संदेश@पार्टियों के चुनाव चिन्हों की तर्ज पर मिठाई बन रही है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और कार्यकर्ता मैदान में उतर गये हैं. उमसभरी गर्मी में नेताओं का ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार जारी है. इसी बीच एक मिठाई विक्रेता ने प्रत्याशियों के बीच चल रही जुबानी जंग में मिठास घोलने की कोशिश की है. मध्य हावड़ा के हावड़ा मैदान स्थित इस दुकान में सभी राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह की मिठाइयां खूब सुर्खियां बटोर रही हैं.
चर्चा में मिठाई दुकान
लोकसभा चुनाव के दौरान एक मिठाई दुकान चर्चा में है. यहां प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं के साथ ग्राहकों की भी भीड़ देखी जा रही है. मिठाई दुकान के मालिक सैकत पाल ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्योहार है और बिना मिठाई के त्योहार का रंग फीका होता है. राजनीति का मतलब लोगों के बीच मधुर संबंध बनाना है. इसी बात का ध्यान रखते हुए सभी दलों के चुनाव चिन्हों की तर्ज पर स्वादिष्ट संदेश तैयार की गयी है.
100 रुपये में बिक रही मिठाई
दुकान में तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, माकपा और कांग्रेस के चुनाव चिन्ह की तरह संदेश उपलब्ध है. प्रत्येक संदेश की कीमत 100 रुपये है. समय मिलते ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और कार्यकर्ता दुकान जाकर संदेश का आनंद ले रहे हैं. दुकान मालिक के अनुसार यूं तो हर तरह की मिठाइयां बिक रही हैं. सबसे अधिक बिक्री तृणमूल कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर बनी संदेश की हो रही है. भाजपा दूसरे पायदान पर है.
पार्टी के नेता-कार्यकर्ता भी पहुंच रहे हैं
भाजपा प्रत्याशी डॉ रथीन चक्रवर्ती शनिवार को अपने कार्यकर्ताओं के साथ दुकान पहुंचे और संदेश का आनंद लिया. डॉ चक्रवर्ती ने कहा कि संदेश लोगों के बीच संबंधों को मधुर बनाता है. वहीं, मध्य हावड़ा युवा तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक चट्टोपाध्याय ने कहा कि हमारी पार्टी के संदेश की अधिक बिक्री देखकर अच्छा लग रहा है.
संदेश एक बहुत ही प्रचलित और पसंद की जाने वाली बंगाली मिठाई हैं जो बनाने में बहुत ही आसान हैं और आपके किसी भी अवसर को खास बना देती हैं। इसे बनाने के लिए इस स्टेप-बाय-स्टेप फोटो रेसिपी का अनुसरन करें और साथ ही इसमें घर पर पनीर (छैना) बनाने का तरीका और दूध या पनीर की कच्ची खुश्बू को निकालने के लिए पनीर को पकाने का तरीका भी समजाया गया हैं। हालांकि, आप संदेश इस तरीके का उपयोग किए बिना भी बना सकते हैं.
मध्ययुगीन बंगाली साहित्य में सन्देश नाम से एक मिठाई का उल्लेख किया गया है, जोकि कृतिबास की रामायण और चैतन्य के गीतों में शामिल हैं। हालाँकि, इस मूल व्यंजन के अवयवों का अभी कुछ पता नहीं है। यह व्यंजन आधुनिक छेना-आधारित सन्देश से कुछ अलग थी, जो की ठोस खोया से बनी थी।
यह निर्धारित करना कठिन है कि कब सन्देश ने मुख्य रूप से खोया-आधारित मिठाई के बजाय छेना-आधारित मिठाई का उल्लेख करना शुरू कर दिया। लेकिन यह ज्ञात है कि 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, सन्देश को सामान्यतः छेना-आधारित मिठाई कहा जाता था। .पुर्तगाली प्रभाव के कारण सोलहवीं शताब्दी में पनीर (यानी छेना) की शुरुआत हुई।
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