श्री गणपति से सीखिए सर्वश्रेष्ठ लीडर बनने के गुण

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आलेख ः श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान)

श्रीनारद मीडिया‚ सेंट्रल डेस्कः

आज के लीडर सिर्फ और सिर्फ आर्थिक प्रगति को ही सफलता का पैमाना मानते हैं। और इस आर्थिक प्रगति के लिए वे सिर्फ अपने दिमाग की सुनते हैं। सच कहें, तो आज के लीडर इतनी ज़्यादा बुद्धि की सुनते हैं कि उनके दिल की आवाज़ दब तो क्या, कुचलकर खत्म ही हो चुकी है। यानी लीडर का ‘आई. क्यू.’ (इंटेलिजेंस कोशेंट माने बौद्धिकता) का स्तर तो बढ़ता जा रहा है, पर ‘ई. क्यू.’ (इमोशनल कोशेंट माने भावनात्मकता) का स्तर घटता जा रहा है। एक शोध के अनुसार यह पाया गया कि जैसे-जैसे लोगों का ओहदा बढ़ता है या यूँ कहें कि जैसे-जैसे कोई लीडर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता है, वैसे-वैसे उसका भावनात्मक स्तर कम होता जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि गणाध्यक्ष का गजमुख किस बात की ओर संकेत करता है? हाथी एक अत्यंत भावुक प्राणी है। वह करुणा, सहयोग, मैत्री के भावों को बहुत अच्छे से समझता और निभाता है। अपने झुंड के हर साथी के साथ भावनात्मक रिश्ता साँझा करता है। इतना ही नहीं, अन्य जीवों के सहयोग के लिए भी तत्पर रहता है। पर ऐसा भी नहीं कि उसमें बुद्धि का अभाव है। बल्कि अन्य जीवों की तुलना में हाथी में ग्रे-मैटर (बुद्धि) सबसे ज़्यादा होता है। सो, गणाध्यक्ष अपने इस स्वरूप से हम सभी लीडरों को यह संदेश देते हैं कि अच्छे लीडर में बुद्धि और भाव दोनों का संतुलन होना चाहिए। उसे केवल आर्थिक प्रगति को लक्ष्य बनाकर बुद्धि के अधीन हो निर्णय नहीं लेने चाहिएँ, बल्कि कंपनी के कर्मचारियों की स्थिति और भावनाओं का भी ध्यान रखते हुए विवेक और दिल दोनों से कंपनी व कर्मचारियों के हित में निर्णय लेने चाहिएँ।
एक और बात जो गणाध्यक्ष का मुख बताता है, वह है- ‘लीडर को झगड़ों में उलझना नहीं चाहिए’। क्या आपको पता है कि गज का सिर बहुत नाजुक होता है? इसी कारण हाथी एक दूसरे को सिर से नहीं छूते। ठीक इसी तरह लीडर भी अगर आपस में टकराव रखेंगे, तो निश्चय ही सफलता विफलता में परिवर्तित हो जाएगी। इसलिए सदैव टकराहट, फसाद, झगड़े से दूर रहें।
चलिए, अब गज के कानों के आकार से प्रेरणा लेते हैं। गज के कर्ण बहुत बड़े होते हैं। एक अच्छे लीडर के भी कान बड़े होने चाहिए। दरअसल, बड़े कान प्रतीक हैं, अच्छा श्रोता होने का। यानी एक लीडर के लिए सिर्फ एक अच्छा वक्ता होना पर्याप्त नहीं है। यदि वह अपने कर्मचारियों, साथियों के मतों व विचारों को सही से नहीं सुनता, तो निश्चय ही वह कामयाब लीडर नहीं बन सकता। लेकिन एक अच्छा लीडर वही है, जो सुनने की क्षमता को इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है।
गजमुख की छोटी आँखें यही लीडरशिप कौशल सिखाती हैं कि एक लीडर का फोकस गहरा व केन्द्रित होना चाहिए। युवा लीडर स्वामी विवेकानंद के इस कथन में आजकल के लीडरों को गज जैसी संकेन्द्रित आँखें रखने की सीख स्पष्ट है- ‘एक इरादा (लक्ष्य) ले लो। उस लक्ष्य को अपना जीवन बनाओ- उसके बारे में चिंतन रखो, उस लक्ष्य को लेकर जीओ। अपना मस्तिष्क, नसें, मांसपेशियाँ, शरीर का हर हिस्सा उसे पाने में लगा दो। तभी तुम्हें सफलता मिल सकती है।’ गज की छोटी आँखें यही कौशल सूत्र बताती हैं।
गणेश जी को लम्बोदर कहते हैं क्योंकि उनका उदर बहुत बड़ा है। यह प्रतीक है इस बात का कि लीडर की पाचन-शक्ति बहुत अच्छी होनी चाहिए। कहने का अर्थ कि यदि आपको कोई बुरा-भला कह दे, तो आप एकदम से प्रतिक्रिया न करें। सूझ-बूझ से काम लें। अंततः यही कहेंगे कि अच्छा लीडर वह नहीं होता, जो खुद आगे तन कर चले और अपने कर्मचारियों को आदेश दे। श्रेष्ठ लीडर तो सबको रास्ता दिखाते हैं और स्वयं उनके पीछे रहते हैं उन्हें संभालने के लिए। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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