अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन संस्मरण योग्य है
जन्मदिवस पर विशेष
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आज उस व्यक्तित्व को याद करने का अवसर है जिसने राजनीति को शब्द दिए और शब्दों को आत्मा।
अटल बिहारी वाजपेयी जी का जीवन भारतीय लोकतंत्र की सबसे शालीन, संवेदनशील और गरिमामय कथा है। वे सत्ता के शिखर पर बैठे होने के बावजूद मानवीय विनम्रता की ज़मीन से जुड़े रहे। उनकी वाणी में ठहराव था। शब्दों में उत्तेजना नहीं, असहमति में भी मर्यादा झलकती थी। संसद में जब वे बोलते थे तो वातावरण सुनने लगता था। आज, जब शब्द अक्सर शोर में बदल जाते हैं, अटल जी की चुप्पी भी संवाद की तरह याद आती है।
अटल जी के लिए राष्ट्र केवल सीमाओं का नाम नहीं था। राष्ट्र उनके लिए भाषा, संस्कृति, आम जन की पीड़ा, सीमा पर खड़े सैनिक का धैर्य और आने वाली पीढ़ियों की चिंता था। उनकी राजनीति दायित्व से जन्म लेती थी और राष्ट्रबोध से पोषित होती थी।
इसी मूल्यबोध के कारण सरकार आज अटल जी के जन्मदिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। सुशासन उनके लिए कोई नारा नहीं था,वह आचरण का प्रश्न था। पारदर्शिता, जवाबदेही, संवेदनशील प्रशासन और अंतिम व्यक्ति तक नीति के लाभ की पहुँच, ये सब उनके शासन के मूल तत्व रहे।
अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, उसी दिन ईसा मसीह का जन्मदिन भी होता है, जिसे दुनिया भर बड़ा दिन के नाम से मनाते हैं। इसे संयोग ही कहेंगे कि ईसा मसीह को शूली पर चढ़ना पड़ा था और अटल जी लंबे समय तक परशय्या पर लेटे रहे। भले ही इन दोनों की तुलना न की जा सकती हो लेकिन अटल जी में कुछ तो है जिसके कारण सारा देश उन्हें निर्विवाद रूप से सम्मान की नज़रों से देखता है। उनकी विशेषता है सीधी सपाट बात और वाणी का ओज, परन्तु सबसे विशेष है निश्छल स्वभाव और निर्भीक अभिव्यक्ति।
अटलजी राजनीतिशास्त्र के छात्र थे और उनके पिताजी शायद हिन्दी के। दोनों ही कानपुर के डीएवी कालेज में एक साथ पढ़ते थे। यह बात मैने साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ में पढ़ी थी जिसे शायद धर्मवीर भारती ने “झाड़े रहो कलक्टरगंज” के शीर्षक से लिखी थी। शायद कलक्टरगंज में ही पिता-पुत्र छात्र जीवन में रहते थे।
अटल जी का जीवन परिचय
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज में हुई। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया।
जनसंघ और बीजेपी:
1951 में वो भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य थे। 1957 में जन संघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर से 1951 में वो भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्य थे। 1957 में जन संघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर सेचुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में पहुंचे। अगले पांच दशकों के उनके संसदीय करियर की यह शुरुआत थी।
1968 से 1973 तक वो भारतीय जन संघ के अध्यक्ष रहे।
1977 में जनता पार्टी सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया।
1980 में वो भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे।
1980 से 1986 तक वो भाजपा के अध्यक्ष रहे और इस दौरान वो भाजपा संसदीय दल के नेता भी रहे।
सांसद से प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब तक नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं,
दूसरी लोकसभा से तेरहवीं लोकसभा तक, बीच में कुछ लोकसभाओं से उनकी अनुपस्थिति रही। ख़ासतौर से 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के हाथों पराजित हो गए थे।
1962 से 1967 और 1986 में वो राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
16 मई 1996 को वो पहली बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा
1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। 1998 के आम चुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने, लेकिन एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस ले लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए।
1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया। गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को मिले पुरस्कार और सम्मान
1992- पद्म विभूषण।
1993- डी लिट कानपुर विश्वविद्यालय।
1994- लोकमान्य तिलक पुरस्कार।
1994- श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार।
1994- भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार।
2014- दिसम्बर में भारत रत्न से सम्मानित।
2015- डी लिट मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय।
2015- फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड, बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदान।


