महेंद्र शास्त्री जी साहित्यिक आ सामाजिक नायक हई

महेंद्र शास्त्री जी साहित्यिक आ सामाजिक नायक हई

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

आचार्य महेंद्र शास्त्री – जयंती प विशेष

जन्म- 16 अप्रैल 1901, मृत्यु – 31 दिसम्बर 1974

 साहित्यिक आ सामाजिक नायक के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बा 

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

महेंद्र शास्त्री जी के जनम 16 अप्रैल 1901 के बिहार के सारन जिला में महाराजगंज के जरी रतनपुरा गांव में भइल रहे । बाबुजी के नाव पं. लक्ष्मी पाण्डेय आ माई के नाव पं देवकी पाण्डेय रहे । शास्त्री जी के बहुत कम उमिर में बिआह हो गइल रहे आ साले दू साल में इहां के पत्नी के निधन हो गइल । शास्त्री जी दुबारा बिआह करे से मना क देहनी आ कम उमिर में ही विधुर रहि के जिनगी बितावे के फैसला कइनी आ सार्वजनिक सामाजिक साहित्यिक काम खातिर आगे बढनी ।

1929 में शास्त्री जी के बाबुजी के निधन हो गइल एह से घर के पुरा जिम्मेवारी इहां के कान्ह प आ गइल । 31 दिसम्बर 1974 के भोजपुरी के एह उर्जावान सपूत के निधन हो गइल जवन ना खाली भोजपुरी भाषा बलुक हिन्दी , संस्कृत , सारन आ बिहार खातिर बहुत बड़हन क्षति रहे जवना के कमी आजो पुरा ना भइल आ शायदे केहू एह कमी के पुरा सको ।

रामो दई यानि कि अक्षरारम्भ 1906 में शुरु भइल। सारन जिला के जगन्नाथपुर, महाराजगंज आ गोदना के संस्कृत विद्यालयन में पढाई कइला के बाद बनारस के अलग अलग संस्कृत विद्यालय आ महाविद्यालय में 1921 तकले पढाई भइल । 1922 में काशी विद्यापीठ में परिक्षा में पहिला स्थान मिलल रहे । ता-उम्र इहां के पढाई आ लिखाई जारी रहे ।

शिक्षा के समय आ पढाई लिखाई के बाद भी इहां के अध्यापन के काम जारी रहे । 1922 में भारत-धर्म-महामण्डल बनारस के महाध्यापक, ज्वालापुर महाविद्यालय (हरिद्वार) के दर्शनाध्यापक, हरिहरपुर संस्कृत विद्यालय (सारन) के प्रधानाध्यापक, हाजीपुर संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य, गोरेया कोठी उच्च विद्यालय (सारन) के संस्कृताध्यापक, गुरुकुल महाविद्यालय देवघर (संथाल परगना) के प्राचार्य, राजेंद्र उच्च विद्यालय पहलेजपुर(सारन) के संस्कृताध्यापक, बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ के प्राचार्य, उमाशंकर उच्च विद्यालय, महाराजगंज (सारन) के संस्कृताध्यापक, सिंहौता-बंगरा उच्च विद्यालय महाराजगंज (सारन) के संस्कृताध्यापक रहनी ।

अलग अलग समय में देश के आजादी खातिर संघर्ष, राजनैतिक, सामाजिक आ पत्रकारिता से सम्बंधित कार्यन के वजह से एगो नौकरी छुटत रहे त दोसर धरत रहनी ।

1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल आ असह्योग आंदोलन के चलते सरकारी परिक्षा के बहिष्कार कइनी । 1930 के सत्याग्रह आंदोलन में नोकरी छोड़ के सक्रिय आंदोलन में शामिल भइनी । सारन जिला के लगातार नेतृत्व कइनी आ लगभग तीन-चार महीना ले सारन जिला के डिक्टेटर रहनी । 1930 में 18 महीना खातिर सश्रम कारावास भइल । पटना कैम्प जेल में रहनी बाकिर गांधी-इरविन के समझौता के बाद आठ महीना के सजा के बाद जेल से छुट गइनी ।

महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के संगे सारन जिला के अमवारी किसान आंदोलन आ छितौनी किसान आंदोलन के नेतृत्व कइनी । 1942 के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय योगदान रहे । 1947 में आजादी के बाद सक्रिय राजनीति से अलग हो गइनी आ सामाजिक साहित्यिक काम में अपना शामिल क लेहेनी ।

1923 में शास्त्री जी ‘हलान्दोलन’ के शुरुवात कइनी जवना के उद्देश्य रहे कि ब्राम्हण लोग भी हर चलावे । 1924-25 से ही छुआ-छुत के मिटावे खातिर अलग अलग आंदोलन के शुरुवात देहनी । अछुतोद्वार, सफाई, नशाबंदी आदि खातिर सक्रिय सामाजिक आंदोलन कइनी । 1926 से स्त्री-शिक्षा के प्रचार प्रसार अंतिम समय ले कइनी ।

1928 में परदा-प्रथा के हटावे खातिर सक्रिय आंदोलन कइले रहनी । तिलक-दहेज आ बिआह -शादी में नाच गाना , बाज-गाजा आदि चीजन प पइसा खरचा के विरोध कइले रहनी आ आंदोलन के शुरुवात कइले रहनी । समाज में उपर के कुल्ह सुधार खातिर 150 से बेसी सम्मेलन सभा शास्त्री जी कइले रहनी ।

महेंद्र शास्त्री जी , सारन, हाजीपुर, सिवान, बलिया मिला के लगभग चौदह गो हाई स्कूल आ एगो डिग्री कालेज के स्थापना के सुत्रधार रहनी भा ओह के खोले खातिर कवनो ना कवनो तरिका आपन सहयोग देले रहनी । स्त्री शिक्षा प इहां के बहुत जोर देले रहनी । सारन जिला में पुस्तकालय के ले के एगो क्रांति के जनम देले रहनी महेंद्र शास्त्री जी । सैकड़न गो पुस्तकालय के खोलवावे में इहां के सहायक रहनी भा प्रेरक रहनी । 1952 में सारन जिला पुस्तकालय संघ के अध्यक्ष भी रहनी ।

पत्रकारिता में विशाल भारत ( कलकत्ता) आ योगी (पटना) से बहुत लम्बा समय तकले इहां के जुड़ल रहनी । स्वतंत्र पत्रकार के रुप में 1921 से अपना अंतिम समय ले इहां के अलग अलग पत्र-पत्रिका में लगातार लिखत रहनी । एगो लम्बा समय ले ‘सुप्रभातम’ नाव के संस्कृत के पत्रिका के नियमित लेखक रहनी । 1929-30 में गोरेयाकोठी (सारन) कई साल से ‘तरुण-तरंग’ नाव के हाथ से लिखल मासिक पत्रिका के संपादन आ प्रकाशन कइनी । 1940 में द्वैमासिक ‘भोजपुरी’ पत्रिका के सम्पादन आ संयोजक रहनी आ इ भोजपुरी के पहिला पत्रिका रहे ।

[ अइसे पहिला पत्रिका बगसर समाचार के कहल जाला] इहां के अंत समय ले भोजपुरी, हिन्दी आ संस्कृत के अलग अलग नामी आ सारन-बिहार के संगठनन से जुड़ल रहनी । सारन आ आसपास में इहां के रहत समय में कवनो साहित्यिक आयोजन चाहें उ भोजपुरी के होखे, संस्कृत के होखे भा हिन्दी के , बिना इहां के आयोजित ना होत रहे ।

महेंद्र शास्त्री जी सन्‌ 1920 से लिखल शुरु क देले रहनी । शुरुवात संस्कृत में लेखनी से भइल बाकिर 1921 से भोजपुरी आ हिन्दी में लिखाइल शुरु हो गइल । हास्य व्यंग्य टिबोली के झपसी से लिखाइल इहां के लेख बहुत मारक आ असरदायक रहत रहलन स । कविता, निबंध, कहानी इहां के प्रमुख विधा रहे भोजपुरी आ हिन्दी में ।

महेंद्र शास्त्री जी के रचना संसार –

महेंद्र शास्त्री जी के खुबी रहे कि इहां के अपने नाव से त रचना लेख लिखते रहनी छद्मनाव से भी इहां के लिखत रहनी ।

1- भकेलवा – भोजपुरी कविता संग्रह
2- हिलोर – भोजपुरी आ हिन्दी कविता संग्रह
3- संस्कृत सार – संस्कृत – साहित्य संकलन – सम्पादन
4- तरुण तरंग – हाथ से लिखल मासिक पत्रिका
5- भोजपुरी ( द्वैमासिक पत्रिक ) – भोजपुरी – एकर खाली एके अंक प्रकाशित भइल
6- आज की आवाज – भोजपुरी आ हिन्दी कविता संग्रह
7- संस्कृतामोद – प्रथम भाग – संस्कृत साहित्य – सम्पादन
8- संस्कृतामोद – द्वितीय भाग – संस्कृत साहित्य – सम्पादन
9- चोखा – भोजपुरी कविता संग्रह
10- सूक्ति सरिता – संस्कृत कविता संग्रह
11- प्रदीप – हिन्दी कविता संग्रह
12- धोखा – भोजपुरी कविता संग्रह – चीनी आक्रमण के सम्बंध में
13- सारण्यक – हिन्दी कविता संग्रह
14- मैं और मेरे – आत्मकथात्मक संस्मरण

आचार्य महेंद्र शास्त्री के उपर लिखाइल किताब – आचार्य महेन्द्र शात्री : व्यक्तित्व और कृतित्व जवना के संपादन पाण्डेय कपिल जी कइले बानी , एह किताब में शास्त्री जी के बारे में काफी जानकारी बा आ शास्त्री जी के लिखल कुछ रचना संग्रह भी एह किताब में बा । अलग अलग संस्था, समाज आ क्षेत्र के ओर से आचार्य महेंद्र शास्त्री जी के अलग अलग सम्मान मिलल आ लोग सम्मानित कइल गइल ।

किताब के डाउनलोड करे के लिंक – https://bhojpurisahityangan.com/…/Acharya-Mahendra…

आखर परिवार अपना एह सामाजिक साहित्यिक नायक के पाण्डेय कपिल जी के शब्दन में याद क रहल बा –

” शास्त्री जी अपना ढंग के अकेला मनई रहनी । अइसन आदमी बिरले पैदा होले । भोजपुरी आ हिन्दी , संस्कृत आ संस्कृति, भाषा आ साहित्य, कविता आ गद्य, हास्य आ व्यंग्य, लिखल आ लिखवावल, पढल आ पढवावल , सम्मेलन आ गोष्ठी, पुस्तकालय आ विद्यालय, शिक्षा के प्रसार आ दलितन के उद्धार, समाज सेवा आ राष्ट्र सेवा, सगरो छितराइल शास्त्री जी के कर्मठ जिनगी लोक-चिन्तन का जवना धागा में गंथाइल रहे उहो बिरले देखे में आवेला । लोक-चिन्तन के मानी, लोगो के फिकरे जियल – मूअल । शास्त्री जी के जिनगी लोग के जिनगी हो गइल रहे । उहाँ के उठ गइला से सांचहू भोजपुरी टुअर हो गइल । ”

अपना साहित्यिक, सामाजिक, सांकृतिक नायक के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बा ।

Leave a Reply

error: Content is protected !!