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14 को देवउठनी एकादशी, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य. - श्रीनारद मीडिया

14 को देवउठनी एकादशी, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

इस साल 14 नवंबर को देवउठनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी है, इस दिन से शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन तुलसी-सालिग्राम का विवाह होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं, एक महीने में दो एकादशी की तिथियां होती हैं।मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। चतुर्मास एकादशी जुलाई में थी। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास का अंत हो जाता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

लंगड़े की चौकी मंदिर के महंत गोपी गुरू ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा करके बैकुंठ लौटे थे, इस एकादशी को कई नामों से जाना जाता है जैसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राजसूय यज्ञ करने से भक्तों को जिस पुण्य की प्राप्ति होती है,

उससे भी अधिक फल इस दिन व्रत करने पर मिलता है। ज्योतिषाचार्य डा. शोनू मेहरोत्रा ने बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। वर्तमान समय में चातुर्मास चल रहा है। पंचांग के अनुसार चातुर्मास का आरंभ पिछले साल 20 जुलाई 2021 को हुआ था। चातुर्मास में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2021, रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है.

चातुर्मास मास का समापन (Chaturmas 2021)
वर्तमान समय में चातुर्मास चल रहा है. पंचांग के अनुसार चातुर्मास का आरंभ बीते 20 जुलाई 2021 को हुआ था. चातुर्मास में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. 14 नबंवर 2021 को देवउठनी एकादशी पर चातुर्मास समाप्त होगा. मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु आराम करते हैं. जिस दिन भगवान विष्णु का शयन काल आरंभ होता है, उसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है. वहीं जिस दिन भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होता है, उस दिन पड़ने वाली एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. भगवान विष्णु का शयन काल समाप्त होते ही शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं.

तुलसी विवाह 2021 (Tulsi Vivah 2021)
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है. इस दिन तुलसी की शालिग्राम से शादी की जाती है. तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय हैं. तुलसी को पवित्र माना गया है.

देवउठनी एकादशी का महत्व (Dev Uthani Ekadashi Shubh Muhurat)
एकादशी का व्रत सभी व्रतों में शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है. एकादशी व्रत का वर्णन महाभारत की कथा में भी मिलता है. श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया था. इसके बाद युधिष्ठिर ने विधि पूर्वक एकादशी व्रत को पूर्ण किया था. एकादशी व्रत पापों से मुक्ति दिलाता है और मनोकामनाओं को पूर्ण करता है.

देव उठानी एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारम्भ- 14 नवम्बर, 2021 को प्रातः 05 बजकर 48 मिनट से.
एकादशी तिथि का समाप्त- 15 नवम्बर, 2021 को प्रातः 06 बजकर 39 मिनट पर.

 

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