हमारे आदर्श महापुरुषों ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया – आदित्य कृष्ण गुरु जी
श्रीनारद मीडिया, जीरादेई, सीवान (बिहार):

जीरादेई प्रखण्ड मुख्यालय स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में श्रीमद भगवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को अंतराष्ट्रीय कथावाचक आदित्य कृष्ण गुरु जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने नारी शशक्तिकरण को सबल और आत्मस्वलंबी बनाया जो वर्तमान सरकार की मुहिम है ।
उन्होंने बताया कि हमारे आदर्श पुरुष भगवान श्री कृष्ण ने महिला नेतृत्व को मजबूत किया ।उन्होंने बताया कि कृष्ण ने अपने नेतृत्व को महाभारत की पांच महान नारियों के साथ बांटा ।ये थी राधा,यशोदा,रुक्मिणी,कुंतीऔर द्रौपदी । कथावाचक ने कहा कि राधा की भक्ति समर्पण की थी ।वे गोप और गोपिकाओं का नेतृत्व करने में बराबर की साझीदार थी परन्तु उनकी भूमिका कृष्ण के प्रति सम्पूर्ण समर्पण पर यकीन करती थी ।
वही यशोदा की भक्ति वात्सल्य प्रकृति की थी ।कृष्ण के मामले में यशोदा सदा अपने पति नन्द को सफलता पूर्वक प्रभावित करती थी ।नन्द और यशोदा को जो पारिवारिक नेतृत्व प्राप्त हुआ उसमें कृष्ण हमेशा शामिल रहे ।कथावाचक ने बताया कि कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी ने परिवार की छवि को और अधिक तेजस्विता प्रदान की क्योंकि उन्होंने परिवार प्रशासन को पूर्ण रूपेण एकीकृत और पारदर्शी बना दिया । उन्होंने बताया कि रुक्मिणी द्वारका में कृष्ण के सामुदायिक नेतृत्व में सहयोग किया ।जब भी कृष्ण किसी सामाजिक व राजनैतिक उद्देश्य से द्वारिका से बाहर जाते थे,तब रुक्मिणी परिवार से सम्बंधित उत्तरदायित्व का निर्वहन करती थी ।
सबसे महत्वपूर्ण कार्य था कृष्ण के पत्नियों को खुश रखना ,परन्तु वे सभी बहनों की तरह रुक्मिणी के नेतृत्व में खुश रहती थी । कथावाचक ने बताया कि कृष्ण ने कुंती का पथ प्रदर्शन कठिन परिस्थितियों में भी किया ताकि वे अपने पुत्रों का ममतावश ही नहीं तार्किक दृष्टिकोण से भी नेतृत्व कर सके ।उन्होंने बताया कि महाभारत में सबसे अधिक तेजस्वी,विजयपरक महिला नेतृत्व द्रौपदी का था ।उसका भी एक नाम कृष्ण था ।उसका जन्म द्रुपद के यहाँ एक विशिष्ट यज्ञ द्वारा हुआ था ।
उन्होंने ने कहा कि द्रौपदी ने कृष्ण के क्षत्रिय धर्म को मूर्त रूप देते हुए पांडवों की इच्छा शक्ति को प्रज्वलित रखा ताकि वे अपने अंतिम लक्ष्य को हासिल कर सके । इस प्रकार कृष्ण ने महाभारत के पात्रों की तमाम महिलाओं को नेतृत्व करने का अवसर दिया है तथा महिला शसक्तीकरण का कोई वास्तविक जनक है तो वह भगवान श्री कृष्ण । उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण प्रकृति प्रेमी थे उनका जीवन दर्शन अनेक बुराईयों व बीमारियों से लड़ने का सीख देता है तथा कोरोना हो या कोई असाध्य बीमारी इनके बताये रास्ते पर चलने से स्वतः समाप्त हो जाते है ।
उन्होंने सबको संयमित जीवन जीने ,सात्विक आहार लेने व सफाई पर ध्यान देने का सुझाव दिया । मंच का संचालन शिक्षाविद प्रशांत विक्रम ने किया.
इस मौके पर शिक्षा प्रेमी डिवाइन इंस्टीच्यूट के निदेशक सुभाष प्रसाद ,रामेश्वर सिंह ,डा कृष्ण कुमार सिंह ,स्थानीय मुखिया अक्षय लाल साह,यजमान पूर्व जिला पार्षद सह जेडीयू नेता लालबाबु प्रसाद ,संजय कुशवाहा ,राजन राज शालू ,नीरज सिंह ,अमरजीत शर्मा आदि उपस्थित थे ।
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