निक्षय मित्र बनकर टीबी उन्मूलन अभियान में निभाएं सक्रिय भागीदारी

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बायसी अस्पताल के चार कर्मियों ने टीबी मरीज़ों को लिया गोद:

परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमण से बचाने में सजगता जरूरी: सीडीओ

टीबी मुक्त अभियान में संक्रमण का चक्र तोड़ना जरूरी: एमओआईसी

मरीजों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने को लेकर किया जा रहा है प्रयास: एसटीएस

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


देश में टीबी बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भारत सरकार ने आगामी 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इस संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए विशेष रूप से अभियान संचालित किया जा रहा है। निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति में आम लोगों की भागीदारी को महत्वपूर्ण मानते हुए उनसे अपेक्षित सहयोग व समर्थन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी कड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बायसी में चार टीबी मरीज़ों को गोद लिया गया है। जिसमें एसटीएस नूर नूर अफ़शॉ, बीसीएम बंदना कुमारी, अस्पताल के सहायक राज कुमार ठाकुर एवं लैब टेक्नीशियन मंज़र आलम ने एक-एक टीबी मरीज़ों को गोद लिया है। साथ हीं इन सभी ने निक्षय मित्र बनकर पौष्टिक आहार के लिए टीबी के इन मरीजों में फूड पैकेट का वितरण किया। इस अवसर पर एमओआईसी डॉ विजय कुमार, बीएचएम किंकर घोष, एसटीएस नूर नूर अफ़शॉ, बीसीएम बंदना कुमारी, यूनिसेफ के बीएमसी संजय कुमार, यासीन अंसारी एवं निशांत अख़्तर सहित कई अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।

परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमण से बचाने में सजगता जरूरी: सीडीओ
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को दो हफ्ते से अधिक खांसी हो, खांसी के साथ बलगम आ रहा हो, विशेष रूप से शाम को बुख़ार बढ़ जाता है, या अन्य लक्षण जैसे- वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द एवं बलगम के साथ खून आना आदि टीबी का मुख्य लक्षण है। हालांकि टीबी की रोकथाम के लिए खांसते या छींकते वक्त मुंह पर रुमाल या साफ कपड़ा अवश्य रखें। ताकि दूसरे की सुरक्षा एवं बचाव की जा सके। अगर किसी भी व्यक्ति को टीबी के लक्षण नजर आएं तो अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच अवश्य कराएं। क्योंकि सजगता से परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमण से बचाया जा सकता है।

टीबी मुक्त अभियान में संक्रमण का चक्र तोड़ना जरूरी: एमओआईसी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बायसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है। इसकी पहचान में देरी होने से उपचार शुरू होने तक रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसलिए टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए संक्रमण का चक्र तोड़ना जरूरी है। उन्होंने बताया कि स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मियों से इलाज कराने के लिए आने वाले रोगी टीबी से संबंधित लक्षणों को लेकर जानकारी लेते हैं। प्रखंड क्षेत्र के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अपने-अपने क्षेत्र के मरीज़ों की स्क्रीनिंग कर उन्हें बीमारी के प्रति जागरूक कर रहे हैं। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता और एएनएम दीदियों के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर संभावित टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग की जाती है।

 

मरीजों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने को लेकर किया जा रहा है प्रयास: एसटीएस
वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षिका (एसटीएस) नूर नूर अफ़शॉ ने बताया कि निक्षय मित्र बन कर कोई भी व्यक्ति या संस्था टीबी मरीजों को उचित पोषण के साथ-साथ रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध करा सकता है। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को 500 रुपये प्रतिमाह सहायता राशि का भुगतान किया जा रहा है। टीबी मरीजों को अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए निक्षय मित्र योजना बेहद कारगर साबित हो रही है। निक्षय हेल्प लाइन नंबर- 1800116666 पर संपर्क कर इस संबंध में विस्तृत जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा निक्षय मित्र बनने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर इस अभियान से सहजता पूर्वक जुड़ा जा सकता है।

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