Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
भारतीय योग संस्थान 7 अप्रैल को नंगली वाली कुटिया में करवाएगा शंख प्रक्षालन शुद्धि क्रिया  - श्रीनारद मीडिया

भारतीय योग संस्थान 7 अप्रैल को नंगली वाली कुटिया में करवाएगा शंख प्रक्षालन शुद्धि क्रिया 

भारतीय योग संस्थान 7 अप्रैल को नंगली वाली कुटिया में करवाएगा शंख प्रक्षालन शुद्धि क्रिया

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

शंख प्रक्षालन है क्या ? इसे क्यों करें ? इसके लिए क्या क्या है सावधानियां

श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरुक्षेत्र :।।

भारतीय योग संस्थान पंजीकृत की हरियाणा प्रांत इकाई के कृष्ण योग जिला, कुरुक्षेत्र द्वारा रेलवे रोड़ कुरुक्षेत्र स्थित नंगली वाली कुटिया में शंख प्रक्षालन क्रिया रविवार 07 अप्रैल को प्रातः 5:30 से 8:00 बजे तक करवाई जायेगी । शंख प्रक्षालन के पश्चात सभी साधकों को 15-20 मिनट का शवासन करवा कर देसी घी से तर खिचड़ी खिलाई जाएगी। इसके लिए सभी साधकों द्वारा सहयोग राशि मौके पर जमा करवाई जायेगी।

यह जानकारी देते हुए संस्थान की हरियाणा प्रांत इकाई के प्रेस प्रवक्ता गुलशन कुमार ग्रोवर ने बताया कि कोई भी साधक इस क्रिया में भाग ले सकता है। इस अवसर का लाम उठाने के लिए साधक समय पर पहुंचें। सभी साधकों के लिए पर्याप्त मात्रा में खिचड़ी बन जाए इसके लिए पूर्व सूचना 5 अप्रैल 2024 तक भारतीय योग संस्थान, कृष्ण योग जिला, कुरुक्षेत्र के प्रधान देवी दयाल सैनी जी को उनके फोन नंबर 9467515206 पर अवश्य दे दें।

शंख प्रक्षालन है क्या ? इसे क्यों करें ? इसके लिए क्या क्या सावधानियां आवश्यक हैं ?
संस्थान की हरियाणा प्रांत इकाई के प्रधान ओमप्रकाश ने बताया कि यहां शंख का अर्थ है पेट या आंतें और प्रक्षालन का अर्थ है धोना। इस क्रिया से अंत:वाहिनी नली कंठ से गुदा तक शुद्ध हो जाती है । शंख प्रक्षालन क्रिया वर्ष में केवल दो बार बदलते मौसम में ही की जा सकती है। इस समय मौसम इस क्रिया के लिए अनुकूल है। शंख प्रक्षालन एक ऐसी यौगिक शुद्धि क्रिया है, जिसमें पानी पीकर कुछ सरल से योगासन किए जाते हैं, पांच बार इस क्रम को दोहराकर मल निष्कासन के लिए शौचालय जाया जाता है।

यह पूरी क्रिया पांच – छः बार की जाती है। पहली बार शौच जाने पर सामान्य मल निकलता है, दूसरी बार कुछ पतला, तीसरी बार और अधिक पतला, फिर पानी के साथ मल के छोटे-छोटे टुकड़े और अंत में स्वच्छ पानी जैसा मल निकलता है तो क्रिया संपन्न हो जाती है। सामान्य साधक को यह लगता है कि उसे कब्ज नहीं है तो उसका पेट साफ है, परंतु वास्तविकता यह है कि सभी की अंतड़ियो में काफी मात्रा में मल जमा रहता है ।

जब हम यह क्रिया करते हैं और हमारा मल अंतड़ियों में से उखड़ उखड़ कर शौच द्वारा बाहर आता है तो हमारा यह भ्रम दूर हो जाता है कि हमारा पेट साफ है। इस क्रिया से पेट के रोग, फेफड़े, वात-पित्त-कफ के रोग, गर्मी से होने वाले रोग, सर्दी-जुकाम, नेत्र संबंधी विकार व सिर दर्द इत्यादि ठीक होते हैं । यह क्रिया करने से 6 महीने हमारा पेट ठीक रहता है और हमारी साधना में भी निखार आता है।

निषेध : संस्थान के प्रांतीय कोषाध्यक्ष सुरेश कुमार ने बताया कि आंतों की कमजोरी, आंतों में सूजन, गंभीर हृदय रोगी, उच्च रक्तचाप के रोगी व अल्सर के रोगी को शंख प्रक्षालन क्रिया नहीं करनी चाहिए।

सावधानियां : संस्थान के प्रांतीय मंत्री मानसिंह ने बताया कि शंख प्रक्षालन करने वाले साधक एक दिन पहले रात्रि को भोजन न करें या हल्का सुपाच्य भोजन ग्रहण कर रात्रि में पूरी नींद लेकर विश्राम करें। प्रातः शंख प्रक्षालन स्थल पर नीचे बिछाने के लिए सफेद या हल्के रंग की चादर और एक छोटा तौलिया लेकर समय पर पहुंच कर पंजीकरण करवाएं।

वहां करवाई जा रही सभी क्रियाएं विधि से करें तथा वहां दिए जा रहे निर्देशों को ध्यानपूर्वक सुन समझकर उनका पालन करें। क्रिया के पश्चात 15-20 मिनट का शव आसन करने के पश्चात पेट भर कर देसी घी से तर खिचड़ी अवश्य खाएं। भूख हो न हो, खिचड़ी खाना अति आवश्यक है।

महत्व खिचड़ी का नहीं, घी का है। इससे हमारी आंतों में देसी घी का लेप जम जाता है जो आंतों को साफ रखने में सहायक होता है। क्रिया करने के पश्चात तीन-चार घंटे तक न सोएं। तीन-चार घंटे तक पानी भी न पीयें। ठंडा पानी तो बिल्कुल नहीं, अधिक आवश्यकता हो तो गर्म या कोसा पानी पीयें।

क्रिया करने वाले दिन कठिन परिश्रम वाला काम न करें। क्रिया वाले दिन व उसके पश्चात दो दिन दूध या दूध से बने पदार्थों ( जैसे दूध, चाय, दही, लस्सी, कुल्फी, आइस क्रीम, रबड़ी, मावा /खोया, मिठाई इत्यादि) का सेवन न करें। क्रिया करने वाले दिन दोपहर और रात्रि में भी यदि देसी घी से बनी मूंग दाल की खिचड़ी ही खाई जाये तो ज्यादा अच्छा रहेगा। क्रिया का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए अगले दो दिन भी हल्का व मिर्च मसालों से रहित सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करें।

 

यह भी पढ़े

राजकीय प्राथमिक पाठशाला नरकातारी के 4 विद्यार्थियों का हुआ प्रतिष्ठति संस्थानों में दाखिला 

पूर्व राज्य मंत्री  छोटे लाल यादव की निधन

सर्वोच्च न्यायालय ने संशोधित आईटी नियमों के कार्यान्वयन पर क्यों रोक लगाई?

इंटरनेट की स्वतंत्रता से क्या मतलब है?

क्या आज भी बालिकाओं के जन्म को अभिशाप माना जाता है?

क्या आज भी बालिकाओं के जन्म को अभिशाप माना जाता है?

 

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!