संविधान दिवस क्यों मनाया जाता है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया गया, लेकिन इसके बाद इसके ठीक अगले साल यानी 26 नवंबर 1949 को देश में पहला संविधान दिवस नहीं मनाया गया। देश में पहला संविधान दिवस साल 2015 में मनाया गया। दरअसल, संविधान दिवस मनाने का फैसला इसके निर्माता डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए लिया गया था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा संविधान दिवस के ऐतिहासिक मौके पर आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। आज ही के दिन, 26 नवंबर, 1949 को, संविधान भवन के इसी सेंट्रल हॉल में, संविधान सभा के सदस्यों ने भारत के संविधान का ड्राफ्ट बनाने का काम पूरा किया था।
उस साल इसी दिन, हम भारत के लोगों ने अपना संविधान अपनाया था। आजादी के बाद, संविधान सभा ने भारत की अंतरिम संसद के तौर पर भी काम किया। ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, हमारे संविधान के मुख्य बनाने वालों में से एक थे। उन्होंने यह भी कहा कि 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया समेत नौ भाषाओं में संविधान का ट्रांसलेटेड वर्जन जारी किया।
मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि लगभग तीन-चौथाई सदी की संवैधानिक यात्रा के दौरान, हमारे देश ने उन क्षमताओं को अर्जित करने और सार्थक परंपराओं को विकसित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। हमने जो अनुभव प्राप्त किए हैं, आने वाली पीढ़ियों को, उनसे अवगत कराना चाहिए।
वर्ष 2015 में, सरकार द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। तब से प्रत्येक वर्ष मनाए जा रहे संविधान दिवस के समारोहों से, हमारे युवाओं में, देश के बुनियादी दस्तावेज़, यानी संविधान, के विषय में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है। संविधान के प्रति युवाओं में उत्साह को देखकर, हम सब देश के भविष्य के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं।
मैं सभी देशवासियों से अनुरोध करती हूं कि वे हमारे संवैधानिक आदर्शों को अपने आचरण में ढालें; मूल कर्तव्यों का पालन करें तथा वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के राष्ट्रीय लक्ष्य के प्रति समर्पण के साथ आगे बढ़ें।
मैं संविधान दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई देती हूं। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।


