गांवों में अब भरोसेमंद इलाज की गारंटी — सारण के दो आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को मिला नेशनल सर्टिफिकेट

गांवों में अब भरोसेमंद इलाज की गारंटी — सारण के दो आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को मिला नेशनल सर्टिफिकेट
• गोविन्दचक और गोपालपुर स्वास्थ्य केंद्रों को मिला राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणन
• ग्रामीण इलाकों में अब मिलेगी भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा
• तीन साल तक हर वर्ष 1.26 लाख की मदद से होगा केंद्रों का उन्नयन
• टीम वर्क और बेहतर प्रबंधन से मिली बड़ी सफलता

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

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अब सारण के ग्रामीण इलाकों में भी मरीजों को मिलेगी शहर जैसी स्वास्थ्य सुविधा। जिले के दो आयुष्मान आरोग्य मंदिर सोनपुर प्रखंड का गोविन्दचक और नगरा प्रखंड का गोपालपुर नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) के तहत राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त कर चुके हैं। यह उपलब्धि न सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की प्रतिबद्धता का परिणाम है, बल्कि उन स्वास्थ्यकर्मियों के सामूहिक प्रयास का भी नतीजा है जो गाँव के अंतिम व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने का सपना देख रहे हैं। गोविन्दचक आयुष्मान आरोग्य मंदिर को 89.57 प्रतिशत और गोपालपुर केंद्र को 84.47 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। इन अंकों के साथ दोनों केंद्र अब देश के उन चुनिंदा प्राथमिक स्वास्थ्य संस्थानों में शामिल हो गए हैं जो गुणवत्ता, सेवा और प्रबंधन के उच्चतम मानकों पर खरे उतरे हैं।

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में बड़ा कदम
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि किसी एक केंद्र का प्रमाणीकरण “सामूहिक जिम्मेदारी” का परिणाम होता है। “नीचे से ऊपर तक हर स्तर के स्वास्थ्यकर्मी का योगदान जरूरी होता है। वित्तीय संसाधनों की मजबूती, प्रशिक्षित कर्मी, बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर के बिना यह संभव नहीं है। राज्य सरकार की प्राथमिकता अब ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। एचडब्ल्यूसी यानी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को केंद्र में रखकर स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जा रहा है ताकि लोग अपने गाँव में ही बेहतर इलाज पा सकें।

एनक्यूएएस भरोसे का प्रतीक है:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि NQAS का उद्देश्य सिर्फ सर्टिफिकेट देना नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं में जनता का विश्वास बढ़ाना है। “यह ढांचा सेवा प्रावधान, रोगी अधिकार, नैदानिक देखभाल, संक्रमण नियंत्रण और गुणवत्ता प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। इससे न केवल मरीजों को बेहतर परिणाम मिलते हैं, बल्कि वे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा भी करते हैं।

तीन साल तक हर वर्ष मिलेगा 1.26 लाख रुपये
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रमाणित केंद्रों को तीन वर्षों तक प्रति वर्ष ₹1.26 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
यह राशि केंद्र के उन्नयन, उपकरणों की उपलब्धता और सेवाओं के विस्तार में खर्च की जाएगी। “प्रमाणीकरण के लिए विशेषज्ञ टीम केंद्रों की सेवाओं, मरीजों की संतुष्टि, क्लिनिकल प्रोटोकॉल, संक्रमण नियंत्रण और गुणवत्ता प्रबंधन की गहराई से जांच करती है। जो केंद्र इन सभी मानकों पर खरे उतरते हैं, उन्हें ही राष्ट्रीय प्रमाणन दिया जाता है।
इन प्रमुख मानकों पर किया गया मूल्यांकन
• सेवाएँ और उनकी निरंतरता
• मरीजों के अधिकार व संतुष्टि
• इनपुट (संसाधन, स्टाफ, उपकरण)
• सपोर्ट सर्विसेस
• क्लिनिकल सेवाएँ
• संक्रमण नियंत्रण प्रणाली
• गुणवत्ता प्रबंधन और आउटकम

गाँवों में स्वास्थ्य की नई कहानी:
गोपालपुर और गोविन्दचक जैसे सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां पहले मामूली इलाज के लिए भी मरीजों को शहर तक जाना पड़ता था, अब वहीं डॉक्टर, नर्स और दवाओं की सुविधा “घर के पास” मिल रही है। इन केंद्रों पर अब गर्भवती महिलाओं की जांच, बच्चों के टीकाकरण, ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच के साथ-साथ टेलीमेडिसिन और हेल्थ काउंसलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है।

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