यम से यूरोप से जुड़ा हुआ है, जिसमें भरूच और मुज़िरिस जैसे बंदरगाह महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र के रूप में कार्यरत हैं।
    • पूर्वी व्यापार मार्ग: चीन के हेपू में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के भारतीय कलाकृतियों के साक्ष्य, भारत को चीन और मलेशिया से जोड़ने वाले एक समुद्री मार्ग का संकेत देते हैं।
      • बंगाल में ताम्रलिप्ति ने इस व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • इन समुद्री नेटवर्कों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्तियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाया।
      • मिस्र में बेरेनिके तक भारतीय मूल की कलाकृतियाँ खोजी गई हैं, जिनमें हिंदू देवताओं के चित्र और संस्कृत में शिलालेख भी शामिल हैं।

भारत में समुद्री परिवहन की वर्तमान स्थिति

  • भारत विश्व का 16वाँ सबसे बड़ा समुद्री देश है। वर्तमान में, भारत में समुद्री परिवहन मात्रा के हिसाब से 95% और मूल्य के हिसाब से 68% व्यापार संभालता है।
    • भारत विश्व के शीर्ष 5 जहाज़ रीसाइक्लिंग देशों में से एक है और वैश्विक जहाज़ रीसाइक्लिंग बाज़ार में 30% की हिस्सेदारी रखता है।
    • भारत जहाज़ तोड़ने वाले उद्योग में 30% से अधिक वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी का मालिक है और अलंग, गुजरात में विश्व की सबसे बड़ी जहाज़ तोड़ने वाली सुविधा का स्थान है।
  • दिसंबर 2021 तक, भारत के पास 13,011 हजार के सकल टन भार (GT) के बेड़े की ताकत थी। हालाँकि, क्षमता के मामले में भारतीय बेड़ा विश्व के बेड़े का सिर्फ 1.2% है और भारत के EXIM व्यापार (आर्थिक सर्वेक्षण 2021-2022) का केवल 7.8% (2018-19 के लिये) वहन करता है।
  • वर्ष 2017 में, सरकार ने बंदरगाह-आधारित विकास और रसद-गहन उद्योगों के विकास की दृष्टि से महत्त्वाकांक्षी सागर माला कार्यक्रम शुरू किया।
    • भारत में वर्तमान में 12 प्रमुख और 200 गैर-प्रमुख/मध्यवर्ती बंदरगाह (राज्य सरकार प्रशासन के तहत) हैं।
    • जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट भारत का सबसे बड़ा प्रमुख बंदरगाह है, जबकि मुंद्रा सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है।
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