किसी भी पार्टी के लिए चुनाव प्रबंधन का काम अब नहीं करेंगे प्रशांत किशोर

किसी भी पार्टी के लिए चुनाव प्रबंधन का काम अब नहीं करेंगे प्रशांत किशोर

बंगाल में टीएमसी के रणनीतिकार रहे  पीके ने जीत के बाद कहा

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

 पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने रविवार को एक बड़ा एलान किया। प्रशांत किशोर ने एक टीवी चैनल से कहा कि उन्‍होंने चुनाव प्रबंधन का अपना पेशा छोड़ने का फैसला किया है। वह अब किसी भी पार्टी के लिए चुनावी रणनीतिकार की भूमिका नहीं निभाएंगे। पीके के नाम से चर्चित प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बंगाल विधानसभा चुनाव का परिणाम निर्णायक मुकाम पर पहुंचने के बाद यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि वह अब कुछ और करना चाहते हैं।

प्रशांत किशोर ने दिसंबर में दावा किया था कि भाजपा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में दोहरे अंकों को पार करने के लिए संघर्ष करेगी… ऐसा नहीं हुआ तो वह राजनीति छोड़ देंगे। प्रशांत किशोर ने रविवार को यह एलान कर कि वह ‘इस स्थान को छोड़ रहे हैं’ सियासी हल्‍के में सनसनी मचा दी। पीके ने इस साक्षात्‍कार में चुनाव आयोग की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि वह ‘भाजपा का विस्तार’ है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि मैंने कभी भी आंशिक चुनाव आयोग (Election Commission) नहीं देखा है। इसने भाजपा की मदद करने के लिए सब कुछ किया… धर्म के इस्‍तेमाल से लेकर मतदान कार्यक्रमों तक चुनाव आयोग ने कथित तौर पर भाजपा की मदद करने के लिए सब कुछ किया। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आलम यह है कि निर्वाचन आयोग को भाजपा का विस्‍तार कहा जा रहा है।

हालांकि प्रशांत किशोर अपने रुख पर कायम रहे कि बंगाल में भाजपा एक बड़ी ताकत थी। वह भाजपा की ओर से बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाने के प्रयास के बावजूद टीएमसी की जीत के बारे में आश्वस्त थे। उन्‍होंने कहा कि परिणाम एक तरफा दिख सकता है लेकिन यह एक मुश्किल लड़ाई थी। भाजपा एक जबरदस्त ताकत है और आगे भी होगी… गौरतलब है कि पीके (Prashant Kishor) ने ममता बनर्जी की पार्टी की चुनावी रणनीतियां तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। इसके बलबूते ममता बनर्जी की एक बार फिर सत्ता में वापसी की ओ बढ़ रही हैं।

यह भी पढ़े

करीब 76 करोड़ में बेची गई दुनिया की दूसरी सबसे महंगी नंबर प्लेट 

शिक्षक नेता व वरिष्ठ पत्रकार के सेवानिवृत्त शिक्षक पिता का निधन

परिस्थितियों ने बनाया था शहाबुद्दीन को पहली बार विधायक, सत्ता का संरक्षण पाते ही बन गये डान

बेहाल,बेरोजगार और हालात से मजबूर है मजदूर.

खुद हंसें और दूसरों को हंसाएं, हंसते रहना है बहुत कारगर.

आखिर राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों धराशायी हो गई?

दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और दर्शकों पर सत्यजित राय ने छोड़ा अमिट प्रभाव.

Leave a Reply

error: Content is protected !!