राजशाही के विरोधी क्रांतिकारी सदस्य पीठासीन अधिकारी की बायीं ओर बैठ गए जबकि राजशाही के समर्थक कंजर्वेटिव सदस्य पीठासीन अधिकारी के दायीं ओर बैठ गए। इस तरह वहां से लेफ्ट विंग और राइट विंग का कॉन्सेप्ट वुजूद में आया।

वहीं, हाल ही में इटली में संपन्न हुए आम चुनाव में ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी ने चुनाव जीत लिया है। पार्टी की नेता जियोर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने वर्तमान प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी को भारी मतों के अंतर से हरा दिया है। मेलोनी अब इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी। जियोर्जिया मेलोनी को दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।

जियोर्जिया मेलोनी की जीत इटली में एक नये शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहला अवसर होगा जब इटली में दक्षिणपंथी विचारधारा की सरकार होगी।

जीत के बाद उन्होंने कहा कि हम इटली के सभी नागरिकों के हितों को ध्यान में रखकर सरकार को चलाएंगे, साथ ही देश को एकजुट और विकास के मार्ग पर आगे ले जायेंगे।

वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा

राजनीति में अक्सर वामपंथी और दक्षिणपंथी होने का आरोप लगाया जाता है। दरअसल, राजनीति दो तरह के लोगों के बीच बंटी हुई है, वामपंथी (Left Wing) और दक्षिणपंथी (Right Wing)। दोनों में विचारधारा का फर्क है। हालांकि राजनीति में हमेशा से ऐसा कभी नहीं था। इसकी शुरुआत हुई फ्रांस से। फ्रांस की नेशनल असेंबली (France National Assembly) में संविधान को तैयार करने के लिए पहुंचे नेताओं ने ऐसा निर्णय लिया जिससे लेफ्ट विंग और राइट विंग का जन्म हुआ। धीरे-धीरे ये शब्द विचार से ऐसे जुड़े कि राजनीति दो धड़ों में बंट गई और भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इन शब्दों का इस्तेमाल होने लगा।

दोनों विंग किस तरह की विचारधारा रखते हैं, इसे समझें

दोनों विंग की सोच अलग-अलग है। दोनों के अपने तर्क हैं, इसलिए एक-एक करके दोनों को समझते हैं। पहले वामपंथी यानी लेफ्ट विंग की विचारधार को जानते हैं।

इस विंग से ताल्लकु रखने वाले लोगों का मानना है कि समाज के हर इंसान के साथ एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह विचारधारा बराबरी, बदलाव और प्रगति को बढ़ावा देने पर फोकस करती है। इसके अलावा यह अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूलने की बात कहती है, ताकि बराबरी का लक्ष्य हासिल किया जा सके। वामपंथी विचार में राष्ट्रवाद का मतलब है सामाजिक बराबरी।

यह विचारधारा रूढ़ीवादी मानी गई है। इनकी आर्थिक नीति में कम टैक्स वसूलने की बात कही गई है। इसमें अधिकारियों, परंपराओं और राष्ट्रवाद को अहम दर्जा दिया गया है।

जब विचारधारा से जुड़ गया लेफ्ट और राइट

कुछ समय तक समाचार पत्रों ने लेफ्ट और राइट विंग का इस्तेमाल किया। 1790 तक करीब यह टर्म चलता रहा। फिर जब नेपोलिय बोनापार्ट का फ्रांस में शासन आया तो कई सालों तक लेफ्ट और राइट का कान्सेप्ट गायब रहा और साथ ही फ्रेंच असेंबली के अंदर दाएं और बाएं बैठने की कोई व्यवस्था नहीं रही।

फिर 1814 में संवैधानिक राजशाही के शुरू होने के साथ ही लिबरल और कंजर्वेटिव असेंबली में दाएं और बाएं बैठने लगे। फिर 19वीं सदी के मध्य तक फ्रांस के स्थानीय अखबारों में विपरीत राजनीतिक विचारधाराओं के लिए लेफ्ट और राइट का इस्तेमाल होने लगा। राजनीतिक पार्टियों ने तो बाद में खुद को ‘सेंटर लेफ्ट’, ‘सेंटर राइट’, ‘एक्सट्रीम लेफ्ट’ और ‘एक्सट्रीम राइट’ के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया।