शॉर्ट कट से शिखर पर पहुंचने की सनक ने देबांजन को पहुंचाया जेल,कैसे?

शॉर्ट कट से शिखर पर पहुंचने की सनक ने देबांजन को पहुंचाया जेल,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

समाज में नाम, शोहरत व बुलंदी के लिए इंसान क्या कुछ नहीं करता. अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए इंसान जब धैर्य के साथ सीधे व सही रास्ते पर चलता है, तो उसे मंजिल मिल ही जाती है. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो सफलता के शिखर पर पहुंचने को शॉर्ट कट अपना लेते हैं. ऐसे लोगों को संयोगवश कुछ अच्छे नतीजे मिलते हैं, तो वह इसे कामयाबी का रास्ता मान बैठते हैं.

धीरे-धीरे यह सनक बन जाती है और इंसान जिंदगी भर शॉर्ट कट की तिकड़म में लग जाता है. कुछ यही हाल देबांजन देब का भी था. शॉर्ट कट से सफलता के शिखर तक पहुंचने की सनक ही देबांजन देव को ले डूबी. समाजसेवी से लेकर ‘आइएएस’ बनने तक की उसकी सनक ने उसे अब सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.

कसबा से फर्जी आइएएस अधिकारी देबांजन देव (28) की गिरफ्तारी के बाद उसके आइएएस बनने के सफर की कहानी सामने आयी. पुलिस सूत्र बताते हैं कि उसके पिता रिटायर्ड सरकारी अधिकारी व मां स्कूल शिक्षिका हैं. देबांजन ने वर्ष 2014 में यूपीएससी की परीक्षा बेलियाघाटा स्थित एक सेंटर में दी थी. उसने घरवालों को बताया कि वह परीक्षा में पास हो गया है.

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इस बीच, उसने वर्ष 2014 से 2017 तक विभिन्न कॉलेजों से जेनेटिक्स, जूलॉजी की पढ़ाई भी की, लेकिन यहां भी वह फेल हो गया. फिर संगीत की दुनिया में किस्मत आजमाने लगा. वर्ष 2017 से 2019 तक इवेंट मैनेजमेंट, म्युजिक एलबम, डॉक्युमेंट्री बनाकर फिल्म जगत के लोगों से संपर्क बनाता रहा. देबांजन ने इस बीच जूनियर फिल्म मेकर बनकर कलकत्ता फिल्म फेस्टिवल में भी हिस्सा लिया और बड़ी फिल्मी हस्तियों के करीब पहुंचा.

…और बन गया समाजसेवी

पुलिस को प्राथमिक पूछताछ में पता चला है कि देबांजन देव ने पिछले वर्ष मास्क, सैनिटाइजर का धंधा शुरू किया. बागड़ी मार्केट से मेडिकल सरंजाम खरीदे और तालतला में गोदाम लेकर इनका धंधा करने लगा. लोगों को मास्क, सैनिटाइजर व भोजन आदि देने के लिए कुछ शिविर भी लगाये.

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बताया जा रहा है कि इस वर्ष देबांजन ने कसबा में एक कंपनी और एक एनजीओ खोलकर समाजसेवा जारी रखी. उसने अपनी कंपनी में 13 कर्मचारी नियुक्त किये. सभी को फर्जी नियुक्ति-पत्र दी थी. जब लॉकडाउन के चलते कर्मचारियों ने ऑफिस आना बंद किया, तो वह वैक्सीन देने के धंधे में उतर गया.

देबांजन के पास जो भी था, सब फर्जी

पुलिस को देबांजन से पूछताछ में पता चला है कि चूंकि पहले से उसकी छवि समाजसेवी की थी. लिहाजा, कई लोग उससे मुफ्त में वैक्सीन मांगने लगे. देबांजन के लिए यह मौका मुफीद लगा. उसने कसबा में दफ्तर खोलकर फर्जी कागजात के सहारे खुद को आइएएस अधिकारी बना लिया.

फिर वह शिविर लगाकर कोरोना से बचाव के कथित टीके लगाने लगा. उसके पास से जब्त की गयी कार भी किराये की है. उसने अपना व कर्मचारियों का पहचान-पत्र भी कंप्यूटर के जरिये हेरफेर करके बनवाया था. इस फर्जीवाड़े के बारे में उसका परिवार भी हैरान है.

कोलकाता में दो हजार से अधिक लोगों को फर्जी वैक्सीन लगवाने वाले देबांजन देव ने बड़े-बड़े कांड किये हैं. उसकी कारस्तानियों का अब एक-एक कर खुलासा हो रहा है. देबांजन की गिरफ्तारी के बाद अब तक उसके खिलाफ कम से कम 7 प्राथमिकयां दर्ज हो चुकी हैं. इसमें उस पर धोखाधड़ी समेत कई आरोप लगे हैं.

तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य मिमी चक्रवर्ती की शिकायत और कसबा थाना के एक पुलिस अधिकारी की जांच के आधार पर प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद देबांजन को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद कोलकाता के न्यू मार्केट थाना में उसके खिलाफ दो प्राथमिकियां दर्ज करायी गयी.

पता चला है कि न्यू मार्केट थाना में 15 जून को ही कोलकाता नगर निगम के कमिश्नर की ओर से देबांजन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस पर कार्यक्रमों के आयोजन के लिए परमिशन देने वाले विभाग का लेटरपैड और मोहर चोरी करने के आरोप हैं. बताया जा रहा है कि बाद में उसने फर्जी लेटर पैड और सील-मोहर बनवाकर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया.

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तालतल्ला थाना में भी उसके विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है. सिटी कॉलेज के प्रिंसिपल ने भी उसके खिलाफ आम्हर्स्ट थाना में एक प्राथमिकी दर्ज करवायी है, जिसमें देबांजन देव पर छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया है. ये तीनों प्राथमिकियां गुरुवार (24 जून) को दर्ज करायी गयी.

शुक्रवार (25 जून) को समाचार लिखे जाने तक 4 मुकदमे दर्ज हो चुके थे. टेंगरा, कसबा, मोचीपाड़ा और सोनारपुर में उसके विरुद्ध अलग-अलग केस में शिकायत की गयी है. टेंगरा थाना में शिकायत करने वाले एक व्यवसायी ने देबांजन पर 90 लाख रुपये मांगने का आरोप लगाया है, तो कसबा थाना में दो व्यापारियों ने उसके खिलाफ पैसे मांगे जाने की शिकायत की है.

मोचीपाड़ा थाना में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ शांतनु सेन ने देबांजन पर उनके साथ फोटो खिंचवाकर उसका दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. श्री सेन ने कहा है कि एक एनजीओ के लोगों के साथ एक बार वह उनसे मिला था. इसी दौरान देबांजन ने उनके साथ तस्वीर खिंचवा ली और बाद में उसका दुरुपयोग किया. वहीं, सोनारपुर में भी लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ करने का आरोप उस पर लगा है.

यहां बता दें कि देबांजन देव खुद को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) का अधिकारी बताता था. उसने अपने दफ्तर के बाहर कोलकाता नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर का बोर्ड तक लगा रखा था. वह अपनी कार पर नीली बत्ती और बंगाल सरकार की झंडी लगाकर चलता था, जिस पर पश्चिम बंगाल सरकार का लोगो भी लगा था.

ऐसे हुआ फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का खुलासा

कस्बा थाना क्षेत्र के एक वैक्सीनेशन कैंप में देबांजन ने जादवपुर की लोकसभा सांसद मिमी चक्रवर्ती को आमंत्रित किया. मिमी ने यहां वैक्सीन भी लगवा लिया, लेकिन इससे जुड़ा कोई मैसेज उन्हें नहीं मिला. तीन-चार घंटे बाद जब सर्टिफकेट भी नहीं मिला, तो उन्होंने आयोजकों से इस बारे में पूछा. आयोजकों ने कहा कि तीन-चार दिन में आपको सर्टिफिकेट मिल जायेगा.

इसके बाद मिमी चक्रवर्ती को शक हुआ. मिमी ने कस्बा थाना को इसकी जानकारी दी. कस्बा थाना के एक सब-इंस्पेक्टर ने मामले की जांच शुरू की और देबांजन को हिरासत में लेकर पूछताछ की. जांच में पता चला कि न तो देबांजन आइएएस अधिकारी है, न ही कोलकाता नगर निगम का ज्वाइंट कमिश्नर. यहां तक कि टीकाकरण कैंप के लिए उसने परमिशन भी नहीं लिया था.

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