क्या संविधान में राज्यपाल जी को विशेष छूट (इम्यूनिटी) है?

क्या संविधान में राज्यपाल जी को विशेष छूट (इम्यूनिटी) है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

क्या है संविधान के अनुच्छेद 361 की स्थिति?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संविधान का अनुच्छेद 361 जो राष्ट्रपति और राज्यपालों की प्रतिरक्षा से संबंधित है, कहता है कि वे अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए या उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे। प्रावधान में दो महत्वपूर्ण उप-खंड भी हैं:

(1) कि राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रखी जाएगी।

(2) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल की गिरफ्तारी या कारावास की कोई प्रक्रिया उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से जारी नहीं की जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया मुकदमा चलाने पर पूरी तरह रोक लगाता है। उसे आरोपी नहीं बनाया जा सकता। पुलिस केवल राज्यपाल के पद से हटने के बाद ही कार्रवाई कर सकती है, जो तब होता है जब या तो राज्यपाल इस्तीफा दे देता है या फिर उसे राष्ट्रपति का विश्वास प्राप्त नहीं होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

2006 में रामेश्वर प्रसाद बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक फैसले में  राज्यपाल को व्यक्तिगत दुर्भावना के आरोप पर भी प्राप्त छूट की रूपरेखा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में स्थिति यह है कि राज्यपाल को पूर्ण छूट प्राप्त है। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए या उन शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी भी कार्य के लिए किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है। यह फैसला वास्तव में आपराधिक शिकायतों के लिए नहीं बल्कि विवेकाधीन संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए है। हालाँकि, ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ राज्यपाल द्वारा अपना कार्यकाल पूरा करने तक आपराधिक कार्रवाई रोक दी गई थी।

विवाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस को लेकर है। उन पर छेड़खानी का आरोप लगा है। दरअसल, राजभवन में पीस रूम से जुड़ी अस्थायी कर्मचारी होने का दावा करने वाली महिला ने छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी। तब राज्यपाल ने उससे बदसलूकी की और उसने मामले को लेकर हरे स्ट्रीट थाने में लिखित में शिकायत भी दर्ज करवा दी।

इसके साथ ही राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। हालांकि राज्यपाल ने आरोपों का खंड करते हुए इसे साजिश करार दिया है। उन्होंने इसे इंजीनियर्ड नैरेटिव बताया है। महिला की शिकायत के बावजूद राज्यपाल के खिलाफ अभी तक यौन उत्पीड़न की धाराओं में केस दर्ज नहीं हुआ है। बंगाल पुलिस कानूनी सलाह ले रही है कि इस मामले में कार्रवाई कैसे की जाए? संवैधानिक छूट पुलिस को राज्यपाल को आरोपी के रूप में नामित करने या यहां तक ​​​​कि मामले की जांच करने से रोकती है और गिरफ्तारी से इम्यूनिटी मिली हुई है।

 कल्याण सिंह को आरोपों से मिली छूट 

2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस में भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती के खिलाफ आपराधिक साजिश के नए आरोपों की अनुमति दी। हालाँकि, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के लिए सुनवाई नहीं हुई क्योंकि वह उस समय राजस्थान के राज्यपाल थे। सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि कल्याण सिंह, राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते, संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत तब तक छूट के हकदार हैं जब तक वह राजस्थान के राज्यपाल बने रहेंगे। जैसे ही वह राज्यपाल नहीं रहेंगे, सत्र न्यायालय उनके खिलाफ आरोप तय करेगा और कदम उठाएगा।

जब सेक्स सीडी में फंसे थे आंध्र प्रदेश के गवर्नर

2017 में राजभवन के कर्मचारियों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद केंद्र के आदेश के बाद मेघालय के तत्कालीन राज्यपाल वी षणमुगनाथन ने इस्तीफा दे दिया था। 2009 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल एन डी तिवारी ने भी राजभवन में कथित सेक्स स्कैंडल के बाद “स्वास्थ्य के आधार पर” इस्तीफा दे दिया था। उस वीडियो क्लिप को तेलुगू चैनल ने प्रसारित किया था। हैदराबाद हाई कोर्ट ने इस वीडियो क्लिप को चलाने पर तुरंत रोक लगवाई थी। उस समय कई महिला संगठनों ने तिवारी के खिलाफ एक्शन लिए जाने की मांग की थी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!