हाईकोर्ट और सचिवालय में नौकरी के नाम पर ठगी, पटना में 3 साइबर अपराधी गिरफ्तार

हाईकोर्ट और सचिवालय में नौकरी के नाम पर ठगी, पटना में 3 साइबर अपराधी गिरफ्तार

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50 लोगों को बनाया शिकार; मेल भेजकर फंसाते थे

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

बिहार की राजधानी पटना में साइबर थाना की पुलिस ने 3 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। तीनों पटना हाईकोर्ट और सचिवालय में नौकरी लगाने का झांसा देकर कैंडिडेट्स से ठगी कर रहे थे। अब तक लगभग 50 लोगों को ठगी का शिकार बनाया है।गिरफ्तारी की पुष्टि साइबर थाना के SHO पुलिस उपाधीक्षक राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने की है।

पकड़े गए साइबर ठगों के पास से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स भी बरामद किए गए हैं। मेल से भेजते थे मैसेज पुलिस उपाधीक्षक राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि इन लोगों ने अभ्यर्थियों को पटना हाईकोर्ट के नाम से मिलता जुलता मेल बनाया था, उसी मेल से मैसेज भेजा था। उन्हें प्रलोभन दिया जाता था। फिर नौकरी के नाम पर प्रॉपर कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग दी जाती थी।

 

ट्रेनिंग सेशन लगभग दो महीने का होता था। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें कुछ रुपए भी वेतनमान के तौर पर दिए जाते थे। तैयार की थी फर्जी वेबसाइट पकड़े गए अपराधियों ने हाईकोर्ट, सचिवालय और रेलवे के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाई गई थी। इसके जरिए कैंडिडेट्स को झांसा दिया जाता था।ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब कैंडिडेट्स की ज्वाइनिंग नहीं हुई तो धीरे धीरे संदेह होने लगा। तब अभ्यर्थी सामने आने लगे। पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हो गई है। तब इसकी पुलिस में शिकायत की।जॉब दिलाने के नाम पर कैंडिडेट्स 8 से 10 लाख रुपए लिए जाते थे।

 

इनसे कहा जाता था कि हाईकोर्ट में प्यून, क्लर्क की नौकरी लग जाएगी। इसके लिए पटना हाईकोर्ट के परिसर में बुलाकर फॉर्म भरवाए जाते थे।प्रॉपर पटना हाईकोर्ट के नाम से बनाई गई फर्जी वेबसाइट पर इनकी पूरी जानकारी अपलोड की जाती थी। हाईकोर्ट के नाम से बनाए गए मेल के जरिए इंटरव्यू शेड्यूल की जानकारी कैंडिडेट्स को समय समय पर दी जाती थी। ताकि कैंडिडेट्स को किसी तरह की शंका नहीं हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया था।

 

हाईकोर्ट कैंपस में दी जाती थी ट्रेनिंग पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि पटना हाईकोर्ट के अंदर रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन करने की एक निजी कंपनी है। उसे सतीश नाम का शख्स रन करता है। इसी कैंपस में कैंडिडेट्स को ट्रेनिंग दी जाती थी कैंडिडेट्स रिकॉर्ड वगैरह के डिजिटाइजेशन में हेल्प करते थे। इससे कैंडिडेट्स को लगता था यहीं ट्रेनिंग हो रही है। लगभग 50 लोगों के साथ इस तरह की ठगी हुई है। इसमें से कुछ कैंडिडेट्स को 2 महीने के बाद ट्रेनिंग पूरी होने के बावजूद भी प्लेसमेंट नहीं मिला तो इसकी शिकायत लेकर थाने आए। तब मामल दर्ज करते हुए कार्रवाई की गई तो इस खेल का पर्दाफाश हुआ। फिलहाल अनुसंधान जारी है।

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