प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा चूक की जांच पर पंजाब के बांधे हाथ.

प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा चूक की जांच पर पंजाब के बांधे हाथ.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंजाब दौरे के समय उनकी सुरक्षा को लेकर पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति पर विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है। विशेषज्ञ इसे समन्वय की कमी का अनोखा मामला मानते हैं, जिसमें एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) और राज्य पुलिस के बीच समन्वय में गंभीर खामी सामने आई। वहीं मामला अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाथ में ले लिया है और पंजाब सरकार के हाथ बांध दिए हैं। कोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के दौरे के रिकार्ड सुरक्षित रखने के आदेश दिए।

राज्य पुलिस पूरी तरह से जिम्मेदार

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के पूर्व महानिदेशक सुदीप लखटकिया के अनुसार प्रधानमंत्री के दौरे की व्यवस्था को लेकर एसपीजी और राज्य पुलिस के बीच परस्पर विश्वास का विशेष भाव होता है। दौरे में प्रधानमंत्री के आवागमन मार्ग की सुरक्षा के लिए राज्य पुलिस पूरी तरह से जिम्मेदार होती है।

सुरक्षा में दो बड़ी खामियां

सिक्किम के पूर्व पुलिस महानिदेशक अविनाश मोहानानेय के अनुसार बुधवार को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में दो बड़ी खामियां रहीं। पहली-प्रधानमंत्री को सड़क मार्ग से 100 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबे रास्ते पर ले जाना। दूसरी-प्रधानमंत्री की कार का उस फ्लाईओवर पर जाना जिसके दोनों ओर की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों के आने का खतरा था। अविनाश ने करीब तीन दशक तक इंटेलीजेंस ब्यूरो में भी कार्य किया है।

सड़क यात्रा का फैसला उचित

एसपीजी से जुड़े रहे एक अन्य पूर्व अधिकारी के अनुसार किसान संगठनों के विरोध की आशंका वाले पंजाब में 100 किलोमीटर से ज्यादा सड़क यात्रा का फैसला उचित नहीं था। इसे जरूरी भी मान लिया जाए तो इसके लिए पंजाब पुलिस की संकल्पबद्धता बहुत जरूरी थी जिसमें वह पूरे मार्ग को अपने कब्जे में रखती और उस पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त करती। प्रधानमंत्री के यात्रा मार्ग में पाकिस्तान सीमा के नजदीक स्थित फ्लाईओवर का इस्तेमाल अपने-आप में बहुत बड़ी चूक है।

नहीं देखा गया समन्वय

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के अनुसार प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर एसपीजी, खुफिया एजेंसियों और राज्य पुलिस के बीच का समन्वय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है लेकिन पांच जनवरी को वही नहीं था। इसके चलते प्रधानमंत्री को 15-20 मिनट तक असुरक्षित स्थिति में रुकना पड़ा। सिंह एसपीजी में भी कार्य कर चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के बांधे हाथ

वही प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे के दौरान सुरक्षा में चूक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाथ में ले लिया है और पंजाब सरकार के हाथ बांध दिए हैं। कोर्ट ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के दौरे के रिकार्ड सुरक्षित रखने के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसी से तत्काल यात्रा रिकार्ड लेकर अपने पास सुरक्षित रख लें।

राज्‍य सरकार की जांच कमेटियों पर स्‍टे

इसके साथ ही कोर्ट ने मौखिक तौर पर केंद्र सरकार और पंजाब सरकार से कहा कि वह अपनी जांच कमेटियों से सोमवार तक रुके रहने को कहें। कोर्ट मामले में 10 जनवरी को फिर सुनवाई करेगा। ये निर्देश प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले की जांच मांगने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से भी याचिका का समर्थन किया गया।

रिकार्ड को अपनी सुरक्षा में रखें

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील मनिंदर सिंह, पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया और केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह प्रधानमंत्री के पांच जनवरी के पंजाब दौरे के रिकार्ड सुरक्षित और संरक्षित रख लें।

चंडीगढ़ के डीजीपी और एनआइए के अधिकारी पंजाब सरकार और केंद्रीय एजेंसी से रिकार्ड लेकर सुरक्षित रखने में रजिस्ट्रार जनरल की मदद करेंगे। पंजाब सरकार, पंजाब पुलिस, एसपीजी और अन्य राज्य व केंद्रीय एजेंसियां रिकार्ड जब्त करने और सुरक्षित रखने में सहयोग देंगी।

एसपीजी की मदद करनी होगी

सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल से कहा कि वह फिलहाल रिकार्ड को अपनी सुरक्षा में रखें। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह इस आदेश की प्रति पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, चंडीगढ़ के डीजीपी, एनआइए के महानिदेशक और पंजाब के प्रमुख सचिव (गृह) को भेजे। संदेश स्पष्ट है कि कोर्ट ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को इससे अलग रखकर निष्पक्ष जांच कराने की मंशा जताई है। एनआइए के रूप में केंद्रीय एजेंसी को शामिल कर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को भी मान लिया है जिसमें यह कहा गया है कि राज्य पुलिस को एसपीजी की मदद करनी होगी।

याचिकाकर्ता ने कहा…

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील म¨नदर ¨सह ने प्रधानमंत्री की एसपीजी सुरक्षा का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के खिलाफ लंबित भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई कर रही अदालत का स्थान बदले जाने का उदाहरण दिया। ¨सह ने कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा राष्ट्रीय मुद्दा है। यह जांच राज्य सरकार नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट में केस मेंशन किए जाने के बाद पंजाब सरकार ने जांच कमेटी बना दी और तीन दिन में उससे रिपोर्ट मांगी है। याचिकाकर्ता ने पंजाब सरकार की जांच कमेटी पर सवाल उठाए और कहा कि मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए।

केंद्र सरकार ने कहा…

केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का यह रेयरेस्ट आफ द रेयर मामला है। इसमें तीन मुद्दे हैं। पहला, जब भी प्रधानमंत्री का काफिला निकलता है तो डीजीपी से ग्रीन सिग्नल लिया जाता है। दूसरे, प्रधानमंत्री के काफिले से 500-600 मीटर आगे एक वार्निंग कार चलती है जो किसी भी तरह का अवरोध होने पर सूचना दे। उसे स्थानीय पुलिस यह सूचना देती है। मेहता ने कहा कि इस मामले में स्थानीय पुलिस प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पीती नजर आई, उसने वार्निंग कार को रास्ता अवरुद्ध होने की जानकारी नहीं दी। प्रधानमंत्री का काफिला फ्लाईओवर पर रुक गया, आगे ट्रैक्टर आदि से रास्ता रोका गया था।

आतंकी संगठन हो सकते हैं शामिल

उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रतिबंधित आतंकी संगठन जो विदेश से काम करते हैं, शामिल हो सकते हैं। यह सीमा पार से आतंकवाद का मामला हो सकता है। मेहता ने कहा कि जिला जज एनआइए की मदद से इस मामले की जांच करें। राज्य सरकार की कमेटी मामले की जांच नहीं कर सकती, उसमें एक सदस्य गृह सचिव हैं जो खुद अंडर स्कैनर हैं। कोर्ट सारे दस्तावेज सील कवर में मंगाए। यह संदेश जाना चाहिए कि इस चीज को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

पंजाब सरकार ने कहा…

पंजाब सरकार की ओर से पेश एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि पंजाब सरकार प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को हल्के में नहीं ले रही है। सरकार ने उसी दिन हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी थी। छह जनवरी को फिरोजपुर में एफआइआर भी दर्ज हुई। सुप्रीम कोर्ट के मामले पर संज्ञान लेने के बाद केंद्र सरकार ने जांच कमेटी गठित की और राज्य के अधिकारियों को नोटिस भेजा है। कोर्ट जिसे चाहे जांच के लिए नियुक्त कर सकता है, लेकिन हमारी कमेटी को संदेहजनक नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट का सवाल

कोर्ट ने मेहता से कहा कि अगर राज्य की कमेटी पसंद नहीं तो कोई और बताओ। राज्य और केंद्र दोनों ने जांच कमेटी गठित की है। केंद्र की कमेटी क्या कर रही है। मेहता ने कहा कि हमारी कमेटी चूक की जांच कर रही है, यह प्रशासनिक है। कमेटी में एसपीजी की जगह गृह सचिव हो सकते हैं। यह कमेटी सिर्फ आंतरिक उद्देश्य से है। कोर्ट ने कहा कि यहां मुद्दा याचिकाकर्ता की मांग का है जो निष्पक्ष जांच मांग रहा है।

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