माफिया राज के नियंत्रण में चल रही पंजाब सरकार-नवजोत सिंह सिद्धू.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू लगातार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर जुबानी हमले कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने ट्वीट कर 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में उठाए ’75-25′ की हिस्सेदारी वाले आरोप को दोबारा हवा दी। सिद्धू पहले बेअदबी और कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर मुख्यमंत्री को घेर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने भ्रष्टाचार के मामले में सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।

सिद्धू ने ट्विटर पर लिखा, ‘ब्यूरोक्रेसी और पुलिस में सबसे पहले बादल परिवार की चलती है। सरकार लोगों के कल्याण के लिए नहीं, बल्कि माफिया राज के नियंत्रण में चल रही है।’ एक दिन पहले सिद्धू ने कहा था, ‘कोटकपूरा गोलीकांड में इंसाफ गृह मंत्री की नाकामी की वजह से नहीं मिला।’ गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास है।

खास बात यह है कि पहले तो दो मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और साधु सिंह धर्मसोत कैप्टन के समर्थन में खुलकर आए थे, लेकिन इस बार अभी तक वे भी खामोश हैं। हमेशा कैप्टन के बचाव में सबसे पहले आगे आने वाले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी इस बार चुप्पी साध ली है। कांग्रेस नेताओं की चुप्पी से पार्टी के अंदर चल रही खींचतान के संकेत भी मिल रहे हैं।

ऐसी स्थिति 2020 में तब देखने को मिली थी, जब जहरीली शराब पीने से 118 से अधिक लोगों की मौत के मामले में राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर को मांग पत्र देकर मामले की जांच सीबीआइ से करवाने का मुद्दा उठाया था। उस समय जाखड़ ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख कर दोनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।

जाखड़ ने भले ही इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया हो, लेकिन पार्टी में उन्हें समर्थन नहीं मिला था। जब निकाय चुनाव जीतने के बाद जब जाखड़ ने ‘कैप्टन फार 2022’ का नारा दिया था, तब भी पार्टी में खासी खींचतान दिखी थी। इस बार न तो जाखड़ ने आगे आकर सिद्धू पर कुछ बोला है और न ही पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता का कैप्टन को समर्थन मिला है। किसी भी नेता ने सिद्धू के उठाए मुद्दों को अनुशासनहीनता नहीं बताया।

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