URIC ACID के यूनिक फैक्ट्स, लेवल ज्यादा या कम होने पर ऐसे पड़ता है प्रभाव.

URIC ACID के यूनिक फैक्ट्स, लेवल ज्यादा या कम होने पर ऐसे पड़ता है प्रभाव.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कई बार आपने मेडिकल एक्सपर्ट्स को कहते सुना होगा कि यूरिक एसिड बढ़ने से गठिया की समस्या होती है या दूसरी अन्य बीमारियां आती हैं. क्या आप जानते हैं कि यूरिक एसिड के लेवल के घटने या बढ़ने की मुख्य वजह क्या है? आखिर क्यों यूरिक एसिड से बढ़ने या घटने से कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं? आइए जानते हैं क्या है यूरिक एसिड और क्यों इसके लेवल के घटने या बढ़ने से बीमारियां होती हैं? यहां हम आपको कई समस्याओं के समाधान भी बताएंगे.

हमारे शरीर में यूरिक एसिड क्या होता है?

यूरिक एसिड शरीर में एक अपशिष्ट पदार्थ होता है जो कभी-कभी जोड़ों और दूसरे ऊतकों में जमा हो जाता है. इससे कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होती हैं. इनमें गाउट (गठिया) का एक रूप भी शामिल है. प्यूरीन रासायनिक पदार्थ होते हैं जो शरीर और कुछ खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं. जब हमारा शरीर प्यूरीन को तोड़ता है तो अपशिष्ट उत्पाद यूरिक एसिड के रूप में बनता है.

यूरिक एसिड को सिंपल रूप से समझिए…

खून में मौजूद यूरिक एसिड किडनी से छनकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाता है. कभी-कभी यूरिक एसिड की मात्रा खून में बढ़ जाती है. इसे मेडिकल टर्म में हाइपरयुरिसीमिया कहते हैं. इसकी मुख्य वजह शरीर में बहुत अधिक यूरिक एसिड का बनना हो सकता है या शरीर से पर्याप्त मात्रा में यूरिक एसिड का बाहर नहीं निकलना हो सकता है. जिसके बाद खून में मौजूद बहुत अधिक यूरिक एसिड जोड़ों और ऊतकों में क्रिस्टल बनाता है, इससे सूजन और गठिया के लक्षण हो सकते हैं. हाई यूरिक एसिड का कारण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं. आनुवंशिकी और पर्यावरण कारक (आहार और स्वास्थ्य) दोनों इसके बढ़ने या घटने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.

पुरुषों और महिलाओं में यूरिक एसिड का स्तर

खून में थोड़ा बहुत यूरिक एसिड होना सामान्य होता है. जिसकी अपनी सीमा निर्धारित होती है. अगर यूरिक एसिड का स्तर तय लिमिट से से ऊपर या नीचे है तो इससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. उच्च यूरिक एसिड का स्तर गाउट के जोखिम को बढ़ा सकता है. दूसरी तरफ यूरिक एसिड का स्तर कम होना भी असामान्य होता है, जो तब होता है जब शरीर बहुत अधिक यूरिक एसिड को अपशिष्ट के पदार्थ के तौर पर इंसान के शरीर से बाहर निकाल देता है. इससे भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. कम या ज्यादा यूरिक एसिड दोनों सूरतों में दिक्कत पैदा करता है.

यूरिक एसिड लेवल — पुरूष — महिलाएं

  • निम्न — Below 2.5 mg/dl — Below 1.5 mg/dl
  • सामान्य — 2.5–7.0 mg/dl — 1.5–6.0 mg/dl
  • उच्च — Above 7.0 mg/dl — Above 6.0 mg/dl

उच्च और निम्न यूरिक एसिड स्तर का उपचार

कई खाद्य पदार्थों में प्यूरीन मौजूद होता है, जो शरीर में टूटने पर यूरिक एसिड बनाता है. प्यूरीन से भरपूर आहार खाने से खून में यूरिक एसिड का निर्माण हो सकता है. प्यूरीन से पूरी तरह बच पाना संभव नहीं है, क्योंकि कई ऐसे खाद्य पदार्थ होते है, जिनमें ये कम मात्रा में मौजूद होते हैं. हालांकि, आप चाहें तो कम प्यूरीन वाले आहार का पालन कर सकते हैं. प्यूरीन के स्तर को कम कर सकते हैं. शराब, बेकरी के सामान और मीट-मछली जैसे खाद्य पदार्थों में मध्यम से उच्च प्यूरीन का स्तर पाया जाता है. गाउट वाले व्यक्ति को आमतौर पर हर 6 महीने में यूरिक एसिड टेस्ट की जरुरत होती है. यूरिक एसिड के स्तर को एक निश्चित सीमा के भीतर रखने से गठिया से होने वाले दर्द, जोड़ों की क्षति और कई तरह की शारीरिक जटिलताओं को कम किया जा सकता है.

देश में कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Coronavirus) के बीच लोगों में तनाव (Anxiety), अवसाद (Depression), और चिंता (Stress) बेहद आम बात हो गई है. सरकार के जारी हेल्पलाइन नंबर पर सबसे ज्यादा इसी से संबंधित कॉल आ रहे है. जाहिर है कोरोना ने लोगों के मनोबल को भी तोड़ दिया है. ऐसे एक स्वस्थ्य जीवन शैली (Healthy Life Style) अपनाकर इस तरह की चिंता और अवसाद से बड़ी आसानी से बचा जा सकता है.

अच्छी नींद लेः नींद तनाव का दुश्मन है. इसलिए रात में अच्छी नींद लें. देर रात तक मोबाईल या लैपटॉप में उलझे रहना सेहत के लिए काफी नुक्सानदायक होता है. ऐसे में रात जल्दी सोने की आदत डाले और 8 घंटे की भरपूर नींद लें. इससे डिप्रेशन तो दूर होगा ही, आप तरोताजा भी महसूस करेंगे. मन में नकारात्मक भाव भी कम आएंगे.

सुबह जल्दी जागने की आदत डालेः देर तक जागे रहना जितना नुक्सानदायक है सुबह देर से जागना भी उतना ही हानिकारक है. इसलिए राज को जल्दी बिस्तर पर जाएं और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें. कहा जाता है कि सुबह की ताजा हवा सेहत के लिए वरदान होती है. आप भी सुबह उठकर योगा, एक्सर्साइज की आदत डालें, कुछ नहीं तो सुबह टहलने की आदत कर लें. यकीन मानें आपको खुद में गजब का बदलाव देखने को मिलेगा. शरीर में एक नई ताजगी का अहसास होगा.

एक्सरसाइज और योग अपनाएं: शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए योग और व्यायाम को अपने जीवन में तहरीज दें. कसरत शारीरिक और मानसिक तौर पर शरीर पर बहुत सकारात्मक बदलाव लाता है. अग किसी कारणवश सुबह योगा या एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं तो कम से कम शाम को इसकी आदत डाल लें. यह शरीर को फिट रखने के साथ-साथ तनाव को दूर करता है.

ऑनलाइल गतिविधियां कम करें: बहुत से लोग आजकर सोशल लाइफ में बहुत एक्टिव होते हैं. लेकिन क्या आपको पता है, सोशल नेटवर्किंग साइट पर ज्यादा समय देना तनाव का एक बड़ा कारण है. कई रिसर्च में भी यह बात सामने आइ है. ऐसे में तनाव से दूर रहने के लिए वर्चुअल दुनिया में कम से कम समय दें. फोन पर भी अनावश्यक बात करने से बचें.

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