बिहार के आठ डाकघरों में लगभग चार करोड़ से अधिक का घोटाला, कैसे?

बिहार के आठ डाकघरों में लगभग चार करोड़ से अधिक का घोटाला, कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में सहरसा और सुपौल के आठ डाकघरों में लगभग चार करोड़ से अधिक रुपये के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है. लगभग 800 से अधिक खातों से यह अवैध निकासी की गयी है. इसके बाद घोटाले की जांच को लेकर एक कमेटी भी गठित कर दी गयी है. डाक विभाग के वरीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार डाकघरों के पोस्ट मास्टर ने अपने सहयोगियों की मदद से साइलेंट खाते से चार करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है.

अधिकारियों को किया गया शामिल

पोस्ट मास्टरों ने वैसे खातों से निकासी की है, जिनमें पिछले सात-आठ साल से लेनेदेन नहीं हो रहा था. डाक विभाग के वरीय अधिकारियों की मानें, तो अन्य जिलों के दर्जनों डाकघरों में घोटाला होने की सूचना मिली है. इसकी आंतरिक जांच चल रही है. आने वाले दिनों में डाकघरों का औचक निरीक्षण निगरानी विभाग की टीम करेगी.

ऐसे पकड़ में आया मामला

मामला प्रकाश में तब आया जब डाक विभाग के वरीय अधिकारियों ने खातों की जांच की, तो बचत बैंक नियंत्रण संगठन (एसबीसीओ) के वाउचर और खातों में मिलान किया गया, तो गड़बड़ी मिली. इसके बाद अधिकारियों ने जांच का दायरा बढ़ाया, तो सहरसा और सुपौल प्रधान डाकघर के अधीन अाठ डाकघरों में इस तरह का घोटाला प्रकाश में आया.

डाक विभाग ने घोटाले में शामिल आठ कर्मचारियों को किया निलंबित

प्रारंभिक जांच में अब तक चार करोड़ रुपये से अधिक रुपये की निकासी का मामला प्रकाश में आया है. इस मामले में अब अब आठ पोस्ट मास्टर और सहायक पोस्ट मास्टर को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा घोटाले में सहरसा बचत बैंक नियंत्रण संगठन के भी एक कर्मचारी के दोषी पाये जाने के बाद उसे निलंबित कर दिया गया है.

शुरू हुई कार्रवाई

बिहार सर्किल के वरीय अधिकारियों की मानें, तो एक माह पहले घोटाले की जानकारी डाक विभाग के बिहार सर्किल को मिली थी. उसके बाद मुजफ्फरपुर, पटना डिवीजन और पूर्वी प्रक्षेत्र के अधिकारियों की कमेटी गठित कर कार्रवाई की गयी. अधिकारियों ने बताया कि इस घोटाले में बचत बैंक नियंत्रण संगठन के कर्मचारियों और अधिकारियों की अहम भूमिका है, क्योंकि इन कर्मचारियों ने ही बिना लेनदेन खाते की जानकारी उपलब्ध कराने की बात स्वीकार की है.

पहले भी हुआ था घोटाला

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2019 में भी वजीरगंज उप डाकघर में भी तीन करोड़ रुपये का घोटाला होने का मामला प्रकाश में आया था. माइग्रेशन के बाद डाकघर के कर्मचारियों ने पहले भुगतान लिये गये खातों को पुन: एक्टिव कर खाते से पैसा निकाल लिया था. इसकी अभी जांच चल रही है. इसके अलावा कुछ साल पहले नवादा हेड आॅफिस के ट्रेजरी से लगभग 13.25 करोड़ का घोटला हुआ था. घोटाले का मुख्य आरोपित खजांची अंबिका चौधरी का निधन हो चुका है. इस घोटले की जांच लगभग हो चुकी है.

वर्षों से आधा दर्जन घोटाले की जांच कर रही है सीबीआइ की टीम

फिलहाल इस घोटाले की जांच सीबीआइ कर रही है. इसी तरह वर्ष 2019 में पटना जीपीओ में लगभग 4.50 करोड़ रुपये का घोटाला प्रकाश में आया था. फिलहाल इस घोटाले की जांच सीबीआइ की टीम कर रही है. लाल बहादुर शास्त्री नगर उप डाकघर में भी एक करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ था. डाक विभाग ने इसकी जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी है. इसी तरह वर्ष 2016 में अनिसाबाद डाकघर में भी लगभग दो करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ था. इसी तरह हाजीपुर डाकघर और मधुबनी डाकघर में भी दो करोड़ से अधिक के घोटाले हुए हैं.

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