आईबीएस और होम्योपैथिक दृष्टिकोण डा अविनाश चंद्र ने रीसर्च प्रस्तुत किया

आईबीएस और होम्योपैथिक दृष्टिकोण डा अविनाश चंद्र ने रीसर्च प्रस्तुत किया

श्रीनारद मीडया, सीवान (बिहार):

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23वें ऑल इंडिया होम्योपैथिक साइंटिफिक सेमिनार का आयोजन राजस्थान में इंटरनेशनल सेंटर जयपुर में किया गया। जहाँ पर होम्योपैथिक क्षेत्र में विशेष कार्य करने और होम्योपैथिक इलाज में बड़ी से बड़ी बीमारी के रोगी को ठीक करने पर देश भर से आये डॉक्टरो को सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह की कड़ी में सीवान के प्रसिद्ध वरिष्ठ डॉक्टर अविनाश चंद्र ने रीसर्च इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और होम्योपैथिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) पेट की सबसे आम बिमारियों में से एक है। बहुत से लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। पेट में दर्द, कभी दस्त तो कभी कब्ज। पेट की दूरी, डकार, पेट में गड़गड़ाहट और अपूर्ण मल त्याग की भावना। यह तकलीफ अगर बहुत दिन तक चलती रहे तो तुरंत इलाज होना चाहिए l होम्योपैथमे इरीटेबल बोवल सिन्ड्रोम का इलाज संभाव है l

खाने में गड़बड़ी के कारण पेट में गैस को नजर अंदाज कर दिया जाता है, लेकिन इसके कारण पेट दर्द, दस्त, सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस समस्या की जड़ अपर्याप्त नींद, तनाव, गलत आहार है।

यह रोग युवावस्था में होता है। 45 वर्ष की आयु के बाद रोग की शुरुआत दुर्लभ है। बेशक, वयस्क और बुजुर्ग भी आईबीएस से पीड़ित हो सकते हैं।

आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएँ।
फल सब्जी का सेवन बढाए l

पेट खराब होने से बचाने के लिए होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य तौर पर डायरिया विकसित होने पर डायरिया रोधी दवाएं दी जाती हैं।
कब्ज विकसित होने पर कब्ज रोधी दवाएं दी जाती हैं।

परन्तु होम्योपैथी में रोग के मूल कारण का पता लगाकर उसका उपचार किया जाता है। ऐसी कई दवाएं हैं जो इस बीमारी को ठीक कर सकती हैं। किसी विशेषज्ञ होमियोपैथिक डॉक्टर के पास जाकर इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम से स्थायी राहत पाएं। डॉ अविनाश चंद्र ने 250 रोगियों पर रीसर्च किया है।

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