गोवर्धन पूजा आज‚ क्यों होता है गोवर्धन पूजा‚ जाने पूजा का विधि

गोवर्धन पूजा आज‚ क्यों होता है गोवर्धन पूजा‚ जाने पूजा का विधि

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्कः

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। यह दिन गिरिराज गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस बार गोवर्धन पूजा 05 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को की जाएगी। इस दिन को गोवर्धन पूजा के साथ-साथ अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। इस दिन नई फसल के अनाज और सब्जियों को मिलाकर अन्न कूट का भोग बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है। घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत व गाय, बछड़ो आदि की आकृति बनाकर पूजन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण के द्वारा इंद्रदेव का अंहकार दूर करने के स्मरण में गोवर्धन का त्योहार मनाया जाता है।

गोवर्धन पूजा का महत्व-

भगवान कृष्ण के द्वारा इंद्रदेव का अंहकार दूर करने के स्मरण में गोवर्धन का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार,भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज के समस्त नर-नारियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है। यह एक तरह का पकवान होता है जिसे अन्न और सब्जियों को मिलकर बनाया जाता है और भगवान को भोग लगाया जाता है। गोवर्धन की पूजा करके लोग प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त-

गोवर्धन पूजा 5 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि आरंभ- 05 नवंबर 2021 को प्रातः तड़के 02 बजकर 44 मिनट से
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि समाप्त- 05 नवंबर 2021 को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट पर
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06 बजकर 35 मिनट से 08 बजकर 47 मिनट तक।
अवधि- 02 घण्टे 11 मिनट्स
गोवर्धन पूजा सायंकालीन मुहूर्त – 03 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक।
अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट

? गोवर्धन पूजा विधि :-
=============
? इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनानी चाहिए। इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजन करना चाहिए। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन भी करना चाहिए। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाना चाहिए।

? गोवर्धन अन्नकूट पूजा व्रत कथा
===================
हिंदू धर्म में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मनुष्य का सीधा संबंध दिखाई देता है। इस पर्व से जुड़ी एक लोककथा है। एक समय की बात है श्रीकृष्ण अपने मित्र ग्वालों के साथ पशु चराते हुए गोवर्धन पर्वत जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से व्यक्ति एक उत्सव मना रहे थे। श्रीकृष्ण ने इसका कारण जानना चाहा तो वहाँ उपस्थित गोपियों ने उन्हें कहा कि आज यहाँ मेघ व देवों के स्वामी इंद्रदेव की पूजा होगी और फिर इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे, फलस्वरूप खेतों में अन्न उत्पन्न होगा और ब्रजवासियों का भरण-पोषण होगा। यह सुन श्रीकृष्ण सबसे बोले कि इंद्र से अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है जिनके कारण यहाँ वर्षा होती है और सबको इंद्र से भी बलशाली गोवर्धन का पूजन करना चाहिए।

श्रीकृष्ण की बात से सहमत होकर सभी गोवर्धन की पूजा करने लगे। जब यह बात इंद्रदेव को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलाधार बारिश करें। भयावह बारिश से भयभीत होकर सभी गोपियां-ग्वाले श्रीकृष्ण के पास गए। यह जान श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलने के लिए कहा। सभी गोपियां-ग्वाले अपने पशुओं समेत गोवर्धन की तराई में आ गए। तत्पश्चात श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा पर उठाकर छाते-सा तान दिया।

इन्द्रदेव के मेघ सात दिन तक निरंतर बरसते रहें किन्तु श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी। यह अद्भुत चमत्कार देखकर इन्द्रदेव असमंजस में पड़ गए। तब ब्रह्मा जी ने उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार है। सत्य जान इंद्रदेव श्रीकृष्ण से क्षमायाचना करने लगे। श्रीकृष्ण के इन्द्रदेव को अहंकार को चूर-चूर कर दिया था अतः उन्होंने इन्द्रदेव को क्षमा किया और सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को भूमि तल पर रखा और ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर वर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाए। तभी से यह पर्व प्रचलित है और आज भी पूर्ण श्रद्धा भक्ति से मनाया जाता है।

यह भी पढ़े

सोसाइटी हेल्पर ग्रुप ट्रस्ट ने मनाई अनोखी दीवाली, लोगों को दी अनेक संदेश.

05 नवम्बर  ः  विश्व सूनामी जागरूकता दिवस 

बिहार में जहरीली शराब से मरने वालो का बढ़ा आंकड़ा

Raghunathpur:दखिन टोला में दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की प्रतिमा का खुला पट‚ जुटी भक्तों की भीड़

जहरीली हुई दिल्ली-एनसीआर की हवा, गले और आंखों में जलन की शिकायतें.

Leave a Reply

error: Content is protected !!