पूर्वोत्तर के विकास में पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे का योगदान

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे की स्थापना 1958 में हुई थी। इसका मुख्यालय गुवाहाटी के मालिगांव में स्थित है। जैसा कि नाम है “पूर्वोत्तर सीमा रेल” भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित सभी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर तथा मेघालय को स्पर्श करता है।
पू॰ सी॰ रेल भारत की सेवा में समर्पित है और इस क्षेत्र की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने की सच्ची आश ने इस रेल के निष्पादन को सुधारने में काफी मदद की है। बंगलादेश के साथ अंर्तबदल सुविधा तथा नेपाल और भूटान के लिए रेल शीर्ष के रूप में कार्य करने के अलावा पू॰ सी॰ रेल कुल 10 राज्यों की सेवा करती है।
सन 1881 में रेल ने पहली बार असम में प्रवेश किया जब ‘असम रेलवे एवं ट्रैडिंग कम्पनी’ ने चाय एवं कोयला ले जाने के उद्देश्य से मारघेरिटा में डिब्रूगढ़ से माकुम कोयला खान तक 65 कि: मी: लम्बा मीटर लाइन का निर्माण शुरू किया। इस क्षेत्र के रेल के लिए सन 1881 एक अन्य घटना के लिए भी एक ऐतिहासिक वर्ष रहा और वह है दार्जिलिंग – हिमालय रेल के किबंदति स्वरूप टॉय ट्रैन का चालू होना।

सन 1881 में रेल ने पहली बार असम में प्रवेश किया जब ‘असम रेलवे एवं ट्रैडिंग कम्पनी’ ने चाय एवं कोयला ले जाने के उद्देश्य से मारघेरिटा में डिब्रूगढ़ से माकुम कोयला खान तक 65 कि: मी: लम्बा मीटर लाइन का निर्माण शुरू किया। इस क्षेत्र के रेल के लिए सन 1881 एक अन्य घटना के लिए भी एक ऐतिहासिक वर्ष रहा और वह है दार्जिलिंग – हिमालय रेल के किबंदति स्वरूप टॉय ट्रैन का चालू होना।

भारत के विभाजन के साथ ही राजनीतिक सीमा के अनुसार बंगाल-असम रेल को पुनः विभाजित करना पड़ा। इसके फलस्वरुप अगस्त 1947 को पांडू में मुख्यालय के साथ ‘असम रेल’ की स्थापना की गई। सर्व भारतीय रेल मार्ग स्थापित करने के लिए 26 जनबरी 1948 में किशनगंज से फकीरग्राम तक 142 मील लंबी असम रेल लिंक परियोजना का निर्माण युद्व स्तर पर शुरू किया गया और रिकार्ड समय के अंदर पूरा कर दिसम्बर 1949 में यातायात के लिए खोल दी गई। पहली यात्री गाड़ी 26 जनबरी 1950 से चलाई गई।

भारत के विभाजन के साथ ही राजनीतिक सीमा के अनुसार बंगाल-असम रेल को पुनः विभाजित करना पड़ा। इसके फलस्वरुप अगस्त 1947 को पांडू में मुख्यालय के साथ ‘असम रेल’ की स्थापना की गई। सर्व भारतीय रेल मार्ग स्थापित करने के लिए 26 जनबरी 1948 में किशनगंज से फकीरग्राम तक 142 मील लंबी असम रेल लिंक परियोजना का निर्माण युद्व स्तर पर शुरू किया गया और रिकार्ड समय के अंदर पूरा कर दिसम्बर 1949 में यातायात के लिए खोल दी गई। पहली यात्री गाड़ी 26 जनबरी 1950 से चलाई गई।

भारतीय रेल के पुनवर्गीकरन के साथ ही 14 अप्रैल 1952 को संपूर्ण असम रेल प्रणाली को गोरखपुर में मुख्यालय सहित पूर्वोत्तर रेल के साथ शामिल कर दिया गया। पूर्वोत्तर के विकास को गति देने के लिए विभाजित पूर्वोत्तर रेल से काट कर 15 जनवरी 1958 को मालीगांव में मुख्यालय के साथ ‘पूर्वोत्तर सीमा रेल’ बनाई गई।

इस रेलवे के अंतर्गत आने वाले मण्डल निम्न हैं-

  1. अलीपुर द्वार
  2. कटिहार
  3. लामडिंग
  4. रंगिया
  5. तिनसुकिया

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