हरतालिका तीज 2025: क्यों की जाती है हरतालिका तीज? क्या है इसके पीछे की कहानी? 👇

हरतालिका तीज 2025: क्यों की जाती है हरतालिका तीज? क्या है इसके पीछे की कहानी? 👇

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। यह व्रत-पर्व स्त्री सौभाग्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति के स्वस्थ जीवन और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

वहीं कुंवारी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन पार्वती ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस दिन स्त्रियां पांच बार शिव-पार्वती का पूजन करती हैं। इस बार हरितालिका तीज 26 अगस्त मंगलवार को आ रही है। मंगलवार होने के कारण यह व्रत सौभाग्य के लिए अति उत्तम है।

Hartalika Teej 2025 का महत्व

हरतालिका तीज व्रत का महत्व भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक है। यह शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है।’हरि’ और ‘आलिका’। हरि का अर्थ है हरण करना और आलिका का अर्थ है सखी या सहेली। पौराणिक कथाओं के अनुसार पार्वती के पिता राजा हिमवान ने उनका विवाह विष्णु जी से तय कर दिया किंतु पार्वती मन ही मन शिवजी को अपना पति स्वीकार कर चुकी थी।

बालू रेत से शिवजी की मूर्ति बनाकर पूजा करें

देवर्षि नारद ने पार्वती को एक गुप्त व्रत बताया जिसे करने से वे शिवजी को साक्षात पति रूप में पा सकती थी। किंतु उस व्रत को करने से उनके पिता रोकते इसलिए पार्वती की सखियों ने पार्वती को हरण करके जंगल में ले जाकर गुप्त रूप से तपस्या करने की प्रेरणा दी। पार्वती ने जंगल में जाकर बालू रेत से शिवजी की मूर्ति बनाकर उसका पूजन किया। प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पति रूप में प्राप्त होने का वरदान दिया।

Hartalika Teej 2025 का व्रत कैसे किया जाता है

इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं, अर्थात् जल तक का सेवन नहीं करतीं। इस दिन फूल पत्तियों का आकर्षक मंडप सजाकर उसमें बालू रेत से शिवजी पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है और उनका विधि विधान से पूजन किया जाता है। पांच बार पूजा की जाती है। रात्रि जागरण करते भजन किए जाते हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। साधक की आत्मा शुद्ध होती है।

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