जिला प्रशासन के द्वारा छपरा नगर की जमीन को टोपोलैंड बताने पर संगठन को ऐतराज

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भूमि स्वामी संगठन की सरकार से है मांग कि पहले जमीन का हो सर्वे उसके बाद अधिग्रहण

श्रीनारद मीडिया‚ मनोज तिवारी‚ छपरा (बिहार)

छपरा नगर भूमि स्वामी संगठन के द्धारा होटल प्लाजा मे आयोजित प्रेस वार्ता में संगठन अध्यक्ष पांडे शैलेश संगठन सचिव अतुल कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा बिहार सरकार को गलत रिपोर्ट भेजकर छपरा नगर वासियों की जमीन हड़पने की साजिश की गई है ।उन्होंने बताया कि छपरा नगर की पूरी जमीन जिला प्रशासन के द्वारा टोपो लैंड कहीं गई है। जबकि संगठन के तरफ से एक आरटीआई में पूछा गया कि नगर में डबल डेकर का निर्माण किस नक्शे के आधार पर हो रहा है तो जिला प्रशासन के तरफ से आरटीआई में जवाब दिया गया कि 1898 के नक्शे के आधार पर डबल डेकर पुल का निर्माण किया जा रहा है । एक तरफ जिला प्रशासन 1898 के नक्शे के अनुरूप डबल डेकर निर्माण हेतु जमीन अधिग्रहण का कार्य कर रही है और छपरा नगर के भू स्वामियों का जमीन सरकारी बता रही है कहीं न कहीं जिला प्रशासन के द्वारा दोहरी नीति अपनाई जा रही है संबोधन में बताया गया कि 1898 के सर्वे में सभी जमीनों का प्लॉट नंबर अंकित है ।जबकि नगर की जमीन को जिला प्रशासन द्वारा टोपोलैंड की जमीन बताई जा रही है ।टोपोलैंड का अर्थ नदी की गर्भ की भूमि होती है ।जब 1898 के सर्वे में स्पष्ट रूप से नगर वासियों की जमीन का प्लॉट नंबर अंकित है तो यह किस प्रकार से नदी की गर्भ की भूमि हुई ,यह समझ से परे है। प्रशासन के द्वारा दी गई आरटीआई के जवाब से यह स्पष्ट होता है कि छपरा नगर की जमीन टोपोलैंड की जमीन नहीं है इस मामले में कहीं ना कहीं जिला प्रशासन फसती हुई नजर आ रही है।

संगठन के कोषाध्यक्ष शैलेश कुमार गुप्ता ने बताया कि एक तरफ डबल डेकर पुल निर्माण में भू स्वामियों का जमीन का मुआवजा जिला प्रशासन के द्वारा नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ शहर के सभी बड़े व्यवसायियों का व्यवसाय समाप्त होने के कगार पर है क्योंकि जब से जिला प्रशासन के द्वारा यह सूचना दी गई कि छपरा नगर की जमीन सरकार की जमीन है उस समय से बड़े बड़े व्यवसायियों को बैंक से लोन मिलना बंद हो गया। बैंक के द्वारा बताया जा रहा है कि जब यह सरकार की जमीन है तो इसके मॉर्गेज के आधार पर हम किस प्रकार से आपको लोन मुहैया कराएं ।इससे छपरा नगर के व्यवसायियों में हड़कंप मचा हुआ है कि जिला प्रशासन के द्वारा सरकार को भेजे गए गलत रिपोर्ट से करोड़ों की नुकसान हो रही है तो दूसरी तरफ लोग सोचने पर मजबूर हो गए है कि इसका निदान किस प्रकार से होगा।
संगठन के द्वारा बताया गया कि भूमि अधिग्रहण के संदर्भ में जिला पदाधिकारी से बात हुई तो जिला पदाधिकारी के द्वारा कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई। जिसके कारण भूमि स्वामी संगठन के तरफ से पटना उच्च न्यायालय में अपने हक हुकूक की लड़ाई लड़ने के लिए न्यायालय के शरण में जाना पड़ा। मोहम्मद परवेज ने बताया कि हमे उच्च न्यायालय पर भरोसा है देर से ही सही न्यायलय के द्वारा हमें हमारे जमीन का उचित मुआवजा निश्चित रूप से प्राप्त होगा। इसके लिए आप सभी को एकजुट होकर अपनी लड़ाई को लड़ते रहना होगा।

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