संतोष गंगेले कर्मयोगी ने समस्याओं से जूझते हुए बनाई राष्‍ट्रीय पहचान

संतोष गंगेले कर्मयोगी ने समस्याओं से जूझते हुए बनाई राष्‍ट्रीय पहचान

संतोष गंगेले की जीवन जीने की प्रेरणा भरी सच्ची कहानी

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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बागेश्‍वर धाम सरकार के साथ संतोष गंगेले कर्मयोगी

 मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला के कस्बा नौगांव से  लगा ग्राम बीरपुरा में संतोष गंगेले कर्मयोगी का जन्म 11 दिसम्बर 1956  को एक किसान संत पंडित हरिहर महाराज  जुझौतिया  ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने वाले कर्मयोगी का जीवन बहुत ही संघर्ष पूर्ण विषम परिस्थितियों में भारतीय गृहणी सुमित्रा देवी गंगेले  के यहाँ 4 बेटियों ने निधन के बाद हुआ।

संतोष गंगेले कर्मयोगी जब 5 बर्ष की उम्र में ही पहुंचे थें कि गरीबी और निर्धनता ने उन्हे परिवार की जिम्मेदारी सम्भालने में अपना समय देना जरूरी हो गया था। घरेलू कामकाज के साथ ही  शिक्षा की ओर भी ध्यान देना जरूरी था। संतोष गंगेले कर्मयोगी की माँ भले ही अशिक्षित थीं लेकिन चतुर और दूरदर्शिता का अनुभव रखतीं थी इसीलिए उन्होंने अपने बेटे संतोष गंगेले कर्मयोगी को स्कूल भेजना शुरू किया। गाँव में जो स्कूल था वह भी कच्चे घरों में एक राजपूत परिवार की मेहरवानी से संचालित था। जहां  अध्यन शुरू किया। संतोष गंगेले कर्मयोगी अपने चारों भाईयों में और एक बहन में सबसे बडे थे ।

गाँव में 5 वी तक शिक्षा के वाद हायर सेकेन्ड्री स्कूल नौगांव में 1967 में प्रवेश लिया,लेकिन पारिवारिक समस्याओं के कारण परीक्षा में  अनुत्तीर्ण होने के कारण स्कूल से  निकाल दिया। संतोष गंगेले कर्मयोगी ने परिवार के सदस्यों में  छोड़ भाईयों और बहन की शिक्षा के लिए नगर के व्यापारियों के यहाँ 20 रूपये  माहवारी में नौकरी शुरू की । बर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय देशभक्ति का अनुभव हुआ । संतोष गंगेले कर्मयोगी ने एकवार फिर  से शिक्षा संस्थान में प्रवेश लिया लेकिन समस्याओं ने पीछे  धकेल दिया। मानवता के धनी लक्ष्मी चंद्र जैन मऊ -सहानिया बाले नौगाव में किराना की दुकान किये थे। उनके पास दुकान पर 30 रुपया मासिक बेतन पर मजदूरी करना शरू किया। सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक शिक्षा,दोपहर 12 बजे से रात्रि 8 बजे तक दूकान का कार्य।  रात्रि 9 बजे से 12 बजे तर पढाई। सुबह 5 से 6 पढाई। एक घंटे नित्य दिनचर्या में दिया. इस प्रकार की कठिन मेहनत से समय की कीमत समझकर जीवन को प्रगति की और ले गया. .

जिस कारण  बर्ष 1974 में  प्राईमरी माध्यमिक शाला में प्रवेश लिया और इस वार कक्षा 8 वी 1977 में  करनें के  साथ ही  आर्मी कालेज नौगांव में  बिल्डिंग रखवाली के चौकीदार के  पद पर नौकरी  मिल गई । दो  बर्ष  नौकरी करने के  बाद फिर  घर आकर  अपने  परिवार के  साथ  किसानी के कार्य  में सहयोगी बना । अनेक  लोगों के साथ  मजदूरी करते  हुए  बर्ष 1979 में  मजदूरी के लिए  दिल्ली चला गया । जहां  मजदूरों के साथ  19 रूपये  दिहाडी पर एक  बर्ष तक  नौकरी मजदूरी की । एक दिन  आन्ध्र प्रदेश गेस्ट हाउस दिल्ली में ठेकेदार ने मुझे  वह कार्य  बताया जो सफाई कामगार का  था । वह कार्य  शौचालय की पाईप  लाईन जो  बर्षों से सूखने के  कारण  बंद थीं  । मैने  अपनी  ईमानदारी और दूरदर्शिता के लिए  आत्मविश्वास के साथ शौचालय की सफाई कर दी लेकिन ठेकेदार से कहा कि मैं ब्राह्मण हूँ मुझे  स्वीपर का काम मत देना। संतोष गंगेले कर्मयोगी ने उसी समय  ईश्वर को साक्षी मानकर अपने विचारों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा भरी कहानी को अपनाने का संकल्प लिया।

चाय -पान की दुकान चला कर ग्रहण की उच्च शिक्षा- दिल्ली  में ठेकेदार के  यहाँ  मजदूरी करने के बाद फिर नौगांव में क्षय चिकित्सालय चौराहा पर एक गुमटी खोली , जिसमें  चाय पान की दुकान  संचालित की इसी बीच हायर सेकेन्ड्री परीक्षा की तैयारी के लिए  बुन्देलखण्ड कोचिंग कालेज में प्रवेश लिया । जहां अध्यन शुरू किया ।  स्वंय शिक्षा ग्रहण की और छोटे  भाईयों और बहन को भी  शिक्षित करने में  मेहनत से  धन खर्च किया ।  इसी  समय नौगांव के  साथियों से परिचित होने के कारण स्कूल के  बाद  साहित्य,सामाजिक,सास्कृतिक आयोजनों में सहयोगी बना । खबरें पढने में  रूचि होने के कारण पत्रकारिता  में प्रवेश लिया । लगातार प्रगति के साथ मित्रता में भी विस्तार हुआ । यहाँ  दुकान में  आमदनी में आय भी  बढी । संतोष गंगेले कर्मयोगी ने क्षेत्र में पत्रकारिता देश भक्ति में  कुछ ही समय में नगर व जिला में अपना नाम स्थापित कर गाँव बीरपुरा का गौरव बढाया ।

11दिसम्बर 1980 से पत्रकारिता देश भक्ति की शुरुआत छतरपुर से प्रकाशित दैनिक राष्ट्र भ्रमण समाचार पत्र से की कुछ ही  समय बाद  हिन्दी  टंकण सीखना शुरू किया जिससे अनेक  अनुभव  मिलें । भोपाल  वोर्ड से हिन्दी टंकण पास कर सरकार से प्रमाण पत्र मिला  । एक साथ अनेकानेक कार्यक्रमों में पत्रकारिता में भाषणों में  अत्यधिक प्रगति कर्मयोगी की श्रेणी में  गिनती  होने  लगी  । संतोष गंगेले कर्मयोगी ने हायर सेकेन्ड्री में  सफलता मिलतें ही । बर्ष 1980 बीए  में पढने के लिए  बापू  महाविद्यालय नौगांव में  प्रवेश लिया । विभिन्न योग्यताओं में स्थान पाने के साथ ही  समस्याओं ने पीछे धकेल दिया । कालेज में  मित्रों के बीच  विवाद होने पर  मारपीट झगड़ा हो गया । मामला  पुलिस तक गया । संस्था प्राचार्य श्री राम किशोर शर्मा जी ने हमारा सहयोग किया । मित्र अनिल जैन  ने पूरा  साथ दिया । हमने भी  अनिल जैन के  सहयोग को किसी तरह लौटने का  पूरा  प्रयास किया । दोस्तों में  स्वार्थ  और  संदेह को स्थान नहीं  देना  चाहिए । इसी बीच अदालत में पंडित श्री गोविन्द तिवारी जी अधिवक्ता से मुलाकात होने पर उन्होंने न्यायालय में अर्जीनवीस का स्थान दिया।  कुछ समय वाद न्यायालय से वार टाइपिस्ट का लाइसेंस मिला। पंडित गोविन्द तिवारी नेक इंसान के साथ साथ मानवता के धनी महापुरुष है।

समाज सेवा से खुश जिला कलेक्टर ने दिया जीवन का तोहफा- नौगाव तहसील में स्थाई तहसीलदार की पद स्थापना हो चुकी थी।  बर्ष 1983  में बुंदेलखंड में भयानक बाढ़ आने से धन -जन हानि हुई। छतरपुर जिला  कलेक्टर होशियार सिंह, सांसद श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी, विधायक यादवेंद्र सिंह [लल्लू राजा साहब ] सहित अनेक सामाजिक व्यक्तियों के साथ सामाजिक सेवा करने , पीड़ितों की मदद करने साथ रहने से छतरपुर जिला  कलेक्टर होशियार सिंह, ने मेरा पूरा परिचय पूछा और तहसील में कार्य करने के लिए याचिका लेखक का लाइसेंस 3 /83 जारी किया।  कुछ ही समय के अंदर नौगाव जनपद क्षेत्र के नागरिको की मदद से मेरा परिवार विकास की ओर बढ़ा , परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही उत्तम होने लगी।

1 मई 1984 को नौगाव में पंजीयन कार्यलय खुला जिसमे मुझे दस्तावेज लेखक की अनुज्ञप्ति मिली फिर क्या था।लगातार प्रगति और धन बर्षा के कारण आमजन में पहचान हुई।  जीवन की प्रगति के साथ ही जीवन बंधन के रिश्ते आने लगे। मेरा विवाह नौगाव के नगरपालिका अध्यक्ष दामोदर प्रसाद तिवारी , बरिष्ठ अधिबक्ता गोविन्द तिवारी हेमंत पाठक ने मेरा विवाह सीमावर्ती ग्राम जगतपुर उर्फ़ गढ़िया तय किया 1 फरवरी 1984 को तिलकोत्सव गर्रोली रोड पंडित  दामोदर तिवारी जी के मकान से हुआ इस आयोजन में नगर और जिला के लगभग चार सौ से अधिक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। 21 फरवरी 1984 को महाशिव रात्रि के दिन प्रभादेवी पुत्री गुमान बिहारी दुबे के साथ बिबाह संपन्न हुआ।

पत्रकार संघ अध्यक्ष बनने पर ली सत्य ईमान पर चलने की शपथ- नौगांव नगर की स्वच्छ छवि की पत्रकारिता को उच्च शिखर तक लेने के लिए नगर के सभी पत्रकारों ने संतोष गंगेले कर्मयोगी को तहसील अध्यक्ष का दायित्व जैसे ही सौपा 14 जनबरी 1986 को एक आयोजन नगरपालिका नौगाव कार्यालय में शपथ ग्रहण कराने का निर्णय हुआ।  नगर पालिका अध्यक्ष श्री शंकर लाल जी मेहरोत्रा ने आयोजन में सभी खर्च स्वंम उठाने का सहयोग दिया। इस आयोजन में नगर नौगांव के सभी पत्रकार ,अधिकारी ,राजनेता ,सामाजिक व्यक्तिओ को आमंत्रित किया. इस आयोजन में छतरपुर के जिला जज एबं सत्र न्यायाधीश श्री एम् एस कुरैशी रहे।  वह दिन था जब सैकड़ो आमजन के साथ भारतीय पत्रकारिता को सत्य और ईमानदारी के साथ करने की शपथ ली थी।  छतरपुर जिला के साथ साथ,रीवा,भोपाल,जबलपुर, इंदौर,झाँसी,कानपुर,दिल्ली से प्रकाशित समाचार पत्रों में इस समाचार को पहलीवार स्थान मिला था क्योकि पत्रकारों का शपथ ग्रहण नहीं होता , लईकिन यह कार्य प्रभु कृपा से हुआ।  आज तक उस शपथ को ध्यांन में रखकर कार्य किया जिससे पत्रकारिता में आज शिखर पर नौगाव का नाम प्रदेश और देश में है।

स्वंम और बेटे की शादी बिना दहेज़ करने प्रदेश स्तर  पर  मिला सम्मान- बुंदेलखंड के कर्मयोगी संतोष गंगेले को बचपन से ही सामाजिक समरसता के कार्य करने का जूनून रहा।   इसी कारण जब वह माध्यमिक शाला में पढ़ते थे तो छोटी -मति कविताओं का लेखन और गायन का शौक रहा।   जब बापू महाविद्यालय में अध्ययन करते थे और कौमी एकता जैसे राष्ट्रीय आयोजनों में सहभागिता निभाते रहे. दहेज़ के विरुध्य वह अपने अध्ययन के समाज से ही विरोध करते रहे।   जब उन्होंने विबाह किया जो सामान्य परिवार में बिना दहेज़ 1984  बिबाह कर समाज को सन्देश दिया। उनकी धर्मपत्नी का निधन हो गया।  दूसरा बिबाह किया तो वह भी बिना दहेज़ साधारण परिवार में किया।  पिछले बर्ष उन्होंने अपने शिक्षित योग्य बेटे का बिबाह भी बिना दहेज़ कर मध्य प्रदेश के समाज बंधुओ को सन्देश दिया।   मध्य प्रदेश सर्ब ब्राह्मण समाज ने उनके सामाजिक कार्य के लिए प्रदेश स्तर पर समाज गौरव सम्मान से सम्मानित किया।  बर्तमान में बिना दहेज़ की बिबाह की कल्पना ही लगती है लेकिन समाज में सामाजिक समरसता के धनी समाजसेवी श्री संतोष गंगेले [कर्मयोगी ] ने समाज में नजीर बनकर ऐसे कार्य किये है जो समाज को दिशा दे रहे है।

समाज सेवा के लिए  राष्ट्रीय स्तर पर हो चूका सम्मान-  मध्य प्रदेश हृदय स्थली बुंदेलखंड के छतरपुर जिला के क़स्बा नौगाव के  रहने बाले समाज सेवी]  संतोष गंगेले [कर्मयोगी] के श्री  जीवन की सैकड़ो सामाजिक घटनाएं है।  उन्होंने जीवन में सामाजिक समरसता , देश के एकता -अखंडता  साथ -साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारो के लिए अपना जीवन ही समर्पित कर दिया है।   उनकी कथनी करनी में समानता होने से आज उनके काम और नाम को लोग नजीर के रूप में प्रस्तुत करते है.  जीरो से हीरो बनने बाले  श्री संतोष गंगेले [कर्मयोगी ] ने बर्ष 2013 में  भारतीय पत्रकारिता के पुरोधा शहीद गणेश शंकर विधार्थी जी केजीवन  प्रभावित होकर संगठन बनाया।   इस संगठन का नाम गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेश रखा , जिसका पंजीयन होने  के बाद इस संगठन को प्रदेश स्तर पर स्वंम के धन पर आमजन तक पहुँचाने का प्रयास किया।  आज  श्री संतोष गंगेले [कर्मयोगी ] को मध्य प्रदेश को प्रदेश के सभी बरिष्ठ और कनिष्ठ पत्रकार साथी जानते है. बर्ष 2011 से सोशल मिडिया से जुड़ने के कारण गूगल में उनको स्थान मिला है।  मध्य प्रदेश में सर्व प्रथम राजगढ़ ब्यावरा , जीरापुर , खिलचीपुर , पचोर , आगर -मालवा के नलखेड़ा , सीहोर , इंछावर , देवास , इंदौर , भोपाल , उज्जैन , शाजापुर , विदिशा , गंजबासोदा , सागर में दबंग दुनिया परिवार ने बुंदेलखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया।   बंडा, शाहगढ़ , जबलपुर , छतरपुर।, पन्ना।  टीकमगढ़ जैसे प्रमुख्य स्थानों पर सम्मानित किया गया।       साथ साथ उत्तर प्रदेश के मथुरा के चंद्र लेखा होटल में राष्ट्रीय स्तर इज सम्मानित किया.  , हरियाणा भिवानी , दिल्ली में  आजाद भवन में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चूका है।   बर्तमान में शिक्षा , स्वास्थ्य ,स्वच्छता ,समरसता ,समाज ,बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ , स्वच्छ भारत अभियान , समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा को बंद करने।  नशा मुक्ति अभियान , अकाल मौतों से कैसे बचाएं आदि बिषयो को लेकर शिक्षण संस्थाओ में निजी बाहन ,निजी पैसा यानि तन मन धन से समर्पित होकर समाज सेवा ने लगे है। बर्ष 2007 से लाखों बच्चो से व्यक्तिगत मिलकर उनको प्रतिभावान बनाने ,प्रतिभाओ को निखारने प्रोत्साहित और सम्मान कर नया कीर्तिमान स्थापित करने मे लगे है। .

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