हौसलों की उड़ान उड़ रही सीवान की महिला खिलाड़ी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान जिले की नाम रोशन करने वाली महिला खिलाड़ियों का डंका अब राष्ट्रीय युथ खेलो इंडिया चैंपियनशिप मुकाबले में भी बजेगा। इसके लिए सीवान की होनहार महिला खिलाड़ियों का प्रशिक्षण जोड़ो पर चल रही है।

28 जनवरी से 10 फरवरी तक मध्यप्रदेश में चलने वाली इस चैंपियनशिप प्रतियोगिता में सीवान की 27 महिला खिलाड़ियों का चयन हुआ है जिसमें से 20 खिलाड़ी बिहार टीम के लिए खेलेगी। इधर खेलो इंडिया जूनियर चैंपियनशिप मुकाबले में सीवान की खिलाड़ियों के चयन होने के बाद सीवान के चर्चित मैरवा स्थित रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी के 8 महिला खिलाड़ियों को आई एम ए सीवान के पदाधिकारियों ने सम्मानित करते हुए प्रशिक्षण स्थल अल्फा स्पोर्ट्स एकेडमी के लिए आरक्षित वाहन से रवाना किया।

इस शिविर के लिए दिसंबर 2022 में मुजफ्फरपुर के ढोली में चयन शिविर लगाया गया था। जिसमें पूरे बिहार से लगभग 150 खिलाडियों ने भाग लिया था उसमे से 27खिलाडियों का चयन अंतिम शिविर के लिए किया गया है। इस शिविर से 20 खिलाडियों का चयन बिहार टीम के लिए किया जाएगा। इन सभी खिलाडियों को आई एम ए सीवान के अध्यक्ष डा शशिभूषण सिन्हा, सचिव डा शरद चौधरी ,डा आर एन ओझा सहीत आई एम ए सीवान के सभी पदाधिकारियों ने शुभकामनाएं दी है।

हौसलों की उड़ान उड़ रही सीवान की महिला खिलाड़ी

रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी के संस्थापक संजय पाठक ने बताया कि निशुल्क चल रहे रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी के सभी महिला खिलाड़ियों को बेहतरीन बनाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। सीवान की बेटियां बेहतर कल के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। बिहार राज्य से बाहर और देश के लिए खेल रही है। जिसकी वजह से खेल प्रेमियों और उनके परिजनों में खुशी का माहौल है।

क्यों खास है रानी लक्ष्मीबाई महिला स्पोर्ट्स एकोडमी?

 

बिहार की राजधानी पटना से करीब 150 किमी की दूरी पर स्थित मैरवा गांव सिवान जिले में आता है। यहां स्थित हैं रानी लक्ष्मीबाई महिला स्पोर्ट्स एकोडमी। अकादमी में गांव के आस-पास की लड़कियां फुटबॉल की ट्रेनिंग लेती हैं। इस स्पोर्ट्स एकेडमी की उपलब्धि यहीं पर खत्म नही होती। इस एकेडमी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई फुटबॉल खिलाड़ी दिए हैं। और आने वाली पीढ़ी को तैयार कर रही है।
2013 में फ्रांस में आयोजित प्रतियोगिता में देश के लिए फुटबॉल टीम का हिस्सा रह चुकी तारा का कहना है कि जब वह पहली बार खेलने के लिए घर से बाहर निकली थीं तब गांव और समाज के लोगों को यह ठीक नहीं लगा था। लेकिन आज जब वह देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं तब गांव के लोग अपने घर की बेटियों को खेलने के लिए और तारा की तरह बनने को कहते हैं।
2009 में इस एकेडमी की स्थापना हुई थी। जब एक सरकारी स्कूल के टीचर संजय पाठक ने दो बच्चियों के खेल के प्रति जूनून को देखा। एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 2009 में शिक्षक के तौर पर उनका ट्रांसफर मैरवा में हुआ तब भारत सरकार की महत्वकांक्षी खेल योजना “पंचायत युवा खेल अभियान ” चल रही थी।
स्कूल की दो बच्चियां तारा खातून और पुतुल कुमारी दौड़ की प्रतियोगिता में भाग लेना चाहती थीं, बच्चियों जिद करने पर मैंने दौड़ के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की। पहले प्रयास में ही दोनों ही बच्चियों ने block level पर गोल्ड जीत गईं। जिले के लिए दोनों का चयन हुआ वहां भी उन्होंने खेला और स्टेट लेवल पर सिल्वर और गोल्ड मेडल जीता। इन जीत के बाद तारा और पुतुल कुमारी रूकी नहीं उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश के लिए खेला।

 

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