खुशियों की सौगात तमिल नव वर्ष

खुशियों की सौगात तमिल नव वर्ष

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

विशु कानी मलयालम नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भले ही विश्व के अधिकतर देशों में 01 जनवरी से नए साल की शुरुआत मानी जाती है। लेकिन सभी धर्मों की अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार, अलग-अलग दिन पर भी नववर्ष मनाया जाता है। तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उगादी के रूप में, तो वहीं पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख के रूप में नया साल मनाया जाता है। आज हम आपको तमिल नववर्ष यानी, पुथांडु के विषय में बताने जा रहे हैं।

कब मनाया जाता है पुथंडु

पुथांडु एक तमिल शब्द है, जिसका अर्थ होता है नया साल। यह पर्व तमिल कैलेंडर के अनुसार, जब संक्रांति सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पड़ती है, तो उस दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में साल 2024 में पुथंडु 14 अप्रैल, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

क्या है मान्यता

तमिल लोगों द्वारा पुथांडु का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन से भगवान ब्रह्म ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था। साथ ही इस तिथि पर भगवान इंद्र स्वयं धरती पर लोगों के कल्याण के लिए उतरे थे। माना जाता है कि इस दिन पर पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही उनका पूरा वर्ष अच्छा बीतता है।

कैसे मनाया जाता है यह पर्व

पुथांडु को तमिल लोग बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन को पुथुरूषम एवं वरुषा पिरप्पु के नाम से भी जाना जाता है। इस खास मौके पर लोग अपने घर की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं। साथ ही घर को रंगोली से घर को सजाया जाता है, जिसमें चावल के आटे का भी उपयोग किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से जो सौभाग्य आता है।

इसके बाद लोग पारंपरिक वस्त्र धारण करके अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही मंदिर जाकर भी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दिन पर चावल की खीर का भोग लगाने का विशेष महत्व माना गया है। इसी खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इस दिन शाकाहारी भोजन ही किया जाता है।

पुथांडु के दिन संक्रांति का क्षण – 13 अप्रैल रात्रि 09 बजकर 15 मिनट पर

विशु कानी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो केरल और भारत के अन्य दक्षिणी राज्यों जैसे कर्नाटक और तमिलनाडु में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मलयालम नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा होती है। यह त्योहार आशा और खुशी का भी प्रतीक है, जो प्राचीन परंपराओं से समृद्ध है। इस साल यह 14 अप्रैल, 2024 को मनाया जाएगा।

कब है विशु कानी ?

‘विशु’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘विउवम’ से हुई है, जिसका हिंदी मतलब ‘बराबर’ है। यह दिन बसंत के दौरान दिन और रात के बीच संतुलन का प्रतीक है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, मेदाम महीने का पहला दिन है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अप्रैल के मध्य में पड़ता है। साल 2024 में विशु 14 अप्रैल दिन रविवार को मनाया जाएगा।

ऐसे मनाया जाता है विशु कानी उत्सव

  • विशु कानी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें आने वाले समृद्ध साल के लिए सूर्योदय के समय शुभ वस्तुओं को देखना शामिल है।
  • विशु से एक दिन पहले परिवार के सभी लोग शुभ चीजों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें सुबह उठकर देखते हैं।
  • इस दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
  • विशु कानी में आमतौर पर नारियल, सुपारी, पीले फूल, सिक्के, मुद्रा नोट, एक सफेद धोती, चावल, नींबू, ककड़ी, कटहल, एक दर्पण, काजल और एक पवित्र पुस्तक शामिल है।
  • सूर्योदय के दौरान परिवार के सदस्य सबसे पहले विशु कानी को देखते हैं।
  • यह पर्व पूरे साल समृद्धि, सौभाग्य और धन को आमंत्रित करता है।
  • इस पूजा के दौरान रामायण का पाठ किया जाता है।
  • इस दिन लोग मंदिरों में जाकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!