तेजी से क्यों पांव पसार रहा है Omicron?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नए वैरिएंट ओमिक्रोन का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। भारत में भी तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। भारत में अब तक 781 ओमिक्रोन संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए देश के कई राज्यों ने पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। कई राज्यों ने तो नाइट कर्फ्यू लगाने का एलान किया है। आइये यहां जानते हैं कोरोना के इस नए वायरस के बारे में सबकुछ।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, कोविड-19 के नए वैरिएंट B.1.1.529 ओमिक्रोन वैरिएंट संक्रमण के पहले दो मामले कर्नाटक में मिले थे। इनमें एक व्यक्ति की उम्र 66 साल और दूसरे की 46 साल बताई गई थी। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट कम विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा Omicron नाम दिया गया है और इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया गया है। ओमिक्रोन दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है, ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना का यह नया वैरिएंट पिछले संस्करण की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक है। ओमिक्रोन वैरिएंट में 43 म्यूटेशन देखे जा रहे हैं, जो कि डेल्टा वैरिएंट में सिर्फ 18 ही थे।

कहां मिला पहला केस

विश्व में ओमिक्रोन वैरिएंट का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। इसके बाद ये धीरे-धीरे विश्व के अन्य देशों में फैलता चला गया। कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रोन भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका में भी तेजी से फैल रहा है। व्हाइट हाउस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, अमेरिका में ओमिक्रोन बच्चों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।

अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों में न्यूयॉर्क में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या 4 गुना तक बढ़ गई है। अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों में 5 साल से कम उम्र के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे शामिल हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, अमेरिका में रोजाना करीब एक लाख 90 हजार मामले सामने आ रहे हैं।

ये आ रहे है लक्षण

गले में परेशानी

पहले लक्षणों में स्क्रैची थ्रोट है। इसमें गला अंदर से छिल जाता है। वहीं डेल्टा वैरिएंट में गले में खराश की प्रॉब्लम होने लगती है। डिस्‍कवरी हेल्थ, साउथ अफ्रीका के चीफ एग्जीक्यूटिव रयान रोच ने बताया कि नाक बंद होना, सूखी खांसी और पीठ में नीचे की तरफ दर्द की समस्या ओमिक्रोन पीड़ित को हो रही है।

आवाज में दिखेगा असर

आपकी आवाज फटी-फटी या गला बैठा हुआ भी महसूस हो सकता है।

कफ

दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों में कफ एक प्रमुख लक्षण के तौर पर उभरकर सामने आया है। वहीं नाक का बहना भी एक प्रमुख संकेत है।

थकान

कई लोगों में इसकी वजह से थकान की दिक्कत हो रही है।

मांसपेशियों में दर्द

मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द भी इसके लक्षणों में से एक है। जिन लोगों को ओमिक्रोन हुआ, उनमें से पचास फीसद लोगों में यह लक्षण देखा गया।

ये भी है लक्षण

बहती नाक, बंद नाक, सिर दर्द, थकान, छींक आना, रात में पसीना और शरीर में दर्द होना जैसे ओमिक्रोन के अन्य शुरुआती लक्षण हैं।

ओमिक्रोन की टेस्टिंग का क्या है तरीका

ओमिक्रोन की टेस्टिंग का तरीका भी वहीं है, जो कोरोना के अन्य वैरिएंट का है। बस कोरोना के इस वैरिएंट की पुष्टि के लिए सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा जात है। भारत सहित दुनिया के अन्य सभी हिस्सों में ओमिक्रोन की जांच के लिए भी आरटीपीसीआर टेस्ट ही किया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा में हाल ही में जानकारी दी थी कि भारत में अब तक 38 लैब में जीनोम टेस्टिंग की सुविधा है।

ओमिक्रोन के इलाज का क्या है तरीका

डब्लूएचओ की गाइडलाइंस के मुताबिक, कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट से पीड़ित मरीज का भी इलाज करने का तरीका भी वही है जो कोरोना के अन्य वैरिएंट का है। इस वैरिएंट से पीड़ित मरीज को भी आइसोलेशन में रखा जाता है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ब्लड टेस्ट और एक्सरे किया जाता है। रिपोर्ट सामान्य रहने पर मरीज को डिसचार्ज कर दिया जाता है।

कैसे होगी जांच

ओमिक्रोन को लेकर लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसकी जांच का तरीका क्या है। कुछ स्थितियों में आरटीपीसीआर टेस्ट से भी पता चलता है। पर कई मेडिकल प्रोफेशनल्स का मानना है कि आरटीपीसीआर टेस्ट ओमिक्रोन और दूसरे वैरिएंट में अंतर करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग आवश्यक हो जाता है, लेकिन सभी संक्रमित सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता है। यह प्रक्रिया धीमी, जटिल और महंगी है।

जीनोम सिक्वेंसिंग

हमारी कोशिकाओं के भीतर आनुवंशिक पदार्थ होता है। इसे DNA, RNA कहते हैं। इन सभी पदार्थों को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है। जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इनकी जांच की जाती है कि ये वायरस कैसे बना है और इसमें क्या खास बात अलग है। सिक्वेंसिंग के जरिए ये समझने की कोशिश की जाती है कि वायरस में म्यूटेशन कहां पर हुआ।

अगर म्यूटेशन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुआ हो, तो ये ज्यादा संक्रामक होता है जैसा कि ओमिक्रोन के बारे में कहा जा रहा है। किसी भी वायरस के म्यूटेशन को समझने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी है। वायरस रूप बदल-बदलकर खुद को ज्यादा मजबूत बनाते हैं, जिसे म्यूटेशन कहा जाता है। जीनोम सिक्वेंसिंग में DNA या RNA के अंदर मौजूद न्यूक्लियोटाइड के लयबद्ध क्रम का पता लगाया जाता है।

आकाश हेल्थकेयर एंड सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल, द्वारका के इंटरनल मेडिसिन- डिपार्टमेंट हेड तथा सीनियर कंसल्टेंट डॉ राकेश पंडित ने कहा, ‘ओमिक्रोन कोविड-19 वायरस का एक नया प्रकार है। इसलिए हमें अभी इसकी मोर्टिलिटी और ट्रांसमिशन रेट को समझने के लिए कुछ हफ़्तों तक इन्तजार करना पड़ेगा। जैसे-जैसे ओमिक्रोन का खतरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कोविड वैक्सीन की दोनों डोज को लगवाने वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।

मैं यह भी सलाह देता हूं कि सभी हॉस्पिटल आरटी-पीसीआर टेस्ट करें, इस टेस्ट में जीन की भी पहचान कर सकते हैं। आरटी-पीसीआर टेस्ट में जीन न होना ओमिक्रोन वायरस के होने का अप्रत्यक्ष संकेत हो सकता है। भविष्य में हमारे पास जीन सिक्वेंसिंग के लिए और भी ज्यादा सेंटर होंगे।’

एहतियात और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें

पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी- सीनियर कंसल्टेंट और डिपार्टमेंट हेड डॉ अरुणेश कुमार ने कहा , ‘कोविड-19 का नया वैरियंट, Omicron, कई कारणों से दहशत फैला रहा है। यह एक नया वायरस है जिसके बारे में जानकारी अभी बहुत कम है। वैज्ञानिक अभी इस पर रिसर्च कर रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर खबरों से प्रभावित हो रहे हैं और सही दृष्टिकोण अपनाने के बजाय ऊटपटांग चीजें कर रहे हैं।

उन्हें स्थिति से डरना नहीं चाहिए। नई दवाओं के संक्रमण और उसके फैलाव को रोकने के लिए हमें हर समय कोविड के उचित सावधानी वाले नियमों का पालन करना चाहिए। सावधानी ही बचाव है, सतर्क रहें, मास्क पहनें, सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें और ऐसे मुश्किल समय में एकजुट रहें।’

एक्सपर्ट ने दी सलाह

इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (आईएसआईसी) के सीनियर एनेस्थिसियॉलॉजिस्ट डॉ एच के महाजन के अनुसार, ‘ओमिक्रोन अत्यधिक तेज़ी से फैलता है। पहली चीज जो लोगों को करने की जरूरत है, वह किसी भी रूप में सभी सभाओं से बचना है और सभी कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना है जैसे कि मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालन करना, सैनिटाइटर का उपयोग करना और बिल्कुल भी ढिलाई नहीं करना है। अगर हमने सावधानी नहीं बरती और हमने बेफिक्र होकर क्रिसमस और नए साल के आने की हर्षोउल्लास में जमकर पार्टी या गैदरिंग की तो ओमिक्रोन के केस में लगभग 10 से 15% इजाफा आ सकता है।

हमने पिछली बार भी लोगों में वही ढिलाई देखी और अब फिर से देख रहे हैं। भले ही कई परिवारों ने अपने प्रियजनों की मृत्यु देखी हो या किसी ने अपने परिवार के सदस्यों को खोने के बारे में सुना हो, लेकिन हमने अभी कोई सबक नहीं सीखा है। यह दुख की बात है, नवंबर में किसी भी कोविड मामले में भाग नहीं लिया और दिसंबर में यह बढ़कर औसतन प्रतिदिन 5 से 6 रोगी हो गए।

मामले हल्के हैं। लेकिन यह एक अत्यधिक पारगम्य संस्करण है और लोगों को अभी भी प्रवेश की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, भगवान न करे, अगर स्थिति दोहराई गई तो हमारा स्वास्थ्य ढांचा फिर से तनाव में आ जाएगा।

PM Narendra Modi ने कहा है पूरी तैयारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कोविड की स्थिति पर अहम बैठक की और स्थिति और तैयारियों का जायजा लिया। पीएम ने अधिकारियों के साथ बैठक में सतर्क और सावधान रहने की हिदायत दी। प्रधानमंत्री ने कहा की केंद्र सरकार पूरी तरह से तैयार है। पीएम ने कहा कि सरकार प्रोएक्टिव एक्शन और राज्यों को सपोर्ट देने के लिए काम कर रही है। कांटेक्ट ट्रेसिंग, टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस है। केंद्र सरकार जल्द ही उन राज्यों में टीम भेजेगी जहां कोरोना का वैक्सीनेशन का रेट कम है, जिन राज्यों में कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं और उन राज्यों में भी केंद्रीय टीम जाएगी जहां स्वास्थ्य सुविधाएं कमजोर हैं।

केंद्र ने कोरोना से जुड़ी पाबंदियां 31 जनवरी तक बढ़ाईं

ओमिक्रोन के खतरे को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें अलर्ट हो गई हैं। केंद्र ने कोरोना से जुड़ी पाबंदियों को 31 जनवरी, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि इन गाइडलाइंस का सख्ती से पालन किया जाए, यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सुनिश्चित करेंगे। इसमें लोकल और जिला प्रशासन से जरूरत पड़ने पर कंटेनमेंट से जुड़े कदम भी उठाने को कहा गया है।

 

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