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क्या किसी ने खुद को ही दे दिया था भारत रत्न? - श्रीनारद मीडिया

क्या किसी ने खुद को ही दे दिया था भारत रत्न?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस पार्टी ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ एक ही पार्टी के नेताओं को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए अनेक लोगों का भी देश के लिए योगदान है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांशीराम से लेकर कमलापति त्रिपाठी का भी देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे में आपको इतिहास में लिए चलते हैं और बताते हैं जब देश के दो शख्सियतों को प्रधानमंत्री रहते हुए ही भारत रत्न दिया गया था। इसके साथ ही जानते हैं कि भारत रत्न किसे दिया जाता है और अब तक कितने लोगों को ये सम्मान मिल चुका है।

किसे मिलता है भारत रत्न

देश में सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न को माना जाता है। आपके भी किसी पसंदीदा खिलाड़ी, क्रिकेटर या एक्टिविस्ट को भारत जरूर नहीं मिला होगा। अपने क्षेत्र में देश के लिए कुछ करने जिसकी वजह से परिवर्तन आया हो। उसे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाता है। ये सम्मान उसे दिया जाता है जिसने अपने क्षेत्र में असाधारण या सर्वोच्च सेवा दी हो। ये सम्मान राजनीति, कला साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में किसी विचारिक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और सामाज सेवी को दिया जाता है।

कब हुई शुरुआत

अब तक 50 व्यक्तियों को यह सम्मान मिल चुका है। शुरुआत में यह सिर्फ जीवित व्यक्तियों के लिए था, लेकिन 1955 में नियमों में सुधार किया गया। भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति देश वीआईपी में शामिल होता है। भारत रत्न को प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है। भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को कोई राशि नहीं मिलती, लेकिन कैबिनेट मंत्री बराबर वीआईपी का दर्जा मिलता है।

नेहरू को भारत रत्न

जवाहरलाल नेहरू को 15 जुलाई को ही देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान करने का ऐलान किया गया था। उन्हें यह वर्ष 1955 में प्रदान किया गया। वर्ष 1954 में स्थापित यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी दूसरी ऐसी शख्सियत रहीं, जिन्हें प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

द्वितीय विश्व युद्ध के  बाद दुनिया के समीकरण तेजी से बदल रहे थे। भारत नया-नया आजाद हुआ था। विश्व में अपनी जड़ें ढूंढ़ रहा था। अधिकतर क्षेत्र में भारत अभी भी दूसरे देशों पर निर्भर था। अमेरिका खाद्य पदार्थों से लेकर अन्य क्षेत्रों में भारत की मदद करता था। जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि इंडस्ट्रिलाइजेशन की शुरुआत हो। तब की जियोपॉलिटिक्स ऐसी थी कि अमेरिका का झुकाव पाकिस्तान की तरफ ज्यादा था। वो पाकिस्तान से अपने सैन्य रिश्ते मजबूत करता जा रहा था।

पाकिस्तान के साथ रिश्ते अनबैलेंस न हो इसके लिए जरूरी था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत अपनी मौजूदगी दर्ज कराए। 1954 में भारत ने चीन के साथ तिब्बत पर सिनो इंडियन एग्रीमेंट साइन किया। इसके बाद नेहरू ने यूएसएसआर और यूरोप का दौरा किया।

राजेंद्र प्रसाद ने किया ऐलान

यूरोप और सोवियत के दौरे से 13 जुलाई को वापस दिल्ली लौटे जवाहर लाल नेहरू। लेकिन जब वो एयरपोर्ट पर उतरे तो प्रोटोकॉल तोड़ते हुए राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद खुद उनका स्वागत करने पहुंचे थे। राजेंद्र प्रसाद के अलावा काफी लोग नेहरू के स्वागत के लिए मौजूद थे। एयरपोर्ट पर नेहरू को एक छोटा सा भाषण देने के लिए भी कहा गया। बाद में राष्ट्रपति भवन में एक भोज का आयोजन किया गया। तब डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू को लेकर कहा कि ये हमारे समय के शांति के सबसे बड़े वास्तुकार हैं।

इंदिरा को ऐसे मिला भारत रत्न

इंदिरा गांधी को साल 1971 में भारत रत्न से नवाजा गया। उस साल केवल उन्हें ही भारत रत्न दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इंदिरा गांधी को ये सम्मान दिया था। तब उन्होंने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की तरह ही खुद इस बात का फैसला लिया था। अवॉर्ड की खास बात यह है कि उन्हें यह पुरस्कार साल 1972 में दिया गया था, जबकि यह साल 1971 के लिए था। उन्हें यह पुरस्कार पाकिस्तान-बांग्लादेश वॉर में अहम भूमिका निभाने के लिए दिया गया था।

जब इंदिरा सरकार ने बंद कर दिया भारत रत्न देना 

इंदिरा के इमरजेंसी के दौर के बाद मोरारजी देसाई की सरकार जब सत्ता में आई तो फैसला लिया कि सरकार को नागरिक सम्मान बंद कर देना चाहिए। दलील दी गई कि इसमें प्रलोभन चलते हैं और लाबिंग होती है। मार्च 1977 से लेकर जनवरी 1980 तक देश में न तो किसी तो भारत रत्न दिया गया और न ही पद्म पुरस्कार।

1980 में इंदिरा सरकार वापस सत्ता में आई तो मोरारजी देसाई की शुरू की या फिर कहे कि खत्म की गई परंपरा को दुरूस्त करने की दलील के साथ प्रणब मुखर्जी ने इंदिरा गांधी को भारत रत्न के नाम का ऐलान करने का सुझाव दिया। कई नामों पर विचार चले और फिर मदर टेरेसा के नाम पर सहमति बनी।

अब तक किन्हें मिला ये सम्मान

 लाल कृष्ण आडवाणी 2024
 कर्पूरी ठाकुर 2024
 प्रणब मुखर्जी 2019
 भूपेन हजारिका 2019
 नानाजी देशमुख 2019
 मदन मोहन मालवीय 2015
 अटल बिहारी वाजपेयी 2015
 सचिन तेंदुलकर 2014
 सीएनआर राव 2014
 पंडित भीमसेन जोशी 2008
 लता मंगेशकर 2001
 उस्ताद बिस्मिलाह खान 2001
 प्रो अमर्त्य सेन 1999
 गोपीनाथ बोरदोलोई 1999
 जय प्रकाश नारायण 1999
 पंडित रविशंकर 1999
 चिंबरम सुब्रमण्यम 1998
 मदुरै शनमुखावदिवु सुब्बुलक्ष्मी 1998
 डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 1998
 अरुणा आसफ अली 1997
 गुलजारी लाल नंदा 1997
 जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा 1992
 मौलाना अबुल कलाम आजाद 1992
 सत्यजीत रे 1992
 मोरारजी रणछोड़जी देसाई 1991
 राजीव गांधी 1991
 सरदार वल्लभभाई पटेल 1991
 डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर 1990
 डॉ. नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला 1990
 मरुदुर गोपालन रामचंद्रन 1988
 खान अब्दुल गफ्फार खान 1987
 आचार्य विनोबा भावे 1983
 मदर टेरेसा 1980
 कुमारस्वामी कामराज 1976
 वराहगिरी वेंकट गिरी 1975
 लाल बहादुर शास्त्री 1966
 डॉ. पांडुरंग वामन केन 1963
 डॉ. जाकिर हुसैन 1963
 डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1962
 डॉ. बिधान चंद्र रॉय 1961
 पुरुषोत्तम दास टंडन 1961
 डॉ. धोंडे केशव कर्वे 1958
 पं. गोविंद बल्लभ पंत 1957
 डॉ. भगवान दास 1955
 जवाहरलाल नेहरू 1955
 डॉ. मोक्षगुंडम विवेस्वरा 1955
 चक्रवर्ती राजगोपालाचारी 1954
 डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन 1954
 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1954

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