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क्या हिमनद झील के फटने से सिक्किम में बाढ़ आई है?

क्या हिमनद झील के फटने से सिक्किम में बाढ़ आई है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सिक्किम ने हाल ही में हिमनद झील के फटने से बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood -GLOF)  का अनुभव किया। राज्य के उत्तर-पश्चिम में 17,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित दक्षिण लोनाक झील, एक हिमनदी झील है, जो लगातार बारिश के परिणामस्वरूप अनियंत्रित होकर बाढ़ का करण बनी।

  • नतीजतन, जल को निचले इलाकों में छोड़ दिया गया, जिससे तीस्ता नदी में बाढ़ आ गई, और सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SSDMA) की रिपोर्ट के अनुसार चार ज़िले: मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची प्रभावित हुए हैं।
  • इस बाढ़ के कारण सिक्किम में चुंगथांग हाइड्रो-बांध (तीस्ता नदी पर) भी टूट गया, जिससे समग्र स्थिति प्रभावित हुई।

ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़:

  • परिचय: 
    • GLOF (ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड) एक अचानक तथा संभावित रूप से विनाशकारी बाढ़ है जो ग्लेशियर अथवा मोरेन (बर्फ, रेत, कंकड़ और मलबे का प्राकृतिक संचय) के पीछे एकत्रित जल के तेज़ी से छोड़े जाने के कारण आती है।
      • मज़बूत मिट्टी के बांधों के विपरीत, ये मोराइन बांध अचानक विफल हो सकते हैं, जिससे अल्पकाल से लेकर कई दिनों तक बड़ी मात्रा में जल छोड़ा जा सकता है, जिससे निचले क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ आ सकती है।
    • हिमालय क्षेत्र, अपने ऊँचे पहाड़ों के साथ, विशेष रूप से GLOFs के प्रति संवेदनशील है।
      • बढ़ते वैश्विक तापमान के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन ने सिक्किम हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है।
        • इस क्षेत्र में अब 300 से अधिक हिमनद झीलें हैं, जिनमें से दस को बाढ़ के प्रति संवेदनशील माना गया है।
    •   GLOF कई कारणों से शुरू हो सकता है, जिनमें भूकंप, अत्यधिक भारी वर्षा और बर्फीले हिमस्खलन शामिल हैं।
  • प्रभाव: 
    • GLOF के परिणामस्वरूप विनाशकारी डाउनस्ट्रीम बाढ़ आ सकती है। इनमें कम समय में लाखों घन मीटर पानी छोड़ने की क्षमता है।
      • GLOF के दौरान अधिकतम प्रवाह 15,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार) तक दर्ज किया गया है।

दक्षिण लोनाक झील GLOFs के लिये संवेदनशील:

  • उत्तरी सिक्किम में दक्षिण ल्होनक झील समुद्र तल से लगभग 5,200 मीटर ऊपर स्थित है।
    • वैज्ञानिकों ने पहले चेतावनी दी थी कि झील का विस्तार वर्षों से हो रहा है, संभवतः इसके सिर पर बर्फ के पिघलने से।
    • विशेष रूप से वर्ष 2011 में 6.9 तीव्रता वाले भूकंप सहित भूकंपीय गतिविधियों ने क्षेत्र में GLOF जोखिम को बढ़ा दिया। 
  • वर्ष 2016 में सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और अन्य हितधारकों ने दक्षिण ल्होनक झील से अतिरिक्त जल निष्काषित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण योजना शुरू की।
    • दूरदर्शी नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक ने इस प्रयास का नेतृत्व किया और झील से जल निष्काषित करने के लिये उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन (HDPE) पाइप का उपयोग किया।
    • इस पहल ने सफलतापूर्वक झील के पानी की मात्रा को लगभग 50% कम कर दिया, जिससे जोखिम कुछ हद तक कम हो गया।
  • हालाँकि माना जाता है कि हालिया त्रासदी झील के आसपास के हिमाच्छादित क्षेत्र से उत्पन्न हिमस्खलन के कारण हुई थी।

भारत में हाल की अन्य GLOF घटनाएँ:

  • जून 2013 में उत्तराखंड में असामान्य मात्रा में वर्षा हुई थी, जिससे चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल गया और मंदाकिनी नदी में विस्फोट हुआ।
  • अगस्त 2014 में लद्दाख के ग्या गाँव में हिमानी झील के आवेग से आई बाढ़ ने तबाही मचाई।
  • फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक आने वाली बाढ़ का कारण GLOFs को माना गया।

GLOFs के जोखिम को कम करने के लिये आवश्यक कदम:

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