कैसे हुई अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने की शुरुआत?

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भगवान की आराधना है नृत्य

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था। सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर कई निबंध व चित्र भी बनाए गए। 2007 में नृत्य को बच्चों को समर्पित किया गया।

आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया।

इस दिन को मनाने की शुरुआत 1982 में की गई थी. अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी. इस दिन को डांस के जादूगर कहे जाने वाला जॉर्जेस नोवरे को समर्पित किया गया है. जॉर्जेस नोवरे एक मशहूर बैले मास्टर थे, जिन्हें फादर ऑफ बैले भी कहा जाता है. उनके जन्मदिवस के रूप में इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई. उनका जन्म 29 अप्रैल,1727 को हुआ था. सबसे पहले साल 1982 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (ITI) के तरफ से इस दिन को मनाया गया इसके बाद से हर साल 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का मकसद लोगों को डांस से होने वाले फायदे को बताया है. डांस से कई तरह की बीमारियां दूर होती है.

अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस 2024: शास्त्रीय नृत्य शैलियों के प्रकार

  • भरतनाट्यम- तमिलनाडु का भरतनाट्यम सबसे पुराने डांस में से एक है.
  • कथक- कथक उत्तरी भारत का एक विशेष डांस है. इसमें पौराणिक कथाओं, इतिहास और रोजमर्रा की जिंदगी की कहानियों को दिखाया जाता है.
  • ओडिसी- ओडिसी प्रमुख शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक है जिसकी उत्पत्ति ओडिशा के मंदिरों में हुई थी.
  • कुचिपुड़ी- आंध्र प्रदेश से उत्पन्न, कुचिपुड़ी एक शास्त्रीय नृत्य शैली है जो नृत्य, नाटक और संगीत को जोड़ती है. इसकी जड़ें नाट्य शास्त्र जैसे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में हैं.
  • मणिपुरी- मणिपुरी रास लीला के रूप में भी जाना जाता है, मणिपुरी एक शास्त्रीय नृत्य शैली है जो अपनी कृपा, तरल गति और भगवान कृष्ण के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती है.
  • मोहिनीअट्टम- मोहिनीअट्टम केरल का एक शास्त्रीय नृत्य है. मोहिनीअट्टम नाम का अर्थ है “मोहिनी का नृत्य”, जो भगवान विष्णु की महिला जादूगरनी अवतार है.
  • कथकली- कथकली केरल का एक अनोखा भारतीय नृत्य-नाटक है. यह शास्त्रीय नृत्य अपने बोल्ड मेकअप और विस्तृत वेशभूषा के लिए जाना जाता है जिसका वजन 12 किलोग्राम तक हो सकता है. “कथकली” शब्द का अनुवाद “कहानी-नाटक” है.
  • सत्त्रिया नृत्य- सत्त्रिया की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में असम के वैष्णव मठों में हुई थी. प्रारंभ में, यह नृत्य शैली केवल वैष्णव मठों में रहने वाले लोगों द्वारा ही की जाती थी, लेकिन बाद में इसे अन्य गैर-मठवासी कलाकारों द्वारा भी अपनाया गया.
  • छाऊ- छऊ एक अर्ध-शास्त्रीय भारतीय लोक नृत्य है. इसमें मार्शल आर्ट और कहानी कहने का मिश्रण शामिल है. छाऊ केवल पुरुष नर्तकों को सिखाया जाता है, लेकिन अब महिला मंडलों में महिलाएं भी इसे सीख रही हैं.

डांस को बनाएं अपनी जिंदगी का हिस्सा

  • डांस करने के कई फायदे है. इससे आप तरोताजा और फिट रहते हैं. इसलिए डांस को अपनी जिंदगी में जरूर शामिल करना चाहिए.
  • हर दिन 30 मिनट के डांस से आप 534 कैलोरी बर्न कर सकते हैं.
  • डांस एक तरह का थेरेपी है, इससे डिप्रेशन से छुटकारा मिलता है, और आप कई बीमारियों से बच जाते हैं.
  • डांस करने से आप पार्किंसंस जैसी खतरनाक बीमारी से भी बच सकते हैं.
  • डांस करने से हार्ट फेलियर, सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारियों का खतरा नहीं होता है.

 

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