क्या पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ेंगी?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और सऊदी अरब ने 5 सिंतबर को करार किया कि वो अगले तीन महीने तेल उत्पादन में कटौती जारी रखेंगे। UAE, इराक समेत 23 OPEC+ देश पहले ही कम तेल उत्पादन कर रहे हैं। इस वजह से 2023 में पहली बार क्रूड ऑयल की कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं।

गुरुवार को लाइव मिंट ने रिपोर्ट किया कि रूस की वो कंपनियां भी तेल उत्पादन घटा रही हैं, जिनमें भारतीय कंपनियों ने करीब 1.3 लाख करोड़ रुपए लगा रखे हैं। पिछले कुछ महीनों से भारत की जरूरत का सबसे ज्यादा तेल रूस से ही आता है, इसलिए सरकार की चिंता बढ़ना लाजिमी है।

सऊदी अरब अगले 3 महीने तक हर रोज 10 लाख बैरल और रूस हर रोज 3 लाख बैरल तेल का उत्पादन घटाएगा। ये दुनियाभर में हर रोज होने वाले तेल सप्लाई का करीब 1% है। यही वजह है कि 2023 में पहली बार कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई, जो अक्टूबर 2022 के बाद से 75 से 85 डॉलर के बीच बनी हुई थी।

तेल का उत्पादन घटाकर कीमत बढ़ाने का गणित क्या है?
जनवरी 2020 की बात है। अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन 12.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसी समय कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में तेल की मांग घटी। तेल के उत्पादन में कोई कमी नहीं हुई। इस वजह से तेल की कीमतें जमीन छूने लगीं।

घाटा कम करने के लिए सऊदी अरब, इराक और अमेरिका के कई तेल ऑपरेटरों ने अपने कुओं को बंद कर दिया। तेल उत्पादन में कटौती के बाद सप्लाई घटी तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

1. फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। 2008 के बाद से कच्चा तेल इस स्तर पर कभी नहीं गया था। इसके बाद तेल के भाव तब नीचे आए जब अमेरिका और रूस जैसे देशों ने इंटरनेशनल मार्केट में अपना रिजर्व तेल बेचना शुरू कर दिया। इसका परिणाम ये हुआ कि मार्च 2023 में क्रूड ऑयल की कीमत गिरकर 75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।

2. अप्रैल 2023 में पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल का ग्लोबल स्टोरेज 18 महीने के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था। स्टोरेज ज्यादा होने और मांग कम होने की वजह से तेल की कीमत घटने लगी। कीमत बढ़ाने के लिए OPEC+ देशों ने तेल उत्पादन में कटौती की थी। इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत 89 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। अब अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल की कीमत बढ़े या स्थिर रहे, इसके लिए रूस और सऊदी ने ये फैसला लिया है।

3. 2008-2009 में फाइनेंशियल क्राइसिस की वजह से महज 5 महीने के भीतर क्रूड का भाव 148 डॉलर से गिरकर 32 डॉलर हो गया था। मई 2023 में अमेरिका में सिलिकॉन वैली, सिग्नेचर और फर्स्ट रिपब्लिक जैसे बड़े बैंकों के डूबने की खबर सामने आई। इसके अलावा अगस्त 2023 में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 10 अमेरिकी बैंकों की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है। इन सबकी वजह से एक बार फिर से तेल की कीमत में गिरावट की आशंका जताई जा रही है।

तेल उत्पादन घटाने से क्रूड ऑयल खरीदने वाले देश चिंता में क्यों हैं…

  • रूस और सऊदी अरब ने तेल उत्पादन घटाने का फैसला ऐसे समय में लिया है, जब पहले से ही OPEC+ देश तेल उत्पादन कम कर रहे हैं। इसकी वजह से वैश्विक स्तर पर तेल में कमी से कीमत बढ़ सकती है।
  • अमेरिकी मार्केट गुरु लैरी मैकडोनाल्ड का कहना है कि अगस्त 2023 में अमेरिकी तेल रिजर्व बीते 40 साल में सबसे कम रह गया। ऐसे वक्त में अगर रूस-सऊदी तेल उत्पादन कम करते हैं तो महंगाई काबू करने के लिए इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिका के लिए और ज्यादा तेल पंप करना मुश्किल हो जाएगा।
  • दुनिया का टॉप निवेश बैंक गोल्ड मैन सैक्स ने अगले 12 महीने में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका जताई है। अक्टूबर 2022 में इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी IEA ने कहा था कि OPEC+ देश अगर तेल उत्पादन में कटौती करते हैं तो इससे दुनिया आर्थिक मंदी की ओर बढ़ सकती है। ऐसे में निश्चित तौर पर सऊदी के लगातार तेल उत्पादन में कटौती से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।

रूस-सऊदी के तेल प्रोडक्शन में कटौती से भारतीय कंपनियां क्यों परेशान?
भारत की 4 तेल कंपनियों ने रूस में 16 बिलियन डॉलर यानी 1.32 लाख करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है। रूस के तेल उत्पादन में कटौती का असर इन कंपनियों पर भी पड़ेगा। मतलब साफ है कि रूस की तेल कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट करने वाली भारतीय कंपनियां दबाव में हैं।

भारत की इन 4 कंपनियों ने रूसी तेल कंपनियों में पैसा इन्वेस्ट किया है…

  • भारतीय तेल कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (OVL) के पास रूसी तेल कंपनी सखालीन-1 की 20% हिस्सेदारी है।
  • भारत की 4 कंपनियां OVL, ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL), इंडियन ऑयल कॉर्प लिमिटेड (IOCL) और भारत पेट्रोसोर्सेस ने मिलकर रूसी CSJC वेंकोरनेफ्ट कंपनी में 49.9% हिस्सेदारी खरीदी है।
  • OIL, IOCL और भारत पेट्रोसोर्सेस ने मिलकर रूसी LLC Taas-Yuryakh कंपनी में 29.9% हिस्सेदारी खरीदी है।
  • जुलाई में भारत 2.1 मिलियन बैरल तेल हर रोज रूस से खरीदा। वहीं, अगस्त में भारत ने रूस से हर रोज 1.63 मिलियन बैरल तेल खरीदा। ऐसे में साफ है कि अगस्त महीने में रूस से तेल के आयात में भारी गिरावट देखने को मिली है। यह आने वाले महीने में और घटने की संभावना है।
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