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जीवन को कर्मशील बनाना है तो श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करें : आचार्य श्याम भाई ठाकर 

जीवन को कर्मशील बनाना है तो श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करें : आचार्य श्याम भाई ठाकर

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श्रीनारद मीडिया, कुरूक्षेत्र (हरियाणा):

भागवत जीवन जीने की कला सिखाती है, भगवान की लीला अपरंपार है : आचार्य श्याम भाई ठाकर।
कथा श्रवण करने पहुंचे थानेसर विधायक सुभाष सुधा।

देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के सान्निध्य में जयराम विद्यापीठ में गीता जयंती महोत्सव 2023 के अवसर आयोजित भागवत कथा के छठे दिन व्यासपीठ से भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर ने बताया कि श्रीमद भागवत अत्यंत गोपनीय रहस्यात्मक पुराण है। यह भगवत स्वरूप का अनुभव कराने वाला और समस्त वेदों का सार है। कथा श्रवण के लिए थानेसर विधायक सुभाष सुधा पहुंचे और उन्होंने व्यासपीठ को नमन किया।

कथा वाचक ने बताया कि संसार में मोह माया व संबंधों फंसे हुए जो लोग इस घोर अज्ञान व अंधकार से पार जाना चाहते हैं, उनके लिए भागवत आध्यात्मिक तत्वों को प्रकाशित कराने वाला यह एक अद्वितीय दीपक है। भागवत क्या है? आचार्य श्याम भाई ठाकर ने बताया कि भागवत वैष्णवों का परम धन, पुराणों का तिलक, परम हंसों की संहिता, भक्ति ज्ञान-वैराग्य का प्रवाह (प्याऊ), भगवान श्रीकृष्ण का आनंदमय स्वरूप, प्रेमी भक्तों की लीला स्थली, श्री राधा-कृष्ण का अद्वितीय निवास स्थान, जगत का आधार, लोक-परलोक को संवारने वाला, जगत् व्यवहार व परमार्थ का ज्ञान कराने वाला, वेदों उपनिषदों का अद्वितीय सार (रस), व्यक्ति को शांति तथा समाज को क्रांति का प्रतीक तथा पंचम वेद है। उन्होंने कथा में बताया कि जहां भगवान के नाम नियमित रूप से लिया जाता है। वहां सुख, समृद्धि व शांति बनी रहती है। जीवन को कर्मशील बनाना है तो श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करें।

आचार्य श्याम भाई ठाकर ने बताया कि भागवत जीवन जीने की कला सिखाती है। भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने श्रीमद भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है, आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। आचार्य श्याम भाई ठाकर ने कहा कि भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानन्द की प्राप्ति होती है। भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है। चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमद भागवत कथा सुननी चाहिए।

भागवत श्रवण मनुष्य केे सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे और बुरे कर्मों की परिणीति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी और गौ माता के पुत्र गोकरण के कर्मों के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया और धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वही धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल कपट से पुत्र प्राप्ति और उसके बुरे परिणाम को समझाया। छठे दिन की कथा के समापन पर व्यासपीठ पर भागवत पुराण की आरती की और प्रसाद वितरित किया।

कथा में जयराम शिक्षण संस्थान के निदेशक एस.एन. गुप्ता, राजेंद्र सिंघल, के.के. कौशिक, श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, टेक सिंह, पवन गर्ग, के.सी. रंगा, हरि सिंह, राजेश सिंगला, ईश्वर गुप्ता, सुनील गौरी, जयपाल शर्मा, महिला मंडल की संगीता शर्मा व संतोष यादव, रणबीर भारद्वाज, आचार्य राजेश लेखवार, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक इत्यादि भी मौजूद रहे।
जयराम विद्यापीठ में भागवत पुराण की कथा करते हुए कथावाचक आचार्य श्याम भाई ठाकर तथा कथा में श्रद्धालुओं की उपस्थिति।

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