क्या भारत में पहले भी कई हुई है नोटबंदी,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में पहली नोटबंदी साल 1946 में हुई थी। आप जानकर हैरान हो जाएंगे ये नोटबंदी ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान की गई थी। भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 में हाई करेंसी वाले बैंक नोट डिमोनेटाइज करने को लेकर अध्यादेश प्रस्तावित किया था। इसके 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से ब्रिटिश काल में जारी 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के हाई करेंसी के नोट प्रचलन से बाहर हो गए थे।

आजादी से पहले 100 रुपये से ऊपर के नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार ने उस वक्त यह फैसला लोगों के पास जमा कालाधन वापस लाने के लिए किया गया था। ऐसा माना जाता था कि उस समय भारत में व्यापारियों ने मित्र देशों को सामान आयात करते हुए भारी संपत्ति जमा की थी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मुनाफे को छुपा रहे थे।

भारत के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 रुपये के नोट को बैन कर दिया है। सरकार ने एक बार फिर से सबसे बड़ी करेंसी को बंद कर दिया है। हालांकि 2000 रुपये का नोट लीगल टेंडर में बना रहेगा। आप 30 सितंबर तक बैंक में जाकर अपने नोट को बदलवा सकेंगे, जमा करवा सकेंगे। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब आरबीआई ने नोट को चलन से बाहर किया है। इससे पहले 2016 आपको याद होगा, जब सरकार ने अचानक से 500 रुपये और 1000 रुपये को बैन करवे का फैसला किया था।

​आजादी से पहले भी नोटबंदी​

​आजादी से पहले भी नोटबंदी​

 

​मोरारजी देसाई सरकार ने लिया था नोटबंदी का फैसला​

​मोरारजी देसाई सरकार ने लिया था नोटबंदी का फैसला​

कालाधन खत्म करने के लिए 1978 में हुई नोटबंदी

देश में कालेधन को खत्म करने के लिए अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद साल 1978 में भी नोटबंदी (Demonetisation) की गई थी। ये आजाद भारत की पहली नोटबंदी थी। इसे कालेधन को खत्म करने के साथ भ्रष्टाचार को रोकने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी किया गया था। 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने बड़े नोटों को डिमोनेटाइज किया था।

इस दौरान जब नोटों को डिमोनेटाइज किया गया तो भी कमोबेश 2016 जैसे ही हालात थे। उस समय के अखबारों में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, लोगों को काफी दिक्कतें हुई थीं। जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का फैसला किया था।

कोर्ट ने 6 महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद माना है कि नोटबंदी का फैसला सही था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2016 से पहले भी देश में दो बार नोटबंदी की जा चुकी है। इस दौरान भी नोटों पर पाबंदी लगाई गई थी। आइए आपको बताते हैं कि 2016 से पहले देश में कब-कब डिमोनेटाइजेशन का एलान किया गया।

क्या अब फिर से नोटबंदी​?

साल 2023 में एक बार फिर से आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का फैसला किया है। हालांकि इस नोट की वैधता बनी रहेगी। RBI ने नवंबर 2016 में 2000 के नोट जारी किया था। आरबीआई ने कहा कि 2000 के करीब 89% नोट मार्च 2017 से पहले के है। उनकी समय सीमा पूरी हो चुकी है। वहीं इस नोट का बहुत कम इस्तेमाल हो रहा है।

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