बदलाव की कहानी: स्वास्थ्य सेवा की नई परिभाषा लिख रहा है अमनौर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

बदलाव की कहानी: स्वास्थ्य सेवा की नई परिभाषा लिख रहा है अमनौर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
• सरकारी अस्पताल भी दे सकता है निजी जैसी सेवा
• वॉकी-टॉकी सिस्टम से लैस है अस्पताल प्रबंधन
• पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है अस्पताल में बना हर्बल गार्डन
• बच्चों के खेलने के लिए प्लेइंग एरिया भी है

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर /छपरा(बिहार):

कभी डॉक्टर और दवा की कमी के लिए बदनाम रहा सारण का अमनौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अब एक आदर्श अस्पताल के रूप में पहचाना जा रहा है। जिले के सुदूरवर्ती इस प्रखंड में बसे करीब 2.75 लाख की आबादी के लिए यह अस्पताल अब आशा और भरोसे का केंद्र बन चुका है। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से बदलाव की ओर यह यात्रा आसान नहीं रही, लेकिन इसके पीछे हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शशांक शुभम, जिनके नेतृत्व, दूरदृष्टि और समर्पण ने इस अस्पताल को पूरी तरह बदल दिया है। करीब 2 लाख 75 हजार की आबादी वाले इस प्रखंड में स्थित सरकारी अस्पताल को नया जीवन मिला है, और इसके पीछे हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शशांक शुभम, जिनके नेतृत्व में अस्पताल ने एक मिसाल कायम की है। इस अस्पताल में प्रवेश करते हीं मरीजों को एक निजी अस्पताल का वातारण महसूस होता है। इसके लिए यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ मरीजों के जरूरतों का भरपूर ख्याल रखा जाता है। यहां बैठने के लिए पर्याप्त मात्रा में कुर्सी, पीने के लिए आरओ का पानी, कुलर, एसी, टीवी जैसी सुविधाएं उपलब्ध है। अस्पताल परिसर को हरा भरा बनाने के लिए पौधे लगाएं गये है। इस अस्पताल में बच्चों को खेलने के लिए प्लेइंग एरिया भी बनाया गया है। जहां खिलौने रखे गये है।

प्रतिदिन 300 से अधिक मरीजों का होता है इलाज:
आज इस अस्पताल में रोजाना 300 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा रहा है, और हर महीने लगभग 250 संस्थागत प्रसव सफलतापूर्वक कराए जा रहे हैं। अस्पताल पूरी तरह अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां की व्यवस्थाएं अब किसी निजी अस्पताल से कम नहीं। अस्पताल में 24 घंटे आपातकालीन सेवा, ओपीडी, एक्स-रे, टीबी जांच, आंखों की जांच, और मॉडल टीकाकरण कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

वॉकी-टॉकी सिस्टम से लैस है अस्पताल प्रबंधन:
अस्पताल प्रबंधन को आधुनिक बनाने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए इसे वॉकी-टॉकी सिस्टम से जोड़ा गया है, जिससे इमरजेंसी स्थितियों में संवाद और कार्रवाई पहले से कहीं अधिक तेज़ और प्रभावी हो गई है। इसके साथ ही एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जिसके ज़रिये फील्ड में काम कर रही आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं की निगरानी की जाती है।

अस्पताल में बना है हर्बल गार्डन:
परिसर को स्वच्छ और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी विकसित किया गया है। अस्पताल के आंगन में बना हर्बल गार्डन न केवल सौंदर्य में इजाफा करता है बल्कि स्थानीय लोगों के लिए जड़ी-बूटियों की जानकारी का केंद्र भी बन चुका है।


कायाकल्प योजना में पूरे बिहार में आठवां स्थान:
इन सभी प्रयासों का परिणाम रहा कि अमनौर सीएचसी को भारत सरकार की ‘कायाकल्प’ योजना के तहत बिहार में 8वां स्थान और सारण जिले में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। इस योजना के तहत अस्पताल को 1 लाख रूपये का इनाम मिलेगा। इस राशि से अस्पताल का उन्नयन किया जायेगा।

समर्पित प्रयासों से बदलाव संभव:
डॉ. शशांक शुभम का मानना है कि “सरकारी अस्पतालों में भी इच्छाशक्ति और टीमवर्क हो तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं।” सरकारी अस्पतालों को लेकर बनी धारणाओं को तोड़ना हमारा लक्ष्य था। अब यहां आने वाला हर मरीज खुद महसूस करता है कि बदलाव संभव है। अमनौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आज बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में एक चमकता हुआ उदाहरण बनकर उभरा है, जो यह साबित करता है कि समर्पित प्रयासों से सरकारी संस्थानों की भी सूरत बदली जा सकती है।

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