खतरे तक पहुंचा टिकटार्थियों में टिकट का बुखार!

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भाजपा ,सपा व बसपा तथा कांग्रेस से टिकट पाने के लिए अब तक कइयों ने किया लाखों- करोड़ों रुपयों का बंटाधार

कई माननीय के टिकट पर संकट निकट? हो सकते हैं कई बेटिकट

जिनको नहीं मिलेगा टिकट! उनकी भी हालत होगी विकट?

श्रीनारद मीडिया‚ आलेख –  कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)‚ बाराबंकी (यूपी)

बाराबंकी। बाराबंकी में पांचवें चरण में चुनाव मतदान होगा। लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग ने चुनाव की घोषणा की! उसके तत्काल बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट पाने का जुगाड़ लगा रहे टिकटार्थियों में टिकट का बुखार खतरे के निशान पर जा पहुंचा है! जहां कई माननीयों के टिकट पर संकट निकट है? वहीं दूसरी ओर जिन्होंने लाखों-करोड़ों खर्चा किए और ऐसी स्थिति में यदि वह बेटिकट हुए तो उनकी स्थिति भी विकट नजर आएगी? फिलहाल प्रत्याशी बनने को आतुर ऐसे कई सियासत दानों ने अपने आकाओं के दरबार में परिक्रमा तेज कर दी है।

2022 विधानसभा चुनाव के लिए बीते डेढ़ -दो वर्षों से बाराबंकी जनपद में विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ने के लिए कई सियासतदानों ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा एवं सपा तथा बसपा, कांग्रेस जैसे राजनीतिक दलों से टिकट पाने के लिए भीड़ कुछ ज्यादा ही दिखाई दे रही है।आश्चर्यजनक यह है कि इस बार कांग्रेस से भी टिकट पाने के लिए लोग लालायित हैं। जबकि भाजपा एवं सपा तथा बसपा से टिकट मिले इसके लिए कईयों ने तो अपने सारे अस्त्रों का प्रयोग कर डाला है।

शनिवार को जैसे ही चुनाव आयोग ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की उसके बाद तो टिकटार्थियों में टिकट का बुखार खतरे के निशान पर जा पहुंचा।गौरतलब हो कि यह टिकट का बुखार कई माननीयों को भी काफी परेशान किए हुए हैं? क्योंकि चर्चा है कि कई माननीय का टिकट इस समय संकट में है? अर्थात वह भी बेटिकट हो सकते हैं! यही नहीं अब तक अपने पसंदीदा राजनीतिक दल से टिकट पाने के लिए कई नए व पुराने नेताओं ने भी लाखों -करोड़ों रुपए गर्दा कर दिए हैं? पार्टी के छोटे से बड़े आयोजन के अलावा अपने पसंदीदा विधानसभा क्षेत्र के तमाम कार्यक्रमों में ऐसे कई सियासतदानों के द्वारा रुपया पानी की तरह बहाया गया है। 2022 के चुनाव में विधायक बनने को बेचैन कई लोगों ने तो बाकायदा अपने चुनावी रथ भी क्षेत्र में चला दिए हैं।

खास है कि भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस से टिकट चाहने वाले महारथियों के आकाओं ने भी उन्हें अभी तक टिकट तुम्हें मिलेगा इसका आशीर्वाद दे रखा है! टिकट किसका पक्का है? इसका पक्का पता किसी को नहीं है! इसके अलावा कुछ ऐसे भी समर्थक हैं जिन्होंने अभी से ऐलान कर दिया है कि यदि भैया को टिकट नहीं मिला तो हम व हमारी बिरादरी पार्टी को रसातल में मिलाकर रहेगी? कुछ समर्थक यह दावा करते दिखे कि हमारे यहां टिकट बदलना जरूरी है! अन्यथा पार्टी चुनाव तो बिल्कुल नहीं जीत पाएगी? कुछ ऐसे भी उवाच सुनने को मिले कि फ़लाने का टिकट कटना चाहिए।टिकट कोई उनके नाम या उनके परिवार के नाम बैनामा नहीं हो गया है? जहां कई चुने गए माननीय अपने टिकट को लेकर परेशान हैं? बेचैन है? वहीं कुछ ऐसे दिग्गज भी इस बार अपने टिकट को लेकर उलझन में है! जिनका पूर्व के चुनावो में टिकट हमेशा पक्का माना जाता रहा है? कुल मिलाकर टिकट किसे मिलेगा? किसे नहीं मिलेगा? किसका टिकट कटेगा? किसका टिकट बचेगा? यह तो उस दल का राष्ट्रीय नेतृत्व ही जाने! लेकिन यह तय है कि चुनाव की घोषणा होने के बाद ही टिकटार्थियों में टिकट का बुखार खतरे के निशान तक जा पहुंचा है! जाहिर है कि कईयों के टिकट पर संकट निकट है? तो कुछ यदि बेटिकट हुए तो उनकी स्थिति भी आगे चलकर विकट होती नजर आएगी? क्योंकि वे लाखों करोड़ों रुपया पानी की तरह उड़ा चुके हैं।?

खैर अभी बाराबंकी की आवाम को इंतजार करना पड़ेगा ।कार्यकर्ताओं की निगाहें भी राष्ट्रीय नेतृत्व पर जा लगी है। संभावना इस बात की भी है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरों को राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। तो कई ऐसे भी फैसले सामने आ सकते हैं कि जनपद के कई बड़े दिग्गज भी इस चुनाव में बेटिकट हो सकते हैं?कुल मिलाकर टिकट का बुखार बहुत तेजी पर है। अब खतरा तो है ही? देखो इस खतरनाक बुखार की तपिश से कौन बचता है और कौन बाद में गाना गाता है?….. दिल के अरमां आंसुओं में बह गए?????

लेखक – कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)‚ बाराबंकी (यूपी) के वरिष्ठ पत्रकार  है

 

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