लोकमंथन 2022ः लोक परंपरा में शक्ति की अवधारणा पर वक्ताओं ने रखे विचार

लोकमंथन 2022ः लोक परंपरा में शक्ति की अवधारणा पर वक्ताओं ने रखे विचार महामंडलेश्वर माता पवित्रानंद गिरी ने अपने जीवन के कुछ पहलुओं का किया उल्लेख एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं समाज में शक्ति की अवधारणाएंः सोनल मानसिंह श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क राज्यसभा सदस्य एवं प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मानसिंह ने चार दिवसीय लोकमंथन-2022 में…

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क्या एक बार पुनः असम आना ही होगा !

क्या एक बार पुनः असम आना ही होगा ! यात्रा वृतांत राजेश पाण्डेय की लेखनी से श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क असम एक बार पुनः आना ही होगा। लोकमंथन-2022 में भाग लेने हेतु गुवाहाटी आना हुआ, लेकिन किंवदंती के अनुसार हमारी आत्मायें वहीं ठहर गई है, इस पहले सफर में पहाड़ी ढलानों पर उगे पेड़ों और…

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फिरंगी दासता के दौर में राष्ट्रीयता, समरसता, आत्मनिर्भरता की त्रिवेणी बहा गए भारतेंदु हरिश्चंद्र: गणेश दत्त पाठक

फिरंगी दासता के दौर में राष्ट्रीयता, समरसता, आत्मनिर्भरता की त्रिवेणी बहा गए भारतेंदु हरिश्चंद्र: गणेश दत्त पाठक पाठक विचार मंच द्वारा महान साहित्यकार, राष्ट्र भक्त भारतेंदु हरिश्चंद्र की जयंती पर परिचर्चा का आयोजन श्रीनारद मीडिया, गणेश दत पाठक, सेंट्रल डेस्‍क: आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र ने साहित्य साधना के साथ राष्ट्रीय चेतना के…

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किताबें ही तो सुलझाती हैं जिंदगी की उलझनें!

किताबें ही तो सुलझाती हैं जिंदगी की उलझनें! विश्व पुस्तक दिवस पर मेरी बात ✍️गणेश दत्त पाठक श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क किताबें मैं पढ़ता रहा था। पढ़ाई के दौरान सिर्फ पाठ्यपुस्तकों से ही ज्यादा याराना रहा। लेकिन जब 2015 में मुझे ब्रेन ट्यूमर हुआ तो सर्जरी के बाद निम्हांस अस्पताल बेंगलुरु के डॉक्टरों ने आराम…

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प्रख्यात साहित्यकार रामदरश जी ने मनाया अपना 99वाँ जन्मदिवस

प्रख्यात साहित्यकार रामदरश जी ने मनाया अपना 99वाँ जन्मदिवस कई पुस्तकें और पत्रिकाएं लोकार्पित हुईं श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क यह एक विरल अवसर था जब हिंदी विश्व के वरिष्ठ लेखक प्रो रामदरश मिश्र ने आजादी के अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2022 को अपना 99 वाँ जन्मदिवस आत्मीय लेखकों के बीच अपने घर पर ही मनाया।…

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जिंदगी को ऊर्जस्वित कर गए शिवमंगल सिंह ‘ सुमन’

जिंदगी को ऊर्जस्वित कर गए शिवमंगल सिंह ‘ सुमन’ प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की जयंती पर सादर श्रद्धांजलि ✍️गणेश दत्त पाठक श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क क्या हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत मैं संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही। वरदान माँगूँगा नहीं। उपर्युक्त पंक्तियां साहित्य के उस…

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महान संत और अद्भुत कवि गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर रोचक कथा!

महान संत और अद्भुत कवि गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर रोचक कथा! श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क गोस्वामी तुलसीदास न केवल एक महान हिंदू संत और कवि थे बल्कि महाकाव्य रामचरितमानस समेत उन्होंने कुल 12 ग्रंथों की रचना की जिनमें श्रीरामचरितमानस, दोहावली, कवितावली, जानकीमंगल, पार्वती मंगल, वैराग्य संदीपनी, विनयपत्रिका, गीतावली, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि प्रमुख हैं!…

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जिसने ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया और अंग्रेजों को इस पर बैन लगाना पड़ा

जिसने ब्रिटिश हुकूमत को हिला दिया और अंग्रेजों को इस पर बैन लगाना पड़ा मैथिलीशरण गुप्त की जयंती पर विशेष श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क   कुछ काम करो, कुछ काम करो जग में रह कर कुछ नाम करो जब भारत अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन कर रहा था, उस वक्त कई स्वतंत्रता सेनानी अपनी जान की…

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साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा

साहित्य के एक कालखंड को नामवर युग के नाम से जाना जायेगा श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क हिंदी साहित्य के सर्वोच्च शिखर युग पुरुष प्रोफेसर नामवर सिंह के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में आई. टी. ओ. दिल्ली के हिंदी भवन में ‘’ एक शाम नामवर के नाम’’ कार्यक्रम का आयोजन नारायणी साहित्य अकादमी द्वारा किया गया।…

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मुंशी जी अभी भी प्रासंगिक दिखते हैं तो ये हमारी व्यवस्था की असफलता का ही सूचक हो सकता है?

मुंशी जी अभी भी प्रासंगिक दिखते हैं तो ये हमारी व्यवस्था की असफलता का ही सूचक हो सकता है? समावेशी और न्यायपूर्ण व्यवस्था का सृजन ही हो सकती है कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर विशेष आलेख ✍️ गणेश दत्त पाठक श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क…

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शुद्ध हिंदी का कोई मानक सर्वमान्य रूप से तय नहीं है,क्यों?

शुद्ध हिंदी का कोई मानक सर्वमान्य रूप से तय नहीं है,क्यों? श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क भाषा की समस्या केवल हिंग्लिश के अंधाधुंध प्रयोग ही नहीं है, उसके कुछ अन्य आयाम भी हैं. समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों में दोषपूर्ण अनुवाद के अनेक उदाहरण मिलते हैं. अनुवाद में सरल, तद्भव और प्रचलित देशज शब्दों के स्थान…

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मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’, पढ़िए रामधारी सिंह दिनकर की पूरी कविता

मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’, पढ़िए रामधारी सिंह दिनकर की पूरी कविता श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर  की यह कविता  रश्मिरथाी से  है ‘मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है’।  काफी लोकप्रिय है इसे जितने बार पढ़ेंगे उतनी आपको उर्जा मिलेगी     सच…

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