क्या सीवान में आ रहा फिर जंगलराज ?

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हाल में सीवान में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं से दहशत में आम जनता

पुलिस ने तत्काल नहीं बरती सतर्कता और सख्ती तो असामाजिक तत्वों का बढ़ जायेगा मनोबल

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

क्या फिर सीवान जंगलराज की ओर बढ़ रहा है? यह प्रश्न शायद हर सीवानवासी के मन में जरुर उठ रहा है। पिछले दस से पंद्रह दिनों के भीतर घटित आपराधिक वारदातों के चलते सीवान की आमजनता एक बार फिर दहशत के साए में आ चुकी है। पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। जानकार यह भी बता रहे हैं कि यदि असामाजिक तत्वों पर पुलिस द्वारा शीघ्र कठोर प्रहार नहीं किया गया तो सीवान को फिर एक बार जंगलराज के दौर में जाना पड़ेगा।

किसी भी तरह की असामाजिक वारदात सबसे पहले पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता को सूचित करती है। आपराधिक तत्वों में यदि पुलिस का डर नहीं कायम है तो इसे कानून व्यवस्था के संदर्भ में बेहद खतरनाक संकेत ही माना जायेगा। हालिया घटित वारदातों पर यदि पुलिस तत्काल ठोस कारवाई अगर नहीं कर पाती है तो निश्चित है कि आपराधिक तत्वों का मनोबल बढ़ेगा। जिससे निकट भविष्य में आम जनता को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

निरंतर घटित हो रहे सीवान जिला में आपराधिक वारदात यह साबित कर रहे हैं कि पुलिस प्रशासन के स्तर पर नियमित गश्त और सतर्कता के प्रयासों में लापरवाही बरती जा रही है तथा इंटेलिजेंस नेटवर्क बहुत उदासीनता बरत रहा है।
पुलिस को समझना चाहिए कि आज के दौर के अपराधी तकनीकी रूप से ज्यादा सुसज्जित और डिजीटली ज्यादा कुशल है। इसलिए पुलिस को भी डिजिटली सतर्कता बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। पुलिस के पास भी अत्याधुनिक संसाधन आ चुके हैं जिसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए।

पिछले कुछ महीनों से सिवान में लगातार वारदातें हो रही है। उन वारदातों के संदर्भ में पुलिस की हल्की प्रतिक्रिया अब बेहद भारी पड़ने जा रही है। पुलिस की हल्की प्रतिक्रिया अपराधियों के मनोबल को काफी हद तक बढ़ा जाती है। इसलिए पुलिस प्रशासन को सख्त रूप अख्तियार करना पड़ेगा। पुलिस के आलाधिकारियों को इस मसले पर मंथन करना होगा।

अभी तात्कालिक स्तर पर जनता को भी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करना पड़ेगा। सतर्कता और जागरूकता के स्तर पर प्रयास करना होगा। आज कल हर हाथ में एंड्रॉयड फोन मौजूद है। किसी भी गलत गतिविधि की सूचना पुलिस को देनी होगी। यह बात ध्यान में रखना होगा कि यदि अपराध बढ़ता है तो उससे प्रभावित हर किसी को होना होता है।

हाल में घटित आपराधिक वारदात के शिकार अधिकतर ब्राह्मण समुदाय के लोग ही दिखाई पड़ रहे हैं। इसके पीछे के जिम्मेवार तथ्य की पड़ताल भी आवश्यक है। हालांकि अपराध अपराध होता है आज अगर ब्राह्मण समुदाय के लोग शिकार बन रहे है तो कल अन्य समुदाय के लोग भी शिकार बन सकते हैं। इसलिए सभी को सचेत और सतर्क होने की आवश्यकता है क्योंकि अपराध का कोई धर्म या जाति नहीं होती। अपराधी सिर्फ अपराधी होता है और उसकी जगह सिर्फ कारागार ही हो सकती है। अपराधियों को भी समझना चाहिए कि उनका अंजाम भी बुरा ही होता है। इसलिए सीवान की फिज़ा को खराब करेंगे तो परिणाम उन्हें भी भुगतने होंगे।

सीवान में कई राजमार्ग बननेवाले हैं, मैरवा में मेडिकल कॉलेज आ रहा है, सिवान में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित होने जा रहा है, सिवान में पर्यटकों को लाने के प्रयास चल रहे हैं। ऐसे में अगर सीवान में अपराधिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं तो इसे सीवान का दुर्भाग्य ही माना जा सकता है।

ऐसे में हाल में घटित आपराधिक वारदातों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन को बेहद सख्त और कठोर रुख अख्तियार करना होगा ताकि अपराधियों के मनोबल को तोड़ा जा सके। अन्यथा सीवान इतिहास में जंगलराज का सामना कर चुका है उस दौर की व्यथा को भला कौन याद करना चाहेगा?

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