बेहद सतर्क व्यक्ति हैं मोदी,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में 80 करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने 20 साल के कार्यकाल में इससे सबसे बड़ी संतुष्टी मिल है. भारतीय राजनीति में उनके 50 साल के सफर में सबसे बड़ी उपलब्धि ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ है. यह उनका सपना है. 50 साल के सफर में उन्होंने जिन संकटों का सामना किया, उसे उन्होंने अवसर में तब्दील कर दिया. मसलन, मोदी ने राहुल गांधी की ‘चौकीदार चोर’ वाली टिप्पणी को एक आंदोलन के रूप में बदल दिया. मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल में ‘चौकीदार’ शब्द को जोड़ दिया. मोदी के फॉलोअर्स ने 2019 में इस चौकीदार शब्द को अपने ट्विटर हैंडल पर टैग कर दिया.
शीशी और सीरींज के जरिए 100 करोड़ कोरोना टीका लगाने की योजना बनाई
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि बैठकों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे पहले सवाल फार्मास्युटिकल कंपनियों और सीरींज निर्माताओं से था कि क्या आप 60 दिनों के अंदर 100 करोड़ सुई और शीशियों का उत्पादन कर सकते हैं. छह कंपनियों में से केवल एक ने सकारात्मक उत्तर दिया, जबकि बाकी के पांच ने चुप्पी साध रखी थी. उन्होंने कहा कि आप सरकार से जो कुछ भी चाहते हैं, मैं आपको लॉजिस्टिक सपोर्ट का आश्वासन देता हूं.
कोवैक्सीन या कोविशील्ड का उत्पादन आसानी से हो सकता है, लेकिन इस बात का समर्थन करने के लिए आपको इन सहायक प्रणालियों के साथ दवा लेकर आगे रहना होगा. यह बैठक जून की शुरुआत में हुई थी और अगस्त के अंत तक छह राज्यों में 80 करोड़ का उत्पादन हुआ. मोदी के एक करीबी विश्वासपात्र ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी ने हर स्तर पर इसकी निगरानी की.
मोदी ने बनाई अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की योजना
राजनीतिक रूप से नरेंद्र मोदी ने 2019 में अधिक सीटों के साथ फिर से चुनाव जीतने के बाद अपने दो करीबी और भरोसेमंद सिपहसालारों के साथ चर्चा की. ये थे अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल. विषय था तीन तलाक और अनुच्छेद 370. यह मोदी की दूरदर्शिता ही थी कि घोषणापत्र के आश्वासनों को क्रियान्वित करने के लिए भाजपा को सत्ता में होना चाहिए. इसलिए महत्वपूर्ण फैसले पहले छह महीनों में ही कर लिए जाने चाहिए. आज अगर 2021 के मध्य में इसे देखा जाए, तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करना एक शानदार फैसला था. अगर मोदी या फिर भाजपा सरकार ने इसमें देर की होती, तो इस तरह का उत्साह और नतीजे सामने नहीं आते, जैसा कि मोदी ने कोरोना और अफगानिस्तान संकट के कठिन दो बरसों में परिकल्पना की थी.
नरेंद्र मोदी एक बेहद संजीदा दूरदर्शी और महान योजनाकार हैं. मोदी के व्यक्तित्व की खासियत है कि उनकी याद्दाश्त जबरदस्त है. वे अपने मित्रों को कभी नहीं भूलते.
मन की बात रेडियो कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए राष्ट्र को संबोधित करते हैं. उनकी इस टीम की भी बड़ी दिलचस्प कहानी है. आठ वरिष्ठ विश्लेषक नरेंद्र मोदी के किसी एक महीने के कार्यक्रम पर शोध करते हैं. मोदी उनमें से पांच या छह को मंजूरी देते हैं. फिर रिसर्चरों की टीम आती है और चयनित टॉपिक में से किसी एक की वीडियोग्राफी के लिए उस लोकेशन पर जाती है. जैसा कि एक चयनित कार्यक्रम में तमिलनाडु की नाई की दुकान को शामिल किया गया. मोदी अपनी बात सुनाने में कई घंटे लगाते हैं. इसके बाद नरेंद्र मोदी रोजाना कुल 250-280 अधिकारियों को कार्यभार में व्यस्त रखते हैं.
चेतावनी के बावजूद जाफना जाने के इच्छुक थे मोदी
खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी से श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी हिस्से में जाफना की यात्रा करने के इरादे पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था. यहां तक कि मेजबान श्रीलंका की सरकार को भी काफी संदेह था, लेकिन नरेंद्र मोदी मजबूत इरादे के साथ इस पर डटे रहे. उन्होंने श्रीलंका के तमिलों और भारत सरकार की ओर से उनके लिए बनाए गए मकानों को सौंपने की इच्छा व्यक्त की.
जयललिता और करुणानिधि को मोदी कैसे याद करते हैं?
मोदी अपने घर में एक मिनी लाइब्रेरी रखते हैं. इसमें कई नोट हैं. मोदी कई तमिल साहित्य जैसे थिरुक्कुरल और कम्बा रामायणम से उद्धरण एकत्र करते हैं. मोदी हमेशा किसी भी तमिल को वनाक्कम और सौक्यामा के साथ स्वीकार करते हैं. मीनाक्षी मंदिर या तमिलनाडु के किसी भी पवित्र स्थान की अपनी व्यक्तिगत यात्राओं के दौरान उन्हें वेशती पहनने का शौक है. नरेंद्र मोदी गुजरात के गांधी नगर में शपथ ग्रहण के दिन जयललिता को मुख्यमंत्री के तौर पर सम्मानित करते हुए उन्हें याद करते हैं. गोपालपुरम आवास पर डीएमके प्रमुख करुणानिधि का दौरा मोदी को हमेशा याद रहता है. उन्हें एक वरिष्ठ नेता के आशीर्वाद की जरूरत थी.
मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से मिलने के लिए ममल्लापुरम को चुना
मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान यह सुनिश्चित किया कि वार्षिक बैठकें, राष्ट्राध्यक्षों के साथ द्विपक्षीय बैठकें नई दिल्ली में नहीं होंगी. यह मोदी की दृष्टि है कि ऐसी बैठकों को राज्यों की राजधानियों में स्थानांतरित किया जाए. इनमें से एक मोदी का मामल्लापुरम का चयन था, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय चर्चा की. यह मोदी ही हैं, जिन्होंने पुलिस महानिदेशकों की वार्षिक बैठकों को कई महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थानों पर आयोजित कराई. एक भुज में था, जहां एक बड़ा भूकंप आया और जिसे उनकी सरकार ने फिर से बनवाया था.
मोदी का नारा
इन 20 वर्षों में पीएम ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की भावना को मूर्त रूप दिया और इस नारे ने उनके और उनकी सरकार के बारे में लोगों की धारणा को कैसे बदल दिया है.
मोदी ने प्रगति वीडियो मीटिंग के जरिए लंबित परियोजनाओं की कैसे की समीक्षा
नरेंद्र मोदी को प्रगति प्रिय है. अपने कार्यकाल की पहली प्रगति बैठक में 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. वे यहीं पर नहीं रुके. वे आयुष्मान भारत और सुगम्य भारत अभियान की प्रमुख योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रगति के जरिए अपनी 30वीं बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें प्रो-एक्टिव गवर्नेंस और मल्टी मॉडल प्लेटफॉर्म आधारित आईसीटी पर चर्चा की.
मोदी ने नई दिल्ली को कैसे बदला?
नरेंद्र मोदी भारत में एक नई छवि लाने के इच्छुक हैं. सात साल से भी कम समय में नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में बहुत सारे बदलाव किए. इनमें से एक नए संसद भवन के रूप में न्यू सेंट्रल विस्टा सरकार इमारत का निर्माण कराना भी शामिल है. मोदी गुजरात में साबरमती नदी के आसपास के माहौल को बदलने के प्रयासों को शेयर करने के शौकीन हैं. उनकी यही भावनाएं थीं, जिसने उन्हें गंगा के जीर्णोद्धार कराने के लिए प्रेरित किया. मोदी ने गंगा को मां गंगा (नदियों की मां) के रूप में वर्णित किया है. आज विरासतों का शहर वाराणसी पूरी तरह से बदल गया है.
मोदी चाहते हैं ह्यूमन और पर्सनल टच
भूकंप हो, राष्ट्रीय आपदा हो या दुर्घटना हो, भावुक नरेंद्र मोदी पीड़ितों तक जरूर पहुंचते हैं. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता चला कि यह लेखक अस्पताल में भर्ती है, तो नरेंद्र मोदी मेरे परिवार और बाद में मेरे घर पर रहने के बाद अपने निजी फोन से बात की. उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनके ओएसडी हिरेन भाई जोशी मुझसे मिलें. जमीन से जुड़े व्यक्तित्व वाले सच्चे नेता मोदी ने भाजपा के महासचिव के रूप में कार्य किया और पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के प्रभारी बने. उन्हें आज भी बीजेपी के एक-एक कैडर की याद है
बेहद सतर्क व्यक्ति हैं मोदी
नरेंद्र मोदी किसी भी बड़ी सभा या भाषण से पहले रिहर्सल, रिसर्च और फीडबैक लेते हैं. नोटबंदी के दिन मोदी ने अपने कैबिनेट सहयोगियों को राष्ट्र के नाम अपना संबोधन साझा नहीं किया. उन्होंने इसका खाका तैयार किया. इसे कई बार पढ़ा और अपने दो करीबी भरोसेमंद लोगों से सलाह ली.
मोदी प्रणब मुखर्जी की जोड़ी
वाजपेयी और आडवाणी के बाद प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना गुरु मानते हैं. दिलचस्प बात यह है कि मोदी और मुखर्जी के बीच एक समान राजनीतिक विरोध था. प्रणब दा को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.