वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम में भारतीय टीकाकरण का महत्त्व

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक टीकाकरण के प्रयासों ने पिछले 50 वर्षों में अनुमानित 154 मिलियन लोगों की जान बचाई है।

  • रिपोर्ट मई 2024 में होने वाले टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (Expanded Programme on Immunization- EPI) की 50वीं वर्षगाँठ से पूर्व विश्व टीकाकरण सप्ताह के अवसर पर जारी की गई थी।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:

  • रिपोर्ट से पता चलता है कि शिशुओं के स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करने के लिये टीकाकरण का योगदान किसी भी स्वास्थ्य योजना से अधिक है।
  • खसरा टीकाकरण: 
    • वर्ष 1974 के बाद से बचाए गए अनुमानित 15 करोड़ 40 लाख लोगों में से अनुमानित 9 करोड़ 40 लाख लोगों को खसरा का टीका लगाया गया था।
      • अभी भी लगभग 3 करोड़ 30 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो वर्ष 2022 में खसरा का टीका (खुराक) लेने से चूक गए।
    • वर्तमान में खसरे के टीके की पहली खुराक की वैश्विक कवरेज दर 83% और दूसरी खुराक की कवरेज दर मात्र 74% है, जिससे विश्व में बहुत अधिक संख्या में इसके प्रसार में योगदान हुआ है।
      • समुदायों को संक्रमण से बचाने के लिये खसरा के टीके की 2 खुराक के द्वारा 95% या उससे अधिक का कवरेज आवश्यक है।
    • यह संख्या टीकाकरण द्वारा बचाए गए कुल जीवन का 60% है और भविष्य में होने वाली मृत्यु को रोकने में टीका संभवतः शीर्ष योगदानकर्त्ता बना रहेगा।
  • DPT वैक्सीन के लिये कवरेज: 
    • EPI के शुरू होने से पूर्व, विश्व स्तर पर 5% से कम शिशुओं की नियमित टीकाकरण तक पहुँच थी।
    • आज कुल 84% शिशुओं को डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (Diphtheria, Tetanus and Pertussis – DTP) से टीके की 3 खुराक के साथ सुरक्षित किया जाता है।
      • DTP मनुष्यों में तीन संक्रामक रोगों (डिप्थीरिया, पर्टुसिस या काली खांँसी और टेटनस) से बचाने के लिये दिये गए संयुक्त टीकों के एक वर्ग को संदर्भित करता है।
  • शिशु मृत्यु में कमी:
    • डिप्थीरिया, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप B, हेपेटाइटिस B, जापानी एन्सेफलाइटिस, खसरा, मेनिनजाइटिस A, पर्टुसिस, न्यूमोकोकल रोग, पोलियो, रोटावायरस, रूबेला, टेटनस, तपेदिक और पीत ज्वर जैसी 14 बीमारियों से वाली शिशु मृत्यु में 40% की कमी।
    • विगत 50 वर्षों में अफ्रीकी क्षेत्र में  शिशु 50% से अधिक की कमी आई है।
  • रोग का उन्मूलन और रोकथाम:
    • वर्ष 1988 के बाद से वाइल्ड पोलियोवायरस के मामलों में 99% से अधिक की कमी आई है। वाइल्ड पोलियोवायरस के 3 उपभेदों (टाइप-1, टाइप-2 और टाइप-3) में से, वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप-2 का उन्मूलन वर्ष 1999 में कर दिया गया था तथा वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप-3 का उन्मूलन वर्ष 2020 में कर दिया गया
    • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।
    • मलेरिया और सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीके इन बीमारियों की रोकथाम में अत्यधिक प्रभावी रहे हैं।
  • संपूर्ण स्वास्थ्य में लाभ: 
    • टीकाकरण के माध्यम से बचाए गए प्रत्येक जीवन के लिये औसतन 66 वर्षों तक पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त हुआ।
    • पाँच दशकों में कुल 10.2 बिलियन पूर्ण स्वास्थ्य वर्ष प्राप्त हुए।

भारत में टीकाकरण की स्थिति क्या है?

  • परिचय:
    • भारत का टीकाकरण कार्यक्रम, UPI (यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम), दुनिया के सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है।
    • UIP के तहत भारत में वार्षिक 30 मिलियन से अधिक गर्भवती महिलाओं तथा 27 मिलियन बच्चों का टीकाकरण किया जाता है।
      • एक बच्चे को पूरी तरह से प्रतिरक्षित माना जाता है यदि उसे जीवन के पहले वर्ष के भीतर राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार सभी आवश्यक टीके लगा दिये जाते हैं।
  • स्थिति:
    • भारत को 2014 में पोलियो मुक्त प्रमाणित किया गया था और 2015 में मातृ एवं शिशुओं से संबंधित टेटनस को समाप्त कर दिया गया था।
    • देश भर में नए टीके उपलब्ध कराए गए हैं, जैसे रोटावायरस वैक्सीन (RVV), न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (PCV), और खसरा-रूबेला।
    • UNICEF के अनुसार, भारत में केवल 65% बच्चों का उनके जीवन के प्रथम वर्ष के दौरान पूर्ण टीकाकरण होता है।
    • इसके अलावा, नवीनतम WUENIC (WHO-UNICEF एस्टीमेट्स नेशनल इम्यूनाइज़ेशन कवरेज) अनुमानों के अनुसार, भारत ने 2021 में 2.7 मिलियन से 2022 में शून्य-खुराक (ZD) बच्चों की संख्या को सफलतापूर्वक घटाकर 1.1 मिलियन कर दिया है, जिसमें जीवन रक्षक टीकाकरण वाले अतिरिक्त 1.6 मिलियन बच्चों को शामिल किया गया है।
      • शून्य-खुराक उन बच्चों को संदर्भित करती है जो कोई नियमित टीकाकरण प्राप्त करने में विफल रहे।
      • ZD के 63% बच्चे पाँच राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं।
    • मिशन इंद्रधनुष (MI) को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MOHFW) द्वारा 2014 में UIP के तहत सभी गैर-टीकाकृत और आंशिक रूप से टीकाकृत बच्चों का टीकाकरण करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
      • शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या में कमी लाने के लिये तीव्र मिशन इंद्रधनुष (IMI) शुरू किया गया है।
  • अन्य सहायक उपाय:
    • इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN)
    • नेशनल कोल्ड चेन मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (NCCMIS)
  • चुनौतियाँ:
    • पहुँच की कमीः 
      • 2022 में विश्व में 14.3 मिलियन शिशुओं DPT का पहला टीका नहीं लगा, जो वैश्विक स्तर पर टीकाकरण और अन्य स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच की कमी की ओर इशारा करता है।
      • 20.5 मिलियन बच्चों में से लगभग 60% बच्चे, जिन्हें या तो टीका नहीं लगाया गया है या पूरी खुराक नहीं मिली है, भारत सहित 10 देशों में निवास करते हैं।
    • संक्रामक रोगों से मृत्यु:
      • यह बाल मृत्युदर और रुग्णता की वृद्धि में योगदान देता है।
      • लगभग दस लाख बच्चों की अपनी पाँच वर्ष की आयु सीमा को प्राप्त करने से पूर्व ही मृत्यु हो जाती है।
      • स्तनपान, टीकाकरण और उपचार तक पहुँच ऐसे कुछ कार्य हैं जो इनमें से कई मौतों से बचने में सहायता कर सकते हैं।
    • पूर्ण कवरेज लक्ष्य अभी भी प्राप्त करना बाकी है: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-5, 2019-21 के अनुसार, देश में टीकाकरण का पूर्ण कवरेज 76.1% है।
      • इसका मतलब है कि हर चार में से एक बच्चा आवश्यक टीकों से वंचित है।

यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) क्या है?

  • पृष्ठभूमि:
    • टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम वर्ष 1978 में शुरू किया गया था। वर्ष 1985 में जब इसका दायरा शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर बढ़ा, तो इसका नाम बदलकर सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम कर दिया गया।
    • वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के बाद से, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) हमेशा इसका एक अभिन्न अंग रहा है।
  • परिचय: 
    • UIP के तहत, 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के विरुद्ध टीकाकरण मुफ्त प्रदान किया जाता है।
      • राष्ट्रीय स्तर पर 9 बीमारियों के विरुद्ध: डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन के तपेदिक का गंभीर रूप, हेपेटाइटिस B और हेमोफिलस इंफ्लूएज़ा टाइप B के कारण होने वाला मेनिन्जाइटिस तथा निमोनिया।
      • उप-राष्ट्रीय स्तर पर 3 बीमारियों के विरुद्ध: रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस।

टीकाकरण से संबंधित प्रमुख वैश्विक पहल क्या हैं?

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