ग्रामीण डॉक्टर की निस्वार्थ सेवा से कालाजार पर ‘कसता शिकंजा’
• गांव का डॉक्टर बना हीरो, कालाजार को जड़ से मिटाने में निभाई अहम भूमिका
• कालाजार उन्मूलन की मुहिम में सामुदायिक सहयोग बना सहारा
• निस्वार्थ सेवा और सामुदायिक जागरूकता से बदल गई तस्वीर
श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):
एक समय था जब सारण जिले का मढ़ौरा प्रखंड कालाजार से जूझ रहा था। कई गांव इस बीमारी की चपेट में थे और लोगों के जीवन पर संकट मंडरा रहा था। लेकिन बीते कुछ वर्षों में हालात बदले हैं। आज जिले ने कालाजार नियंत्रण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। इस बदलाव में जहां स्वास्थ्य विभाग की सतत कोशिशें अहम रही हैं, वहीं समुदाय से जुड़े लोगों की निस्वार्थ भागीदारी भी कम नहीं रही।
ग्रामीण चिकित्सक बने उम्मीद की किरण
मढ़ौरा प्रखंड के मुबारकपुर गांव के ग्रामीण चिकित्सक डॉ. विजय कुमार इस कड़ी की अहम कड़ी साबित हुए हैं। वर्ष 2019 से वे कालाजार उन्मूलन अभियान में स्वास्थ्य विभाग को लगातार सहयोग दे रहे हैं। उनके क्लीनिक पर आने वाले ऐसे मरीज, जिनमें कालाजार के लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें वे तुरंत सरकारी अस्पताल रेफर कर देते हैं। इससे मरीजों का समय पर उपचार सुनिश्चित होता है और बीमारी फैलने से भी रोकी जा रही है।
सिर्फ इलाज नहीं, जागरूकता भी फैला रहे
डॉ. विजय न केवल मरीजों को रेफर कर रहे हैं, बल्कि समुदाय को कालाजार से बचाव के उपायों के बारे में भी जागरूक करते हैं। गांव-गांव जाकर लोगों को बताते हैं कि रेत मक्खी (सैंड फ्लाई) से होने वाली इस बीमारी से बचाव के लिए घरों में स्वच्छता बनाए रखना, सोने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना और संदिग्ध लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराना कितना जरूरी है।
स्वास्थ्य विभाग को बड़ी मदद
स्वास्थ्य विभाग मानता है कि डॉ. विजय जैसे स्थानीय चिकित्सकों की भूमिका ने कालाजार नियंत्रण में बड़ी मदद की है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इनकी वजह से कई संदिग्ध मरीज समय रहते अस्पताल पहुंचे, जिससे संक्रमण की कड़ी टूट पाई। यही कारण है कि जिले में कालाजार के मामले लगातार घटे हैं।
उपलब्धि की ओर सारण
आज की स्थिति यह है कि जिले में 10 हजार की आबादी पर एक या उससे कम कालाजार मरीज का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है और यह सफलता लगातार तीन साल से बनाए रखी गई है। यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। अब सारण जिला कालाजार मुक्त होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
सामुदायिक भागीदारी से ही स्थायी सफलता
विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल सरकारी प्रयासों से कालाजार जैसी बीमारियों का उन्मूलन संभव नहीं है। जब तक स्थानीय लोग जागरूक न हों और समुदाय आगे बढ़कर सहयोग न करे, तब तक स्थायी परिणाम पाना मुश्किल है। सारण जिले का उदाहरण यह दर्शाता है कि डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी और ग्रामीण मिलकर किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
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