राजनीतिक जोड़-तोड़ के खिलाड़ी का लोजपा की टूट में माना जा रहा हाथ.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चिराग पासवान की पार्टी लोजपा में टूट के बाद बिहार के सियासी हलकों में एक नाम तेजी से सुर्खियों में आया है. यह नाम है जदयू के लोकसभा में संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह. बताया जा रहा है कि लोजपा में टूट के पीछे ललन सिंह को ही मास्टरमाइंड माना जाता है. ललन सिंह बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी के संकटमोचक भी कहे जाते हैं.

राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की बिहार राजनीति में एंट्री नीतीश कुमार के जरिए हुई. ललन सिंह सीएम नीतीश कुमार के क्लासमेट रहे हैं. सांसद राजीव रंजन जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं. हालांकि 2010 में पार्टी के अंदरूनी घमासान के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

जोड़-तोड़ के माहिर हैं ललन सिंह

राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह कौन बिहार की राजनीति में जोड़ तोड़ के माहिर खिलाड़ी मानें जाते हैं. ललन सिंह बिहार चुनाव से ऐन पहले राजद के कई विधानपरिषदों और विधायकों को तोड़कर जेडीयू के पाले में ले आये थे. ललन सिंह ने इस काम को इतने गुपचुप तरीके से अंजाम दिया कि किसी को भनक तक नहीं लगी.

दूसरी बार बीजेपी-जेडीयू का कराया गठबंधन

राजनीतिक गलियारों की चर्चा के अनुसार 2017 में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू महागठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ आना चाहती थी, जिसका जिम्मा ललन सिंह को सौंपा गया. बताया जाता है कि ललन सिंह ने इस काम को इतनी आसानी से किया कि किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई.

नीतीश के करीबी मानें जाते हैं राजीव रंजन

ललन सिंह को बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के करीबी मानें जाते हैं. 2014 की चुनाव में जब ललन सिंह लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाए तो, उन्हें बिहार कैबिनेट में शामिल किया गया. नीतीश सरकार में ललन सिंह जल संसाधन मंत्री बनाए गए. 2019 में वे लोकसभा चुनाव मुंगेर सीट से जीतकर सदन पहुंचे. जहां पर उन्हें पार्टी संसदीय दल का नेता बनाया गया.

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