रोजगार की गति को कैसे बढ़ाई जा सकती है?

रोजगार की गति को कैसे बढ़ाई जा सकती है?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जेनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट ने संयुक्त रूप से ‘इंडिया एमंप्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024’ प्रकाशित किया है. तीन सौ पन्नों की यह सारगर्भित रिपोर्ट भारत में श्रम एवं रोजगार के संबंध में इन दोनों संस्थानों द्वारा प्रकाशित तीसरी बड़ी रिपोर्ट है. इन संस्थाओं ने 2014 में श्रम एवं वैश्वीकरण तथा 2016 में विनिर्माण में रोजगार नीत वृद्धि पर रिपोर्ट का प्रकाशन किया था.

हालिया रिपोर्ट में 2000 के बाद की दो दशक से अधिक की अवधि के आंकड़ों को प्रस्तुत किया गया है, जिनमें से अधिकांश सरकारी स्रोतों से लिए गये हैं. साल 2018 से पहले आंकड़ों का मुख्य स्रोत रोजगार की स्थिति पर होने वाला पंचवर्षीय सर्वेक्षण था. उसके बाद तीन माह पर आने वाला श्रम बल सर्वेक्षण स्रोत बन गया. ये आंकड़े सभी शोध करने वालों को उपलब्ध हैं और वर्तमान रिपोर्ट में इनका गहन विश्लेषण किया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्षों पर चर्चा से पहले परिभाषाओं को याद रखना महत्वपूर्ण है. श्रम बल भागीदारी दर का अर्थ कामकाजी आबादी (15 साल से अधिक आयु के लोग) के वे लोग हैं, जो कार्यरत हैं या काम की तलाश में हैं. उल्लेखनीय है कि भारत की आबादी की वृद्धि दर घटकर हर साल 0.8 प्रतिशत हो गयी है, पर श्रम बल अभी भी सालाना दो प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ रहा है. पहले इस वृद्धि से हम देखते हैं कि बीते दो दशकों में श्रम बल भागीदारी दर की स्थिति क्या रही है. कामगार भागीदारी अनुपात कामकाजी आयु के उन लोगों का अनुपात है, जो कार्यरत हैं. शेष बेरोजगार हैं और इसलिए बेरोजगारी दर श्रम बल का वह हिस्सा है, जिसके पास काम नहीं है और वह काम की तलाश में है.

यह भी पढ़े………...

बिहार के पटना में 2000 रुपए के नोट को बदलने का खेल

सीवान में रिटायर्ड शिक्षक की गला रेत कर निर्मम हत्या

मोहब्बत का ऐसा सिला… 3 बच्चों की मां को चढ़ा इश्क का बुखार

Leave a Reply

error: Content is protected !!