साढ़े तीन एकड़ में फैला है,300 साल पुराना अनोखा बरगद का वृक्ष.

साढ़े तीन एकड़ में फैला है,300 साल पुराना अनोखा बरगद का वृक्ष.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आपने बरगद के पुराने और विशाल पेड़ खूब देखे होंगे, लेकिन पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के एक गांव में अब भी हरा-भरा लगभग 300 साल पुराना बरगद का पेड़ ताज्‍जुब में डाल देगा। यह पेड़ करीब साढ़े तीन एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस पेड़ की छत्रछाया में काफी संख्‍या में पक्षी और जंगली जीवों का बसेरा है। गांव और आसपास लोगों का इस पेड़ से खासा लगाव है।

फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव चोल्टी कलां में लगा है पेड़

इस पेड़ ने फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव चोल्टी कलां की देश में ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपनी अलग पहचान है। गांव के लोगों का इस पेड़ से खासा लगाव है और इसकी देखभाल पर उनका पूरा ध्‍यान रहता है। पर्यावरण दिवस के मौके पर इसके बारे में बताना इसलिए महत्वपूर्ण है कि एक ओर जंगलों के जंगल खत्म किए जा रहे हैं वहीं, कुछ गांव ऐसे भी हैं जिन्होंने इस तरह के बरगद के पेड़ों को बचाया हुआ है। चोल्टी गांव के इस बरगद के पेड़ के चलते यहां जैव विविधता बनी हुई है।

जैव विविधता को बचा रखा है इस पेड़ ने

पंजाब के ज्यादातर हिस्सों से लुप्त हो रहे पंछी जिनमें मोर, उल्लू, सांप, मानिटर छिपकली, उद्यान छिपकली, कीड़े, आथ्र्रोपोड, मिलीपेड, नेमाटोड, एपिफाइट्स, ब्रायोफाइट्स, जैसे कई जीव जंतुओं का यहां आवास है। आज पूरा देश जहां, कोरोना के कारण आक्सीजन को ढूंढ रहा है वहीं, आक्सीजन के मुख्य स्त्रोत पेड़ों को बचाने का उस ढंग से कोई प्रयास नहीं हो रहा है।

वहीं, कुछ गांवों में लोगों के विश्वास और समर्पण के कारण इस तरह के पेड़ बचे हुए हैं। गांव की पंचायत ने इस ‘कल्प वृक्ष’ की साइट को बायोडाइवर्सिटी हेरिटेज साइट घोषित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया हुआ है ताकि पंजाब बायोडाइवर्सिटी बोर्ड इसका संरक्षण और प्रबंधन सुनिश्चित कर सके।

पंजाब कब करेगा अपनी बनाई नीति को लागू

पंजाब में गेहूं और धान की फसल का रकबा दिन ब दिन बढ़ाने के चलते पेड़ों की तिलाजंलि दी जा रही है। हालत यह हो गए हैं कि राज्य में वन अधीन रकबा मात्र पांच फीसदी रह गया है। इसको बढ़ाने के लिए 2018 में पंजाब किसान आयोग ने एक कृषि नीति तैयार की थी, इसमें प्रस्ताव किया गया था कि हर गांव में एक हेक्टेयर पंचायती जमीन को बायोडाइवर्सिटी के लिए छोड़ दिया जाए।

यह नीति पिछले तीन साल से मुख्यमंत्री आफिस की फाइलों में धूल फांक रही है। अगर यह नीति लागू हो जाती तो पंजाब की 30 हजार एकड़ जमीन पांच साल में ही वन में परिवर्तित हो जाती। आयोग के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ का कहना है कि बायोडाइवर्सिटी के अभाव में ही किसानों को ज्यादा कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।

ये भी पढ़े…

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!