जब विधायक कृष्णानंद राय पर बरसाई गई थीं 500 राउंड गोलियां
ये केस जिसने मुख्तार अंसारी की पूरी हनक निकाल दी
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई। वह लंबे समय से बांदा जेल में बंद था और वहीं गुरुवार को फिर से उसकी तबीयत खराब हो गई। इसके बाद तुरंत बांदा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया। मुख्तार अंसारी बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या मामले में भी आरोपी था। बीजेपी के दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले कृष्णानंद राय की साल 2005 में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद पूरे प्रदेशभर में मुख्तार और अफजाल अंसारी का नाम कुख्यात हो गया था।
साल 2002 विधानसभा चुनाव में कृष्णानंद राय ने अंसारी बंधुओं के प्रभाव वाली मोहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी को मात दी थी। इसके बाद अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच 36 का आंकड़ा हो गया था। 29 नवंबर, 2005 को एक बड़ी घटना को अंजाम देते हुए कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई। इसका आरोप मुख्तार अंसारी गैंग पर लगा।
हत्याकांड से पूर्वांचल समेत पूरा प्रदेश थर्रा गया। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान करीब 500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं। हत्याकांड में मारे गए सात लोगों के शरीर से लगभग 67 गोलियां बरामद हुई और बाद में मामले के गवाह रहे शशिकांत राय की भी मौत हो गई। कृष्णानंद राय की हत्या के बाद वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी वाराणसी में धरने पर बैठ गए थे।
कृष्णानंद की जीत के बाद बढ़ने लगी थी दुश्मनी
मोहम्मदाबाद सीट से विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद से ही कृष्णानंद राय और अंसारी बंधुओं के बीच दुश्मनी बढ़ने लगी थी। कृष्णानंद को गाजीपुर जिले में एक क्रिकेट प्रतियोगिता में बतौर चीफ गेस्ट बुलाया गया। वह वहां पहुंचे और प्रतियोगिता का उद्घाटन किया, लेकिन वहां से लौटते समय अंसारी गैंग के अपराधियों ने राय के काफिले पर हमला बोल दिया। एक के बाद एक करीब 500 राउंड गोलीबारी की गई।
सीबीआई ने की थी मामले की जांच
कृष्णानंद की हत्या के बाद बीजेपी नेताओं में काफी आक्रोश फैल गया था। अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी समेत बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की, लेकिन शुरुआत में इससे इनकार कर दिया गया। बाद में इसे सीबीसीआईडी को ट्रांसफर करने के लिए कहा गया, लेकिन छह महीने बाद ही उसने भी यह मामला छोड़ दिया।
इससे आहत कृष्णानंद राय की पत्नी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट दायर कर अपने सीबीआई जांच की मांग की। मई 2006 में अलका राय की याचिका पर हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने तीन जुलाई, 2019 को अपना फैसला सुनाया था, जिसमें गाजीपुर के पूर्व बसपा विधायक मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, रफीक और पांच अन्य सहित सभी आठ आरोपियों को बरी कर दिया गया।
माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई है। बांदा जेल में बंद मुख्तार को दिल का दौरा पड़ने के बाद मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। यूं तो मुख्तार अंसारी पर कई केस दर्ज थे मगर वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 33 साल पुराने अवधेश राय हत्याकांड में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि आखिर अवधेश राय कौन थे जिनके कत्ल की सजा में मुख्तार को उम्रकैद मिली थी। आइए एक नजर डालते हैं अवधेश राय हत्याकांड की पूरी कहानी पर।
अवधेश राय कांग्रेस के मौजूदा प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई थे। अवधेश राय की हत्या मुख्तार अंसारी गैंग ने तीन अगस्त 1991 को तब कर दी थी जब वह अपने छोटे भाई अजय राय के साथ लहुराबीर स्थित अपने घर के बाहर खड़े थे। मारुति वैन पर सवार हो आए बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर अजय के सामने ही अवधेश को मौत के घाट उतार डाला था। वारदात की जगह से चेतगंज थाने की दूरी बहुत कम थी लेकिन उस दिन कोई बाहर नहीं निकला। बताते हैं कि अजय ने वैन का पीछा भी किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बदमाश, बड़ी आसानी से मौके से फरार हो गए।
अवधेश राय की हत्या के बाद पूर्वांचल के अपराध जगत में मुख्तार अंसारी का बड़ा नाम हो गया। बड़े-बड़े सूरमा उससे खौफ खाने लगे। इसके बाद ठेकेदारी से लेकर रंगदारी तक हर तरह के आरोप मुख्तार गैंग पर लगते चले गए। उधर, अवधेश के छोटे भाई अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया। बताया जाता है कि इनमें से अब्दुल कलाम और कमलेश की मौत हो चुकी है। अन्य दो आरोपियों के खिलाफ जिला अदालत में मामला चल रहा है। अजय राय और उनके परिवार ने 32 साल लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ी।
अवधेश राय की हत्या की क्या थी वजह
बताया जाता है कि अवधेश राय की हत्या के पीछे चंदासी कोयला मंडी की वसूली और उनकी दबंगई थी। अवधेश राय को बृजेश सिंह का करीबी माना जाता था। अवधेश राय चंदासी कोयला मंडी से वसूली में अड़ंगा बन गए थे। इस कोयला मंडी पर मुख्तार का एकछत्र राज चलता था। उसका गिरोह मंडी के अलावा वाराणसी के तमाम व्यापारियों और बाजारों से भी वसूली करता था।
अवधेश राय की मजबूती इसमें रुकावट डाल रही थी। बताते हैं कि कोयला मंडी पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए नंदकिशोर रूंगटा का अपहरण और हत्या की गई थी। इसका आरोप भी मुख्तार अंसारी गिरोह पर लगा था। अवधेश, मुख्तार से प्रताडि़त लोगों के बीच मजबूत शख्स के तौर पर पहचाने जाने लगे थे। बताते हैं कि इन्हीं कारणों से मुख्तार अंसारी ने तीन अगस्त 1991 को अपने साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी।
गायब हो गई थी ऑरिजनल फाइल
अवधेश राय हत्याकांड की ऑरिजनल फाइल ही गायब हो गई थी। यह एक ऐसा मामला है जिसमें बिना ऑरिजिनल केस डायरी के अदालत ने सुनवाई की और आरोपी को सजा सुनाई। ऑरिजिनल फाइल गायब कराने का इल्जाम भी मुख्तार पर लगा था। उस पर इसे लेकर अलग से एक केस दर्ज किया गया था। बताते हैं कि केस डायरी गायब होने की वजह से भी अवधेश राय हत्याकांड की सुनवाई में लंबा वक्त लगा। इस मामले में वाराणसी की विशेष एमपी/ एमएलए अदालत ने बीते साल 19 मई को बहस के बाद सुनवाई पूरी कर ली थी और आदेश को पांच जून तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
मुख्तार को मिली है ये सजा
मुख्तार अंसारी को अदालत ने धारा 148, 149 और 302 के तहत दोषी पाया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा के साथ ही एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में उसे छह महीने और जेल में रहना पड़ता। इसके अलावा एक अन्य धारा के तहत 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया था। उसे न चुकाने पर सजा में 3 महीने और बढ़ जाती।
कहां हैं अन्य आरोपी
मुख्तार अंसारी अभी तक बांदा जेल में कैद थे। जबकि गैंगस्टर केस में सजा सुनाए जाने के बाद भीम सिंह गाजीपुर जेल में बंद है। पूर्व विधायक अब्दुल कलाम और कमलेश सिंह की मौत हो चुकी है। अवधेश राय हत्याकांड के एक अन्य आरोपी राकेश ने अपना केस अलग कर ट्रायल शुरू कराया है। उसका मामला प्रयागराज सेशन कोर्ट में चल रहा है।
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